कैंसर रोगियों की आयु 20 वर्ष तक बढाई जा सकती है ! : Yogesh Mishra

कैंसर स्वयं में कोई रोग नहीं है ! हम सभी जानते हैं कि हमारा शरीर कोशिकाओं से निर्मित है ! पुरानी कोशिकायें निरंतर मरती रहती हैं और उनके स्थान पर नई नई कोशिकायें जन्म लेती रहती हैं ! अर्थात अपनी आयु के अनुसार जब पुरानी कोशिकायें मर जाती हैं तो उनके स्थान पर नई कोशिकायें जन्म ले लेती हैं और पुरानी मृत कोशिकायें शरीर के बाहर निकल जाती हैं !

किंतु जब शरीर में प्रकृति विरुद्ध जीवन शैली के कारण पुरानी कोशिकाओं की मृत्यु दर सामान्य से तेज हो जाती है और इस बीच नई कोशिकायें उतनी तेजी से जन्म नहीं ले पाती हैं ! तो मरी हुई पुरानी कोशिकायें नई कोशिकाओं के जन्म लेने तक शरीर में ही पड़ी रहती हैं और इन्हीं मृत कोशिकाओं के समूह से कैंसर की उत्पत्ति होती है !

दूसरे शब्दों में कहा जाये तो असामान्य कोशिकायें जब बिना किसी नियंत्रण के विभाजित होती हैं और वह अन्य कोशिकाओं और ऊतकों पर आक्रमण करके उन्हें भी नष्ट करने लगती हैं ! तब शरीर उन असामान्य कोशिकायें को एक स्थान पर कैद कर देता है ! जो बाद में कैंसर की गांठ बन जाती हैं और कालांतर में वह रक्त और लसीका प्रणाली के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं !

दूसरे शब्दों में कहा जाये तो कैंसर मनुष्य के अप्राकृतिक जीवन शैली अर्थात दूषित आहार-विहार विचार से उत्पन्न होता है ! जब मनुष्य का आहार रासायनिक खाद, कीटनाशक व रसायन युक्त होकर दूषित होगा या उसकी जीवनशैली प्रकृति की सामान्य व्यवस्था के विपरीत देर से सोना देर से उठना होगी या फिर वह अत्यधिक तनावग्रस्त जीवन यापन करता होगा ! अनावश्यक अति तीव्र विध्युत रेडिएशन के सम्पर्क में व्यक्ति लम्बे समय तक रहेगा तो उसके शरीर में कोशिकाओं को नियंत्रित करने वाला अंग धीरे धीरे अपना कार्य करना बंद कर देगा और कोशिकाओं का निर्माण असामान्य व अनियंत्रित तरह से होने लगेगा ! जिससे कैंसर की उत्पत्ति होगी !

कैंसर के 100 से अधिक प्रकार होते हैं ! अधिकतर कैंसरों के नाम उस अंग या कोशिकाओं के नाम पर रखे जाते हैं जिनमें वे शुरू होते हैं- उदाहरण के लिये बृहदान्त्र में शुरू होने वाला कैंसर पेट का कैंसर कहा जाता है, कैंसर जो कि त्वचा की बेसल कोशिकाओं में शुरू होता है बेसल सेल कार्सिनोमा कहा जाता है !

अब इससे बचाव के लिये सर्वप्रथम हमें अपना आहार-विहार विचार प्रकृति की व्यवस्था के अनुरूप करना होगा ! जिसके लिये सर्वप्रथम रसायन मुक्त आहार को ही अपनाया जाये ! जिसके लिये जैविक तथा हर्बल आहार को ही प्रयोग करना चाहिये ! इलेक्ट्रॉनिक रेडिएशन से यथाशक्ति दूर रहना चाहिये अर्थात दूसरे शब्दों में कहें तो मोबाइल, टेलीविजन, हाई टेंशन वायर, जिन इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट से रेडिएशन निकलता है उनसे व्यक्ति को यथाशक्ति बचने का प्रयास करना चाहिये !

दैनिक दिनचर्या भी व्यक्ति की प्रकृति की व्यवस्था के अनुरूप होनी चाहिये अर्थात समय से संतुलित रसायन मुक्त भोजन करें ! नियमित रूप से अपने साफ सफाई का ध्यान रखें ! निर्धारित समय पर सोइये और निर्धारित समय पर उठिये ! इसके साथ ही शरीर की कोशिकाओं को शक्ति देने वाले प्राकृतिक और हर्बल पदार्थों का सेवन अधिक से अधिक कीजिये ! जिससे शरीर में रासायनिक विष की कमी हो !

इसी विषय को ध्यान में रखते हुये सनातन ज्ञान पीठ की वैज्ञानिक प्रकोष्ठ ने जिसमें विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर उमाशंकर तथा हर्बल वैज्ञानिक मीनाक्षी शुक्ला ने मिलकर कैंसर पीड़ित व्यक्तियों के जीवन को अधिक से अधिक कितना बढ़ाया जा सकता है इस पर गहन शोध किया है !

शोध में यह निष्कर्ष निकला है कि यदि कैंसर पीड़ित व्यक्ति वैज्ञानिक परामर्श के अनुसार अपना जीवन यापन करे तो उसकी आयु को 20 वर्ष तक आसानी से बढ़ाया जा सकता है ! जिस हेतु मानव कल्याण के लिये सनातन ज्ञान पीठ ने लखनऊ में अपना परामर्श केंद्र स्थापित किया है ! जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट के साथ उपस्थित होकर इन वैज्ञानिकों से परामर्श ले सकता है या यदि कोई व्यक्ति बहुत दूर है तो वह आधुनिक पद्धति से कंप्यूटर मोबाइल आदि के द्वारा भी परामर्श लेकर अपने जीवन को सुखी रोगमुक्त बनाकर लंबे समय तक जीवन का आनंद ले सकता है !

अधिक जानकारी के लिये कार्यालय में संपर्क कीजिये ! यह कार्य पूरी तरह से मानव कल्याण के लिये समर्पित किया जाने वाला कार्य है ! जिसका लाभ प्रत्येक कैंसर पीड़ित व्यक्ति को मिले संस्थान यह अपेक्षा करता है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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