आजकल भारत में विकास का दौर चल रहा है या यूं कहिये कि भारतीय अपनी सनातन मौलिक जीवन शैली को त्याग कर राजनेताओं की इच्छा पर विदेशी भोगवादी जीवन पद्धति अपनाने के लिए बाध्य हो रहे हैं क्योंकि तथाकथित राष्ट्रवादी राजनेताओं को आजकल विदेश बहुत रास आ रहा है ! विदेशों का गुणगान करने वाले राज सत्ता में बैठे हुए कुछ लोग बस सिर्फ विदेशों की उन चीजों का ही वर्णन करते हैं जो उनके स्वार्थ के अनुरूप उचित है ! विदेशी भोगवादी जीवन शैली को अपनाने वाले की पैरवी करने वाले कभी अपने निजी कर्तव्यों के निर्वहन में विदेशी राजनेताओं के चरित्र का बखान क्यों नहीं करते ! यदि ऐसा करें तो राष्ट्र को ही नहीं इन राजनेताओं को भी प्रेरणा मिलेगी जो सत्ता को विलासिता का माध्यम मानते हैं !
आइए बात करते हैं ब्रिटेन की ! भारत जिसका लगभग 200 साल से अधिक तक गुलाम रहा और आज ब्रिटिश शासन व्यवस्था जो भारत में संविधान के माध्यम से भारत के नागरिकों के ऊपर थोपी गई है ! उसी ब्रिटेन की नकल करने वाले आज यह क्यों नहीं देखते कि ब्रिटेन के अंदर संसद के सदनों का बहिष्कार नहीं होता और न ही मौसमी फलों की तरह संसद के मौसमी सत्र चलाये जाते हैं ! सभी जानते के ब्रिटेन के अंदर संसद का सत्र नियमित रुप से ठीक उसी तरह चलता है जैसे भारत के अंदर सचिवालय चला करता है और वहां जनता के कर से वेतन और सुविधाएं पाने वाले सांसद सदनों के अंदर लोकतंत्र का मखोल नहीं उड़ाते बल्कि वहां पर जो भी प्रश्न उत्तरीय प्रक्रिया है, उसका ब्रिटेन के संसद के मानकों के अनुरूप कार्यवाही की जाती है ! जिसमें सभी सांसद गंभीरता और ईमानदारी से हिस्सा लेते हैं !
आइए थोड़ी बात कर लेते हैं अमेरिका की अभी आपने देखा कि लगातार अमेरिका में दो बार राष्ट्रपति रहने वाला व्यक्ति भी जैसे ही अपने कर्तव्य से मुक्त हुआ, वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगा ! हिंदुस्तान के सांसदों और विधायकों की तरह उसे न तो मनचाही अनर्गल सुविधाएं दी जाती हैं और न ही स्टेटस सिंबल के तौर पर सिक्योरिटी उपलब्ध कराई जाती है !
अभी हमारे प्रधानमंत्री इजरायल गए थे ! इसराइल के अंदर अलगावादी शक्तियों के साथ चाय पर बैठकर वार्ता नहीं की जाती ! न तो अलगाववादीयों को सरकारी व्यय पर हवाई जहाज की मुफ्त यात्रा करवाई जाती है और न ही उन्हें जनता के खर्च पर महंगे-महंगे होटलों में अय्याशी के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं ! इजरायल में अलगावादीयों से निपटने के लिये सैनिकों को गुलेल नहीं दी जाती है ! वहां के अलगावादीयों पर सीधे गोलियाँ चलाई जाती हैं, रबड़ की गोलियां नहीं ! उन्हें प्रदर्शन के समय ही मौत के घाट उतार दिया जाता है और जो लोग गिरफ्तार हो जाते हैं, उन्हें पूरे जीवन सामाजिक और राजनैतिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है !
थोड़ा वर्णन जापान का भी कर लीजिए ! वहां पर शत प्रतिशत रोजगार है ! वहां नौजवानों को उच्च शिक्षा की डिग्री लेने के बाद दो वक्त की रोटी के लिए सड़कों पर भटकना नहीं पड़ता है ! बात रही ऑस्ट्रेलिया की तो वहां पर नागरिकों को शत प्रतिशत चिकित्सा की गारंटी है ! हिंदुस्तान की तरह सरकारी अस्पतालों में दवाइयों के अभाव में नागरिक मरते नहीं हैं !
अपने पड़ोसी मुल्क चीन को ही देखिए ! वहां पर मात्र बच्चों के पाउडर वाला दूध सरकार के मानक के अनुरूप न होने के कारण मात्र 3 माह के अंदर उस दूध बनाने वाली फैक्ट्री के मालिक को फांसी लगा दी गई थी ! नागरिकों के अफीम का नशा मात्र 24 घंटे में उतार दिया गया था ! यहाँ के नकली शराबबन्दी की तरह नहीं है जो कागजों में लागू तो होती है पर हर जगह आसानी से मिल जाती है !
देश का विकास किसी दूसरे देश की नकल करने से नहीं होता है ! देश का विकास राज्य सत्ता में बैठे हुए लोगों के राजनिष्ठा, देश के प्रति समर्पण और सूझ-बूझ से होता है ! मात्र नागरिकों के ऊपर आर्थिक शिकंजा कस देने से किसी देश का विकास नहीं होता है !
काला धन समाप्त करने का दावा करने वाले सत्ता में बैठे हुए लोग आज अपने ही प्रशासनिक अधिकारियों के काला धन का हिसाब नहीं ले पा रहे हैं ! जब राज्य सत्ताधीश स्वयं राष्ट्रभक्त और ईमानदार होंगे तो देश की जनता स्वयं उनका अनुकरण करेगी और राष्ट्र के विकास के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर देंगी !
लेकिन जनता से कोई अपेक्षा करने से पहले जनता के भूख, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा की जिम्मेदारी ईमानदारी से शासन को उठानी होगी ! इस तरह मात्र नागरिकों के ऊपर एक तरफा आर्थिक और विधिक शिकंजा कस के विकास की बात करना नागरिकों के साथ धोखा-धड़ी है !