योरोप भगवान राम के पूर्वजों ने बसाया था ! : Yogesh Mishra

श्रीराम कथा के प्रभाव की व्यापकता को देखकर अंग्रेजों की शह पर पाश्चात्य तथाकथित विद्वानों ने रामायण को ई. पू. 300 से 100 ई पू की रचना कहकर काल्पनिक पात्र घोषित करने का षड्यंत्र रचा था ! जिन्होंने रामायण को बुद्ध की प्रतिक्रिया में उत्पन्न भक्ति महाकाव्य ही माना तथार्थ इतिहास नहीं !

जिस पर तथाकथित मुर्ख अंग्रेजों के दलाल भारतीय विद्वान् इतिहासकार तो पाश्चात्यों से भी आगे निकल गये ! इन अनुयायियों ने तो रामायण को मात्र 2000 वर्ष ईशा के पहली शदी की रचना माना है ! इन इतिहासकारों ने श्रीराम से जुड़े साक्ष्यों की अनदेखी नहीं की अपितु साक्ष्यों को छिपाने का पूरा प्रयत्न किया है ! जो कि एक अक्षम्य अपराध है !

भारत में जहाँ किष्किन्धा में 6485 (4401 ई पू का ) पुराना गदा प्राप्त हुआ था ! वहीं गान्धार में 6000 (4000 ई पू ) वर्ष पुरानी सूर्य छाप की स्वर्ण व रजत मुद्राएँ भी मिली हैं ! हरियाणा के भिवानी में भी स्वर्ण मुद्राएँ प्राप्त हुईं जिन पर एक तरफ सूर्य और दूसरी तरफ श्रीराम-सीता-लक्ष्मण बने हुये थे !

अयोध्या में 6000 वर्ष पुरानी (4000 ई पू की ) तीन चमकीली धातु के वर्तन प्राप्त हुये थे ! दो थाली एक कटोरी जिन पर सूर्य की छाप थी और 7000 वर्ष पुराने (5000 ई पू से पहले के) ताम्बे के धनुष बाण प्राप्त हुये थे !

श्रीलंका में अशोक वाटिका से 12 किलोमीटर दूर दमबुल्ला सिगिरिया पर्वत शिखर पर 350 मीटर की ऊंचाई पर 5 गुफाएं हैं ! जिन पर प्राप्त हजारों वर्ष प्राचीन भित्तिचित्र रामायण की कथा से सम्बंधित हैं !
उदयवर्ष (जापान) से यूरोप, अफ्रीका से अमेरिका सब जगह रामायण और श्रीराम के विभिन्न चिन्ह प्राप्त हुये हैं ! जिनका यहाँ विस्तार से वर्णन भी नही किया जा सकता है !

उत्तरी अफ्रीका का मिश्र देश भगवान् श्रीराम के नाम से बसाया गया था ! जैसे रघुवंशी होने से भगवान् रघुपति कहलाते हैं ! वैसे ही अज जो कि राम के बाबा थे उनके द्वारा बसाया गया नगर के राजा प्राचीन समय में “अजपति” कहलाते थे ! अज पत्नी का नाम महारानी “इंदुमती” था ! जो वास्तव में एक अप्सरा थी ! अप्सरा से विवाह करने के कारण उन्हें भारी जन विरोध झेलना पड़ा ! अत: वह गुरु वशिष्ठ के परामर्श पर अपना राज्य पाठ अपने गुरु वशिष्ठ और महामंत्री सुमंत्र को देकर अपने कुछ विश्वसनीय व्यक्तियों के साथ भारत छोड़ कर दूरस्त सुनसान निर्जीव स्थल इजिप्ट चले गये !

और प्रथम संतान होने पर पोषण हेतु उस बालक को आचार्य मरुदनव को दिया ! जिसने गौ माता सुरभि जो समुद्र मंथन में प्राप्त कामधेनु की पुत्री थी ! उसकी बेटी ‘नंदिनी” नाम की गौ के दूध इसका पोषण किया और शिक्षित किया ! यही बालक कालान्तर में कौसलपुर के अत्यंत प्रतापी राजा “महारज दशरथ” के नाम से विख्यात हुये और 18 वर्ष की आयु में अयोध्या के राज सिंहासन पर विराजमान हुये ! इन्हीं के पिता अजपति से Egypt शब्द बना है जो पहले Eagypt था !

राजा दशरथ के पुत्र राम को Egypt के निवासियों ने अपना प्राचीन राजा माना है ! इसका उल्लेख Ezypt के इतिहास में मिलता है ! वहीं सबसे लोकप्रिय राजा रैमशश भगवान् राम का ही अपभ्रंश नाम है !

यूरोप का रोम नगर का नामकरण भगवान राम के ही नाम से हुआ था ! जो कभी यूरोप की राजधानी रहा करती थी ! जिसकी स्थापना भगवान् श्रीराम के जन्म दिवस पर चैत्र शुक्ल नवमी अर्थात 21 अप्रैल 753 ई पू (2769 वर्ष पहले ) को हुई थी ! विश्व इतिहास के किसी भी प्राचीन नगर की स्थापना की निश्चित तिथि नहीं बस केवल रोम को छोड़कर !

यही नहीं इस नगर के ठीक विपरीत दिशा में वर्तमान इटली में रावण का नगर Ravenna भी स्थापित किया गया था ! जो आज भी विद्यमान है ! जहाँ मूर्ति चित्र में रावण सीताजी को डरा धमका रहा है ! साथ में विभीषण जी भी खड़े हैं ! इसी तरह के अनेकों मूर्ति चित्र थे ! जिन्हें बाद में ईसाइयत के विस्तार के समय पोप के आदेश पर नष्ट कर दिया गया !

पोकाँक रचित भूगोल के पृष्ठ 172 से इटली से प्राप्त प्राचीन रामायण के चित्र प्रकाशित हैं ! जिन्हें बाद में पोप के अनुयायीयों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया ! यह चित्र 700 ई पू (2700 वर्ष पहले ) के हैं ! जिनमें रामायण कथा के सभी चित्र तो हैं ही साथ में उत्तर काण्ड के लवकुश चरित्र के भी चित्र हैं ! यहीं नहीं लवकुश के द्वारा श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े का पकड़ने की लीला के चित्र भी अंकित हैं !

जो वाल्मीकिकृत रामायण के न होकर पद्मपुराण की लीला के हैं ! जो यह सिद्ध करते हैं कि रामायण रोम और इटली की स्थापना से पूर्व की लिखी कृति है ! न कि मात्र ईशा से 500 साल पहले की ! इसी तरह पद्मपुराण भी 5700 वर्ष पहले व्यासजी द्वारा लिखा गया था !

यही नहीं इन चित्रों में प्राचीन रोम के सन्त और राजा भारतीय आर्य परिधान, कण्ठी और उर्ध्वपुण्ड्र तिलक भी लगाया करते थे जो उनके वैष्णव होने के प्रमाण हैं ! प्राचीन बाइबल में भी जिन सन्तों का चित्र अंकित था ! वह भी धोती, कण्ठी धारण किये हुये थे और उर्ध्वपुण्ड्र तिलक लगाये थे ! 2700 वर्ष प्राचीन इटली से प्राप्त रामायण के चित्रों में बाली द्वारा सुग्रीब् की पत्नी के हरण और वन जाते हुये भगवान् श्रीसीता-राम-लक्ष्मण जी के सहस्रों वर्ष प्राचीन प्रमाण विद्यमान हैं !

इससे सिद्ध होता है कि यूरोप की स्थापना और विस्तार भगवान श्री राम के वंशजों ने किया था ! जो वास्तव में अयोध्या से जाकर वहां स्थापित हुये थे ! किंतु कुछ मूर्ख लोग कहते हैं कि आर्य यूरोप से भारत आये थे ! इसीलिये भारतीय आर्य का डी.एन.ए. यूरोप के निवासियों से मिलता है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter