कल प्रातः 8:00 बजे मेरी भेंट भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से बनारस के सर्किट हाउस में हुई थी ! मेरे साथ में वरिष्ठ पत्रकार पंडित राधेश्याम दीक्षित जी भी थे ! हम दोनों ने भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से आग्रह किया कि उत्तर प्रदेश के अंदर जो 5000 गौ आश्रय स्थल हैं, उनके अंदर प्रति गोवंश मात्र 30 रुपये भरण पोषण हेतु उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दिया जाता है ! जो कि निहायत ही अपर्याप्त है !
ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश में भाजपा के विधायक भी गौ सेवा कार्य में सहयोग करें तो समाज का उत्साह वर्धन होगा ! जिन्हें 25 करोड़ रुपये प्रति वर्ष अपने विधानसभा क्षेत्र के कार्य हेतु उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दिया जाता है तथा जिन्हें वेतन व अन्य भत्ते आदि के रूप में लगभग दो से ढाई लाख रुपये महीना उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दिया जाता है ! जीवन भर की पेंशन व अन्य सुविधायें अलग ! वह लोग गौ आश्रय ग्रह में यदि बीमार, पीड़ित निर्बल गोवंश की रक्षा हेतु मदद करेंगे, तो समाज में अच्छा सन्देश जायेगा !
किन्तु उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि “गोवंश की सेवा के लिये भावुक किस्म के हिंदू गौ प्रेमियों को ढ़ूढ़िये ! यह कार्य न तो भाजापा के विधायक द्वारा किया जा सकता है और न ही और न ही इस कार्य के लिये कोई विधायक निधि बर्बाद करेगा और विधायकों के पास न ही इन सब कार्यों के लिये समय है !
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या भाजापा मात्र अपने चुनाव घोषणापत्र में गौ रक्षा या गौ सेवा की बात करके अपने दायित्व से मुक्त हो गई है ! यदि मात्र चुनाव घोषणापत्र में मतदाताओं को आकर्षित करने के लिये भाजापा फर्जी गौरक्षा या गौसेवा को शामिल करती है तो यह तथाकथित हिंदू विचारधारा के समर्थक भाजापा के नीति निर्धारकों द्वारा स्पष्ट रूप से हिंदू समाज के साथ धोखे के अलावा और कुछ नहीं है !
भाजापा की ऐसी ही दोहरी नीतियां ही आज हिंदुओं के सर्वनाश का कारण है, जो कार्य कर नहीं सकते उस कार्य का सहारा लेकर चुनाव घोषणापत्र में मतदाताओं को मात्र आकर्षित करने के लिए जो रणनीति बनाई जा रही है उसे अब हिंदूओं को समझना होगा !
इसके अलावा माननीय भाजपा अध्यक्ष के वक्तव्य का दूसरा अर्थ यह भी लगाया जा सकता है कि भाजपा के विधायक गाय को लेकर न ही संवेदनशील हैं और न ही भावुक हैं और न ही गोवंश के रक्षार्थ उनके निकट कोई ठोस रणनीति है ! यह स्थिति पूरी तरह से भाजपा की चुनावी रणनीति में वोट लेने के अलावा और कुछ नहीं है जो कि विशुद्ध रूप से हिंदू मतदाताओं के साथ विश्वासघात है !
हिंदू मतदाता निश्चित रूप से गौ प्रेमी है और उसे गाय की सेवा और रक्षा के लिये किसी भाजपा के अध्यक्ष की आवश्यकता नहीं है और न ही भाजपा के अध्यक्ष के बलबूते पर हिंदू गौ सेवा या गौ रक्षा करता है ! यदि भाजपा के रणनीतिकारों की 500 बार गरज हो तो वह गौ रक्षा और गौ सेवा को अपने चुनाव घोषणापत्र में शामिल करें अन्यथा न करें ! इससे हम गौ प्रेमियों को कोई फर्क नहीं पड़ता ! क्योंकि हम लोगों ने अपना संपूर्ण जीवन गौ सेवा गौ प्रेम में समर्पित कर रखा है अतः इसके लिये हमें किसी भी राजनैतिज्ञ परामर्श की आवश्यकता नहीं है !