सनातन धर्म मानवता के साथ स्व विकसित, प्रकृति और पर्यावरण अनुगामी धर्म है ! इसे शैव जीवन शैली का धर्म भी कहा जा सकता है ! इसमें उपासना के लिए किसी भी भक्त पर किसी भी प्रकार का कोई कर्मकांड का बंधन नहीं होता है !
जबकि हिंदू धर्म ईश्वर की आराधना से अधिक हिन्दू समाज को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिये वैष्णव विचारधारा के समर्थक ऋषि, मुनि, मनीषी, चिंतक, राजा, धर्मगुरु आदि के द्वारा निर्मित किया गया धर्म है !
हिंदू धर्म वास्तव में वैष्णव आक्रांताओं द्वारा शैव जीवन शैली के निवासियों पर बलपूर्वक थोपा गया धर्म है ! जैसे आजकल आदिवासिओं को छल, बल और प्रलोभन से ईसाई बनाया जा रहा है !
किंतु बहुत लंबे समय तक भारत के शैव समाज पर हिंदू धर्म का दबाव रहा पता शैवों ने भय और प्रलोभनवश हिन्दू धर्म को आत्मसात कर लिया ! जिससे आम अवधारणा में हिंदू धर्म को सनातन धर्म का पर्याय धर्म माना जाने लगा !
जबकि दोनों ही धर्म व्यवस्था में बहुत से मौलिक अंतर हैं !
पहला सनातन धर्म जिसके उपास्य देवता भगवान शिव हैं ! जिन्हें कहीं भी किसी भी अवस्था और महूर्त में, बिना किसी आडंबर के स्थापित किया जा सकता है !
ठीक इसके विपरीत वैष्णव आराध्य देव राम, कृष्ण, नरसिंह, लक्ष्मी आदि के लिये सदैव मंदिरों का निर्माण किया जाता रहा है !
भगवान शिव की उपासना के लिये भक्त सीधे भगवान शिव के विग्रह अर्थात शिवलिंग तक जाकर स्वयं जल, दूध आदि से अभिषेक कर सकते हैं !
जबकि वैष्णव देवताओं की उपासना के लिए मंदिर के गर्भ गृह के अंदर भक्तों का प्रवेश वर्जित होता है ! भक्त गर्भ गृह में स्थापित विग्रह को बाहर के प्रांगण से ही भगवान का दर्शन कर सकते हैं लेकिन स्वयं गर्भ ग्रह के अंदर जाकर पूजा आदि नहीं कर सकते हैं !
इसी प्रकार शैव जीवन शैली में भगवान की की जाने वाली आराधना प्राकृतिक रूप से उत्पन्न पदार्थों से की जाती है ! जैसे दूध, दही, घी, शहद, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी-पत्र, रुद्राक्ष आदि आदि !
जबकि हिंदू धर्म में वैष्णव देवताओं की उपासना मानव द्वारा निर्मित कृतिम पदार्थों से की जाती है ! जैसे मुकुट, पीतांबर, बांसुरी, खड़क, सिंहासन, मूर्ति, अग्नि के संपर्क से मानव द्वारा निर्मित प्रसाद पंजीरी, मिठाई, खीर आदि आदि से !
इसलिए स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि शैव जीवन शैली आधारित सनातन धर्म और वैष्णव जीवन शैली आधारित हिंदू धर्म यह दोनों अलग अलग विषय हैं ! इन्हें बलपूर्वक एक साथ जोड़ देने से कई तरह की भ्रांतियां और समस्यायें आज समाज में व्याप्त हैं ! जो आज सनातन धर्म के पतन का कारण हैं !!