समान्यतः ऐसा माना जाता है कि बृहस्पति आशावाद के प्रतीक हैं, गुरू हैं, ग्रह हैं तथा देवताओं के मुख्य सलाहकार हैं। वे उपदेशक हैं, प्रवाचक हैं तथा सन्मार्ग पर चलने की सलाह देते हैं। वे विज्ञान हैं, दृष्टा हैं तथा उपाय बताते हैं जिनसे मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो। यदि गुरू अपने सम्पूर्ण अंश दे दें तो व्यक्ति महाज्ञानी हो जाता है।
लेकिन साथ ही यह भी है कि जब बृहस्पति कुण्डली में सशक्त स्थिती में हो तो व्यक्ति की चर्बी अधिक होगी। जिन लोगों की कुंडलियों में बृहस्पति नीच राशि में हो लग्न या राशि से मैत्रिय सम्बंध न रखता हो तो उनमें मोटापा अधिक बढ़ता है। जिनमें बृहस्पति अत्यन्त शुभ अंशों में हों उनमें भी ऎसा देखने को मिल सकता है। जो लोग बृहस्पति के लग्न में जन्म लेते हैं उनमे भी वसा तत्व अधिक मिलेगा और वह लोग मोटापे को रोक नहीं पायेंगे। जिन लोगों की धनु या मीन राशि है उनको भी कालान्तर में यह समस्या उत्पन्न होगी। बृहस्पति एक तरफ ज्ञान, विज्ञान व विद्वत्ता देते हैं, दूसरी तरफ इस तरह के कष्ट भी देते हैं। हम सब जानते हैं कि परिश्रम करने से या कसरत करने से मोटापा कम होता है साथ ही बृहस्पति के अंश अधिक होने निम्नलिखित उपाय भी करने चाहिये
बृहस्पति के उपाय
बृहस्पति के दोष निवारण हेतु उपाय हेतु जिन वस्तुओं का दान करना चाहिए उनमें चीनी, केला, पीला वस्त्र, केशर, नमक, मिठाईयां, हल्दी, पीला फूल और भोजन उत्तम कहा गया है. इस ग्रह की शांति के लए बृहस्पति से सम्बन्धित रत्न का दान करना भी श्रेष्ठ होता है. दान करते समय आपको ध्यान रखना चाहिए कि दिन बृहस्पतिवार हो और सुबह का समय हो. दान किसी ब्राह्मण, गुरू अथवा पुरोहित को देना विशेष फलदायक होता है.बृहस्पतिवार के दिन व्रत रखना चाहिए. कमज़ोर बृहस्पति वाले व्यक्तियों को केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पंक्षियों विशेषकर कौओं को देना चाहिए. ब्राह्मणों एवं गरीबों को दही चावल खिलाना चाहिए. रविवार और बृहस्पतिवार को छोड़कर अन्य सभी दिन पीपल के जड़ को जल से सिंचना चाहिए. गुरू, पुरोहित और शिक्षकों में बृहस्पति का निवास होता है अत: इनकी सेवा से भी बृहस्पति के दुष्प्रभाव में कमी आती है. केला का सेवन और सोने वाले कमड़े में केला रखने से बृहस्पति से पीड़ित व्यक्तियों की कठिनाई बढ़ जाती है अत: इनसे बचना चाहिए।
1. ऐसे व्यक्ति को अपने माता-पिता, गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेना चाहिए।
2. सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
3. ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
4. किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
5. ऐसे व्यक्ति को परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
6. गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
7. गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।
8. गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं।