सदैव से सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन निरंतर एक वैचारिक क्रम से होता रहा है ! चीजों का विश्लेषण करने की क्षमता एक ईश्वरीय गुण है ! इसे अध्ययन से बढ़ाया तो जा सकता है लेकिन किसी भी विषय के सार और मूल कारण को समझना मात्र ईश्वर की कृपा से ही संभव है ! जिसे समझने के बाद ही कोई व्यक्ति उसकी अभिव्यक्ति अलग-अलग तरीकों से कर सकता है !
अभिव्यक्ति की प्रतिभा यदि किसी में जन्मजात नहीं है, तो उसे विकसित करना भी कठिन पुरुषार्थ का विषय है और इतना समय सामान्य व्यक्ति अपने जीवन में व्यस्तता के कारण इस प्रतिभा को विकसित करने के लिए दे नहीं पाता है !
शायद इसीलिए बहुत से लोग समझते बूझते तो बहुत कुछ हैं ! लेकिन उसे अभिव्यक्त नहीं कर पाते हैं और उनका ज्ञान समाज के लिए उपयोगी नहीं बन पाता है !
ऐसे व्यक्तियों को प्राय: एकांत में धैर्य के साथ अत्यधिक पठन और लेखन करना चाहिए ! इससे उन्हें अपने विचारों की अभिव्यक्ति के लिए उचित शब्दों को तलाशने का अवसर मिलेगा और उनका अनुभव, विश्लेषण और ज्ञान तीनों ही समाज के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा !
आप स्वयं इतिहास में भी देखिए कि आज जिनको हम याद करते हैं ! वह सभी मुख्यतः प्रमुख लेखक ही थे ! जिन्होंने बंद कमरे में बैठकर समाज के सोचने के तरीके को बदल दिया और परंपरागत तरीके से जीवन जीने के अतिरिक्त लोगों को अन्य पद्धतियों से भी जीने का रास्ता दिखलाया !
विश्व की सभी बड़ी क्रांतियां बंद कमरे के अंदर लिखे गये साहित्य से ही हुई हैं फिर चाहे वह कार्ल मार्क्स की पुस्तक “पूजी” हो या गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित “रामचरितमानस” हो !
लेखक जब बंद कमरे के अंदर बैठकर एकाग्र होकर शब्दों का संयोजन कर किसी विषय को कागज पर उतारता है तो ईश्वरीय शक्तियां भी उसका साथ देती हैं ! उस समय वह व्यक्ति मात्र अक्षरों का संयोजन नहीं करता बल्कि उन अक्षरों के साथ अपनी मानसिक शक्तियों को भी कागज पर लिख देता है ! शायद इसीलिए अक्षर को ब्रह्म कहा गया है ! जिसे एकाग्र मन से पढ़ने वाला व्यक्ति लेखक के उसी भाव में स्वीकार करता है जिस भाव में वह शब्द लिखे गये हैं !
शायद यही वजह है कि सत्य सनातन हिंदू धर्म के सभी साहित्य गुरुकुलों की व्यवस्था खत्म होने के बाद भी आज तक हिंदुत्व को जिंदा बनाये हुए हैं ! क्योंकि गुरुकुलों की श्रुति और स्मृति की परंपरा खत्म हो जाने के सैकड़ों साल बाद भी आज हमारा हिंदुत्व इन्हीं बंद कमरों में लिखे गये साहित्यों से ही जीवित है !
यही बंद कमरे में लिखा गया साहित्य ही पूरे विश्व की दशा और दिशा बदल सकता है ! यह व्यक्ति के सोचने का तरीके को बदल देता है ! जिससे व्यक्ति के जीने का तरीका बदल जाता है और जब व्यक्ति के जीने का तरीका बदल जाता है तो वह व्यक्ति समाज के चिंतन और कार्य शैली को बदलने में सक्षम हो जाता है ! जिससे समाज में बड़ी-बड़ी क्रांति घटित होती है ! बड़ी-बड़ी सत्ताओं का निर्माण होता है और बड़ी-बड़ी सत्तायें ढह जाती हैं !
इसलिए यदि आपके मस्तिष्क कोई विचार बार-बार उठ रहा है तो उसे शब्दों में अभिव्यक्त अवश्य करना चाहिये क्योंकि आपके द्वारा किया गया लेखन ही भावी पीढ़ियों के सोचने के तरीके को बदल कर उनकी दिशा और दशा दोनों ही बदल सकता है ! यही लेख लिखने का सबसे बड़ा महत्व है !!