आखिर हिटलर को युद्ध के लिये सैकड़ों टन सोना किसने दिया था ! : Yogesh Mishra

क्या आपने कभी सोचा कि हिटलर के पास सत्ता में आते ही इतना पैसा कहां से आया कि उसने अति आधुनिक हथियार, फाइटर प्लेन, मिसाइल, अंतरिक्ष सैटेलाइट आदि के तकनीकी के विकास के लिये पूरे जर्मन में दर्जनों प्रयोगशालाओं का निर्माण करवा दिया ! जो मात्र द्वितीय विश्व युद्ध की तैयारी थी !

जबकि प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद साम्राज्यवादी शक्तियों द्वारा जो जर्मन के ऊपर जो आर्थिक प्रतिबंध लगाये गये थे ! उनकी वजह से जर्मन के अंदर नागरिकों को दो वक्त की रोटी खाना मुश्किल था ! वहां की तत्कालीन सरकार अपने नागरिकों को पर्याप्त वेतन भत्ते भी नहीं दे पा रही थी !

यह हिटलर के बहुत से रहस्यों में एक बहुत बड़ा रहस्य है कि उसके चांसलर बनते ही हिटलर को सैकड़ों टन सोना आखिर किसने दिया था ! जिससे उसने जर्मन की अर्थव्यवस्था को ही मजबूत नहीं किया बल्कि नित नये अति आधुनिक प्रयोगशालाओं का भी निर्माण करवाया ! पूरे जर्मन में विकसित सडकों का निर्माण करवाया ! आधुनिक अस्पताल और कालेज खोल कर जनता को आश्चर्य चकित कर दिया !

जर्मन वैज्ञानिक एस्कर्ड और कार्ल हौसहोफ़र जो थुले के आध्यात्मिक समाज के वैचारिक प्रेरक थे ! जो यह प्रमाणित करते थे कि एक विकसित सभ्यता “गोबी” में तीस या चालीस सदियों पहले मौजूद थी ! आपदा के परिणामस्वरूप गोबी अब एक रेगिस्तान में बदल गया था और बचे हुये लोग यूरोप के उत्तर में और कुछ काकेशस चले गये थे !

थुले समूह की पहल से यह अनुमान लगाया गया था कि यह गोबी सभ्यता के वह बचे हुये लोग थे ! जो मानवता की मुख्य दौड़ में आर्यों के पूर्वज थे ! एल. पावेल और जे. बर्गियर की किताब “मॉर्निगियंस की सुबह” में: “थुले की सभ्यता जर्मन जाति की ही तरह अति प्राचीन है ! यह एक द्वीप की बात करता है जो सुदूर उत्तर में कहीं गायब हो गया है ! आज अटलांटिस की तरह थुले को एक लुप्त सभ्यता का जादुई केंद्र माना जाता है !

जर्मन वैज्ञानिक कार्ल हौसहोफ़र की डायरी के अनुसार “जैसे ही नाजी आंदोलन ने बड़े वित्तीय संसाधनों का निपटान करना शुरू किया ! हिटलर ने तिब्बत में वर्ष 1931-1932, 1934-1936 और 1939-1940 में कई बड़े गोपनीय अभियान चलवाये ! जो रूस आक्रामण के पहले 1941 तक लगभग एक के बाद एक लगातार होते रहे।“

शास्त्रों के अनुसार पूर्व में महाभारत युद्ध के बाद थुले सभ्यता के बहुत से पूर्वज यक्ष संस्कृति के पोशाक कुबेर के राज्य में आकर चिर साधना करने के लिये बस गये थे ! इस स्थान को वर्तमान में तिब्बत कहा जाता है ! जो देवताओं के स्वर्ण खान का क्षेत्र था ! आज भी अकेला तिब्बत विश्व का 38% सोने का खनन करता है ! जो अब चीन के नियंत्रण में है ! 2017 में अकेले चीन ने 440 मीट्रिक टन सोना यानी की 440000.0kg का खनन किया था ! जो विश्व में सर्वाधिक है ! इन्हीं खानों के लिये द्वतीय विश्व युद्ध के बाद चीन ने तिब्बत पर कब्ज़ा किया था !

हिटलर की प्रथम मृत्यु के उपरांत दिव्य ऊर्जा से संपर्क के बाद निरंतर हिटलर अपने आप को विशुद्ध रक्त का कहता था और उसको निरंतर तिब्बत घाटियों से आध्यात्मिक संकेत बर्ष 1941 तक प्राप्त होते रहे ! जो रूस पर आक्रमण के बाद मिलने बंद हो गये !

ऐसा माना जाता है कि जब साम्राज्यवादी शक्तियों ने पूरी दुनिया में अन्याय, शोषण, अत्याचार का साम्राज्य स्थापित किया और पूरी दुनिया के आम आवाम को भूखमरी और रोग से मारना शुरू किया ! तब हिमालय में तिब्बत के साधकों ने एक प्रबल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आत्मा का प्रवेश हिटलर के अंदर करवाया क्योंकि यह साधक भारत को साम्राज्यवादी और पूंजीवादी शक्तियों के विरुद्ध युद्ध स्थल में परिवर्तित नहीं करना चाहते थे और जर्मन इस युद्ध के लिये इंग्लैंड से बहुत निकट भी था !

शेष समझदार को इशारा काफी है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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