भारतीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया जो कि एक प्रबल दार्शनिक ही नहीं, अच्छे चिंतक और विचारक भी हैं ! इन्होंने यह निष्कर्ष निकाला है कि हिंदू समाज के विनाश का कारण हिंदुओं के अवतारवाद की अवधारणा है !
ऐसा ही निष्कर्ष आज से लगभग 100 साल पहले जर्मन के एक विचारक दार्शनिक और अध्यापक डॉ. नीत्से ने भी निकाला था !
जब प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मन के 16 टुकड़े हो गये थे ! तब डॉ. नीत्से ने जर्मन विश्वविद्यालय के छात्रों को आंदोलन करके जर्मन सरकार पर यह दबाव डालने के लिए बाध्य करने को कहा कि जर्मन को पुनः जोड़ा जाना चाहिए !
जिसके जवाब में विश्वविद्यालय के छात्रों ने डॉ. नीत्से से कहा कि यह सब कुछ ईश्वर की इच्छा से हुआ है और ईश्वर ही इस समस्या का समाधान करेगा ! हम लोग सामान्य इंसान हैं, हम लोग इसमें क्या कर सकते हैं ?
डॉ. नीत्से इस जवाब से बहुत निराश हुए और उन्होंने विश्वविद्यालय की छुट्टी के समय विश्वविद्यालय के गेट पर एक पुतला सड़क पर डाल दिया और उसे जोर जोर से लाठियों से पीटने लगे !
जब विश्वविद्यालय के छात्र बाहर निकले तो उन्होंने अपने टीचर को इस तरह का कार्य करते हुए देखा तो रुक कर पूछने लगे कि यह आप क्या कर रहे हैं ?
तब डॉ. नीत्से ने जवाब दिया कि “मैं उस भगवान की हत्या कर रहा हूं, जिसके भरोसे आज जर्मन के युवा बैठे हुये हैं !”
डॉ. नीत्से के जवाब से जर्मन के युवाओं में एक नया जोश पैदा हुआ और उसका परिणाम यह था कि मात्र 15 वर्ष के अंदर जर्मन ने एक ऐसे शासक को चुना, जिसने जर्मन का इतिहास पूरे विश्व में बदल कर रख दिया !
वह ब्रिटेन साम्राज्य जिसमें कभी सूर्य अस्त नहीं होता था, उसे पूरी दुनिया से ब्रिटेन के अंदर ही समेट दिया !
यही स्थिति आज भारत के आम हिंदू की है ! वह अपनी हर समस्या का कारण अपने भाग्य को समझता है और समाधान के लिए किसी अवतार का इंतजार करता रहता है !
इसी ईश्वर के अवतार के इंतजार में पीढ़ियां गुजर जाती हैं और किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है, बल्कि समस्या और बढ़ती चली जाती हैं !
इस संदर्भ में मेरा कहना यही है कि ईश्वर हमारी किसी भी समस्या का समाधान नहीं करेगा ! हमें अपनी हर समस्या को पहचान कर उसका समाधान स्वयं करना होगा !
और यदि आप ईश्वर के भरोसे बैठे हैं, तो आप अपनी आत्महत्या के घड़ी का इंतजार कर रहे हैं !
इसलिए उठिए जागिए और अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं करिए ! क्योंकि ईश्वर हमें जन्म देने के साथ ही मर चुका है !!