धन कितना होगा ?
लग्न, तृतीय, षष्ठ, दशम और एकादश स्थान भी धन कमाने के लिए देखा जाता है क्योंकि इनसे काबिलियत, पराक्रम, सफलता, कर्म, कर्तव्य और हानि लाभ का ज्ञान प्राप्त होता है।
इन छह भावों में षष्ठ और लाभ अच्छे धन स्थान को प्रभावित करते हैं। उसके पश्चात द्वितीय और दशम स्थान तथा इसके पश्चात लग्न और तृतीय स्थान की भी अहम भूमिका है। इन छहों भावों के नक्षत्र स्वामी अगर इन्ही छहों भावों में स्थित ग्रहों के नक्षत्र में हो तो ऐसा इंसान बेहद अमीर होता है, करोड़पति, अरबपति होता है।
धन स्थान का नक्षत्र स्वामी यदि तृतीय स्थान का कार्येश हो तब धन स्थिति ठीक ठाक होती है। मेहनत से पैसा कमाया जाता है। इसी तरह धन का नक्षत्र स्वामी द्वितीय और दशम भाव का कार्येश हो तो धन स्थिति अच्छी होती है और जातक सम्मान प्राप्त करता है। षष्ठ और लाभ का कार्येश हो तो धन स्थिति बेहद अच्छी होती है और जातक अमीर होता है।
धन के मामले में पंचम, अष्टम और द्वादश स्थान अशुभ होते हैं। बुरी आदतें पंचम से देखी जाती हैं। अष्टम स्थान चोरी, पछतावा और छिपे कार्य का स्थान होता है और व्यय स्थान बेकार के खर्चे का संकेत देता है। इसलिए धन का स्थान का नक्षत्र स्वामी पंचम, अष्टम तथा व्यय स्थान का जितना सबल कार्येश होगा उतने ही अधिक खर्च होते हैं। द्वितीय भाव का नक्षत्र स्वामी जिस भाव समूह का कार्येश हो इस भाव समूह के द्वारा कारोबार का ज्ञान होता है।