काशी जहाँ लोग मरने आते हैं !! अवश्य पढ़ें !

काशी नगरी वाराणसी स्थित एक पौराणिक नगरी है ! माना जाता है कि ये संसार की सबसे पुरानी नगरी है ! विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद में भी काशी का उल्लेख किया गया है ! मान्यता है कि विश्वनाथ जी की अति श्रेष्ठ नगरी काशी में जन्म लेने का अर्थ है कि आपने पूर्वजन्म में काफी पुण्य किए हैं, उन्हीं के फलस्वरूप किसी का जन्म काशी में हुआ है ! यहां पर अगर किसी व्यक्ति का प्राण निकलता है तो वो मोक्ष को प्राप्त करता है ! तो वहां लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए जाते ही रहते हैं और अभी भी ये सिलसिला जारी ही है !

इस नगरी से कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं और ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति गंगा के तट पर बसे इस धाम में प्राण त्यागता है उसे निश्चित तौर पर मोक्ष की प्राप्ति होती है ! मतलब यहां मरने वाला व्यक्ति जन्म- मरण के चक्र से छूट जाता है ! इसी मान्यता के मद्देनजर लोग बड़ी संख्या में अपने जीवन का अंतिम समय काशी में बिताने के लिए पहुंचते हैं और यहां बने मोक्ष केंद्रो में रहते हैं !

मोक्ष केंद्रों में रहने के लिए हर रोज दर्जनों आवेदन आते हैं और सालों तक लगातार यह आवेदन लंबी वेटिंग लिस्ट का हिस्सा बने रहते हैं !

यहां पर एक मकान है जो लोगों को मोक्ष प्रदान करने में मदद कर रहा है ! वाराणसी के गोदौलिया में काशी लाभ मुक्ति भवन नाम का एक धर्मशाला है जिसमें मोक्ष प्राप्ति के लिए लोग दुनिया भर से आते हैं ! ये मोक्ष भवन साठ साल पुराना है और इसमें 12 कमरे हैं ! इन कमरों में लोग रहकर अपनी मौत का इंतजार करते हैं ! अभी तक इसमें कई लोग सांसारिक जीवन से मुक्ति पा चुके हैं !

शायद ये दुनिया का पहला धर्मशाला होगा जहां पर लोगों के मरने से वहां की शान घटती नहीं है बल्कि बढ़ती है ! इस धर्मशाला में एक और खास बात ये है कि यहां पर लोगों के रहने के लिए कोई पैसे नहीं लगते हैं ! सूत्रों के मुताबिक वहां के लोगों से पता चला कि यहां पर हर दिन किसी न किसी को मोक्ष प्राप्त होता ही है !

आश्चर्य की बात तो ये है कि यहां अब तक 15 हजार से भी ज्यादा लोगों ने अपना प्राण त्याग दिया है ! काशी में मोक्ष प्राप्ति के लिए आए अपने परिजनों के साथ वृद्ध हो चुके लोगों को एक कमरा दिया जाता है तथा इसके साथ ही उन्हें 15 दिन का समय दिया जाता है !

यदि उस निर्धारित समय में उनकी मृत्यु नहीं होती तो उन्हें वहां से जाने का अनुरोध किया जाता है तथा इसके साथ ही वो लोग वहां से अपने परिजनों के साथ लौट आते हैं ! इस भवन में सुबह शाम रामायण और गीता का पाठ चलता रहता है तथा हर रोज शाम के समय सत्यनारायण भगवान की आरती होती है ! इस दौरान वृद्ध लोगों को रोजाना गंगाजल और तुलसी का सेवन कराया जाता है ताकि उनका प्राण निकलने में कोई कठिनाई ना हो ! सच में ये काशी का मुक्ति भवन अपने आप में काफी अलग है ! लेकिन इसके बारे में अभी बहुत कम लोग ही जानते हैं !

एक अहम बात जो नए मोक्ष केंद्रों को मौजूदा केंद्रों से अलग बनाएगी वह ये है कि यह मोक्ष केंद्र पवित्र स्थान पर बनाए जाएंगे ! यह मोक्ष केंद्र अविमुक्त चक्र के अंतर्गत बनाए जाएंगे जो काशी विश्वनाथ मंदिर और मर्णिकर्णिका घाट के बीच मौजूद है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

शिव भक्ति सरल, सहज, सस्ती, प्रकृति अनुकूल और अनुकरणीय क्यों है ? : Yogesh Mishra

शैव साहित्यों की शृंखला ही बहुत विस्‍तृत है ! वैरोचन के ‘लक्षणसार समुच्‍चय’ में इन …