आजकल मैं देख रहा हूं कि बहुत से लोग राजीव दीक्षित जैसी शैली में वक्तव्य देकर, भगवा या सफेद कपड़े पहन कर, दाढ़ी-मूछें, बाल बढ़ाकर राजीव दीक्षित जैसा बनने की कोशिश कर रहे हैं ! लेकिन राजीव दीक्षित ने न तो कभी भगवा या सफेद वस्त्र धारण किये थे और न ही कभी दाढ़ी मूछ बढ़ाकर समाज को लुभाने का प्रयास किया था !
राजीव दीक्षित एक युगपुरुष थे ! उन्होंने अपनी शिक्षा से अलग हट कर संवैधानिक व्यवस्था, विधि व्यवस्था, सनातन संस्कृति, वैदिक कृषि पद्धति, आयुर्वेद, संस्कार, उद्योग, भ्रष्ट सामाजिक व्यवस्था आदि न जाने कितने विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये !
ऐसे विचारक अभ्यास से नहीं बनते ! यह ईश्वर के निर्देश पर भेजे गए युगपुरुष होते हैं ! जो ईश्वरीय संदेश का प्रचार-प्रसार करके वापस पुनः ईश्वर के पास चले जाते हैं जैसे आदिगुरु शंकराचार्य, गोस्वामी तुलसीदास, स्वामी विवेकानंद, दयानन्द सरस्वती आदि !
अब कोई व्यक्ति यह सोचे कि मैं भगवा या सफेद कपड़े पहनकर संतों जैसा आडंबर ओढ़कर, एक युग पुरुषों की नकल कर लूंगा ! तो मेरा सबसे पहला प्रश्न उनसे यह है कि “युग पुरुषों के दिखाए हुए मार्ग पर चलना तो ठीक है ! लेकिन इनकी नकल करके समाज में घूमने की आवश्यकता क्या है ?”
स्पष्ट है जब कोई व्यक्ति किसी युगपुरुष की नकल करता है ! तो वह अंदर से तो उस युगपुरुष जैसा होता नहीं, लेकिन बाहर से समाज को दिखाने के लिए उस युगपुरुष जैसा आडंबर जरूर ओढ़ लेता है ! ऐसे लोग पाखंडी हैं और यह लोग समाज के लिए भविष्य में बहुत बड़ी समस्या पैदा कर देंगे !
आने वाली नस्लें राजीव दीक्षित को उसी रूप में जाने जिस रूप में वह वास्तव में थे ! न कि उन्हें इन फर्जी, पाखंडी राजीव दीक्षित जैसा दिखने वालों जैसा समझा जाये ! इसलिए राजीव दीक्षित के वास्तविक व्यक्तित्व को जीवित बनाये रखने के लिये यह परम आवश्यक है कि इन नकली राजीव दिक्षितों का बहिष्कार हो !
और धन्य है यह समाज जिसमें इस तरह के धूर्त-पाखंडी नकल करने वाले खुलेआम घूम रहे हैं और समाज उन्हें बड़े–बड़े मंचों पर बिठाकर उनका सम्मान कर रहा है ! जिस समाज के अंदर युगपुरुष और युगपुरुष का आडंबर ओढ़ने वालों में अंतर भेद करने का समर्थन न हो ! उस समाज का भविष्य निश्चित रूप से अंधकारमय है !
राजीव दीक्षित जी ईश्वर की बनाई हुई एक अद्भुत कृति थे ! जो कोई भी मनुष्य मात्र अभ्यास से नहीं बन सकता ! इसलिए बेहतर होगा राजीव दीक्षित जी के बतलाए हुए मार्ग पर चला जाए ! उनके दिशा निर्देश पर कार्य किया जाये और उनके द्वारा दिये गये ज्ञान का विश्लेषण करके उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का विशेष प्रबंध किया जाए ! लेकिन अपने थोड़े से सम्मान या धन के लिये स्वयं राजीव दीक्षित जैसा आडम्बर करके दिखाने का प्रयास न किया जाए !
क्योंकि जब कोई व्यक्ति समाज में किसी दूसरे युग पुरुष जैसा दिखना चाहता है तो यह निश्चित मानिये कि वह व्यक्ति अंदर से ईमानदार नहीं है और अपनी बेईमानी को छुपाने के लिए किसी न किसी युगपुरुष की नकल कर रहा है ! ऐसा व्यक्ति समाज और राष्ट्र दोनों के लिए घातक है ! इनसे राष्ट्रहित में समाज को बचकर रहना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग राजीव दीक्षित जैसे युगपुरुष के वास्तविक व्यक्तित्व पर भी प्रश्नचिन्ह लगा देंगे !