राष्ट्रद्रोही बनाम राष्ट्रघाती में अंतर : Yogesh Mishra

हिंदी एक बहुत ही अद्भुत भाषा है ! इसमें अलग-अलग शब्दों के अलग-अलग अर्थ होते हैं ! किंतु अज्ञानतावश हम लोग एक स्थान पर जो शब्द प्रयोग किया जाना चाहिये ! उसकी जगह किसी अन्य शब्द का प्रयोग कर देते हैं और यह मान लेते हैं कि यह दोनों ही शब्द समानर्थी हैं ! लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है मैंने बहुत बड़े-बड़े विद्वानों को देखा है कि जो राष्ट्रद्रोही के स्थान पर राष्ट्रघाती शब्द का प्रयोग करते हैं और राष्ट्रघाती के स्थान पर राष्ट्रद्रोही शब्द का प्रयोग करते हैं ! ऐसी स्थिति में मेरे मन में यह विचार आया कि मैं इस लेख के माध्यम से राष्ट्रद्रोही और राष्ट्रघाती के मध्य अंतर स्थापित करूं ! जिससे लोगों में शब्द भ्रम की स्थिति न रहे !

जब कोई व्यक्ति किसी राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति, नीति और विधि को मानने वाला होता है लेकिन वैचारिक सिद्धांतों के मतभेद के कारण वह व्यक्ति राष्ट्र की नीति और विधि या शासक की नीतियों के विरुद्ध अपने विचार व्यक्त करता है ! तो वह व्यक्ति शासक की निगाह में राष्ट्रद्रोही होता है ! लेकिन राष्ट्रद्रोही व्यक्ति कभी भी राष्ट्र या उसकी सभ्यता संस्कृति का अहित नहीं सोचता है और न ही वह अपने राष्ट्र की सभ्यता संस्कृति को नष्ट करने हेतु कोई प्रयास करता है !

कहने का तात्पर्य यह है कि जब कोई व्यक्ति वैचारिक और सैद्धांतिक असंतोष के कारण शासक की नीति या विधि व्यवस्था का सही मंच पर तर्कसंगत तरह से विरोध करता है और जबकी उसका वह विरोध राष्ट्र के हित में होता है तो शासक की निगाह में वह व्यक्ति को राष्ट्रद्रोही कहा जाता है !

किंतु इसके विपरीत जब कोई व्यक्ति जिस राष्ट्र में रहता है और उस राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति, नीत, विधि के विनाश के लिये कोई कार्य करता है ! तो ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रद्रोही नहीं बल्कि राष्ट्रघाती कहा जाता है अर्थात कहने का तात्पर्य है कि भारत जैसे देश जहां सनतन संस्कृति है ! जिसकी सभ्यता हिंदुत्व से ओतप्रोत है ! वहां पर यदि कोई व्यक्ति सनातन संस्कृति और हिंदुत्व को नष्ट करने के लिये कोई कार्य करता है ! तो वह व्यक्ति राष्ट्रघाती कहलायेगा !

ऐसा व्यक्ति प्रायः किसी अन्य सभ्यता, संस्कृति या राष्ट्र विरोधी षड्यंत्रकारियों से प्रभावित होता है और उनके बहलाने फुसलाने पर या उसके दबाव में जिस राष्ट्र में वह रहता है ! उसकी सभ्यता, संस्कृति के विरुद्ध कोई कार्य करता है ! तो ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रघाती कहा जाता है अर्थात राष्ट्र का नुकसान करने वाला कहा जाता है !

इसमें वह सभी लोग आते हैं जो आज धर्मांतरित हो चुके हैं या धर्मांतरण कराने वालों का सहयोग करते हैं ! जो जेहाद या आतंकवाद का किसी भी रूप में समर्थन करते हैं या फिर सनातन देवी देवताओं का सार्वजनिक अपमान करने वाले, मंदिरों को तोड़ने वाले या मूर्तियों को खंडित कर देने वाले या फिर देवी-देवताओं के चित्र को आग लगा देने वाले या फिर विधर्मियों को संरक्षित और पोषित आदि करने का कार्य करने वाले होते हैं ! यह सभी लोग राष्ट्रघाती हैं !

इस पूरे लेख का निष्कर्ष यह है कि राष्ट्रद्रोही अपने को उस राष्ट्र का अभिन्न अंग मानता है और उस राष्ट्र की गलत नीतियों के विरुद्ध या शासक की गलत नीतियों के विरुद्ध आवाज उठाता है ! वह शासन सत्ता की निगाह में राष्ट्रद्रोही है ! लेकिन वास्तव में ऐसा व्यक्ति राष्ट्र और समाज के हित में अपनी आवाज बुलंद करता है ! दूसरी तरफ राष्ट्रघाती वह व्यक्ति है जो राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति, नियम, विधि, जीवन शैली, सिद्धान्त आदि को ही नष्ट कर देना चाहता है और इसके लिये वह स्व प्रेरणा से या किसी के बहकावे पर या विदेशी षड्यंत्रकारियों के इशारे पर कार्य करता है ! तो वह व्यक्ति राष्ट्रघाती है !

दूसरे शब्दों में कहा जाये कि राष्ट्र की चिंता करने वाला चिंतनशील व्यक्ति जिसके अंदर वैचारिक परिपक्वता है वह राष्ट्र को और मजबूत स्थिति में लाने के लिये वह शासन सत्ता की नीतियों का तो विरोध करता है लेकिन देश की सभ्यता और संस्कृति की रक्षा भी करता है ! किन्तु वह शासन सत्ता के निगाह में राष्ट्रद्रोही है ! जैसे लोक मान्य तिलक, वीर सावरकर आदि !

किंतु जिस व्यक्ति में चिंतन भी अपरिपक्व होता है ! वह लोभ और लालच के लिये दूसरों के निर्देश पर राष्ट्र के अंदर राष्ट्र की ही सभ्यता और संस्कृति को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से कार्य करता है ! वह व्यक्ति राष्ट्रघाती होता है ! यह बेसिक अंतर है दोनों में इसको मैं इस लेख में प्रस्तुत करना चाहता हूं !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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