आखिर हमारा भारतीयों का मष्तिष्क सुकड़ क्यों रहा है ! : Yogesh Mishra

सदियों से पूरे विश्व का विश्वगुरु रहा पूर्ण विकसित भारतीय मस्तिष्क अब तुलनात्मक रूप से छोटा दिखाई दे रहा है इस संदर्भ में अल्जाइमर और मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों के एक अध्ययन के दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है !

दरअसल मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों को लेकर हैदाराबाद आई.आई.आई.टी. में एक रिसर्च चल रहा था ! रिसर्च से इस बात का खुलासा हुआ कि भारतीय नागरिकों के दिमाग का साइज पश्चिमी देशों और पूर्वी देशों के निवासियों के मुकाबले छोटा होता है ! इतना ही नहीं बल्कि भारतीयों का मस्तिष्क पूर्वी और पश्चिमी देशों के नागरिकों की अपेक्षा लंबाई, चौड़ाई और घनत्व में भी छोटा होता है !

दी हिंदू में छपी एक खबर के हवाले से यह चौंकाने वाला खुलासा हाल में प्रकाशित मेडिकल जनरल ‘रिसर्च न्यूरोलॉजी इंडिया’ में किया गया है ! जिसमें भारतीय लोगों के मस्तिष्क की मैपिंग करके एक एटलस तैयार किया गया है ! ऐसा माना जा रहा है कि इस एटलस के जरिये मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों का ईलाज ढूढ़ने व करने में मदद मिलेगी !

रिसर्च प्रोजेक्ट से जुड़े एक संस्थान सेंटर फॉर विजुअल इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी में काम करने वाली जयंती सिवास्वामी ने कहा है कि दिमाग से जुड़ी बीमारियों को मॉनिटर करने के लिये मॉन्ट्रियल न्यूरॉलजिकल इंस्टीट्यूट टेम्पलेट का उपयोग एक मानक के तौर पर उपयोग किया जाता है !

जयंती ने आगे कहा कि हमारे पास इस शोध से जुड़े पुख्ता प्रमाण हैं ! जिनसे इस बात की जरूरत महसूस होती है कि ब्रेन के स्ट्रक्चर और उससे जुड़ी बीमारियों के अध्ययन के लिए एक बड़े स्तर पर एटलस बनाया जाये !

अब प्रश्न यह है कि विश्व के हर नश्ल के मनुष्य के मस्तिष्क का एटलस अलग-अलग बनाने की आवश्यकता क्यों महसूस की जा रही है ! फिलहाल वैज्ञानिक तो इसे मानसिक रोग निवारण के लिये अनिवार्य बतला रहे हैं !

लेकिन विश्व में मिले अन्य सूचनाओं के आधार पर जैसा कि आने वाले युग में मानव मस्तिष्क को कंप्यूटर से जोड़े जाने के ऊपर बहुत बड़ा शोध कार्य हो रहा है ! जिस संदर्भ में सबसे ज्यादा प्रगति चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने की है ! उस स्थिति में विश्व के लगभग हर प्रजाति को नियंत्रत करने के लिये हर नश्ल के मानव मस्तिष्क के एटलस के अनुसार अलग-अलग तरह के सॉफ्टवेयर इजाद किये जाने पर कार्य चल रहा है ! तो यह हिंदुस्तानी नश्ल के मस्तिष्क का सटीक एटलस बनाने का प्रोजेक्ट कहीं उसी विश्व सत्ता का हिस्सा तो नहीं है ! इस पर भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिये !

वर्तमान में कृत्रिम रासायनिक खाद, खाद्यान्नों में अंधाधुन कीटनाशकों का प्रयोग, समाज में खुलेआम पोर्न फिल्मों की उपलब्धता, मोबाइल व टीवी पर निरंतर प्रसारित होने वाले नकारात्मक विचार, रेडियेशन, ऐसेटिक भोजन, गैर गोवंश पशुओं का दूध, पेट्रोलियम के अत्यधिक प्रयोग के कारण समाज में व्याप्त प्रदूषण आदि ऐसे बहुत से कारण हो सकते हैं ! जो वर्तमान भारतीय नस्ल के मनुष्य के मस्तिष्क के सुकड़ने का कारण बन सकते हैं !

यह सभी गहन शोध का विषय है ! इस पर शीघ्र अति शीघ्र कार्य होना चाहिये ! जिससे विश्व गुरु रहा भारत की आने वाली पीढ़ियों कहीं मस्तिष्क रूप से जन्मजात विकृति हो जाये ! इसके लिये मात्र शासन सत्ता ही दोषी नहीं है ! हमारी उदासीनता भी हमारे इस समस्या का कारण है ! इसलिये हमें जागरूक होना होगा !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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