राजनीति से ब्राह्मणों का पलायन राष्ट्रहित में नहीं है : Yogesh Mishra

शायद यह बहुत कम लोग जानते हैं कि ब्राह्मण अनादि काल से लड़ाकू नस्ल रही है इसका शस्त्र और शास्त्र दोनों पर समान अधिकार रहा है ब्राह्मणों ने ही सदैव से क्षत्रियों को शस्त्र विद्या देकर युद्ध के लिये तैयार किया है और समाज के हर वर्ग को शास्त्र की विद्या देकर समाज को संगठित और उर्ध्वगामी बनाया है ! जिस कारण ब्राह्मण सदैव से देवताओं के लिये भी वंदनीय रहा है !

इसका मूल कारण यह है कि ब्राह्मण में ईश्वर द्वारा प्रदत्त नौ देवीय के गुण होते हैं ! “रिजुः तपस्वी सन्तोषी क्षमाशीलाे जितेन्र्दियः ! दाता शूर दयालुश्च ब्राह्मणाे नवभिर्गुणै: !!” अर्थात सरलता, तपस्वी, सन्तोष, क्षमा, इन्द्रियों का निग्रह करने वाला, दान करने वाला, बहादुर, दयालु, निर्भयता !

इन सभी गुणों से संपन्न ब्राह्मण ही राष्ट्र की रक्षा कर सकता है ! इसीलिये जब राष्ट्र पर कोई बड़ा संकट आता है तो ब्राह्मण ही सबसे आगे बढ़कर उस संपूर्ण संकट का समाधान करता है ! यही अनादि काल से रचित इतिहास है ! हमारे इतिहास में— परशुराम, पुष्यमित्र, चाणक्य, बाल गंगाधर तिलक, चंद्रशेखर आजाद, मंगल पाण्डेय, रानी लक्ष्मीबाई, नाथूराम गोडसे, अटल बिहारी बाजपेई, राजीव दीक्षित जैसे एक से एक मेधावी शूरवीर ब्राह्मण योद्धा हुये ! जिन्होंने राष्ट्र की विपत्ति के काल में राष्ट्र की दशा और दिशा दोनों बदल दी यह साहस विपरीत परिस्थितियों में एक शुद्ध रक्त का ब्राह्मण ही कर सकता है !

आज फिर राष्ट्र संकट में है ! देश की अर्थव्यवस्था गलत नीतियों के कारण तहस-नहस हो गई है ! राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्रकारियों के शिकंजे में दिन प्रतिदिन कसता जा रहा है ! शासन और प्रशासन की निरंकुशता से जनता त्राहिमाम कर रही है ! राष्ट्र की न्याय व्यवस्था शिथिल पड़ गई है ! चिकित्सा के नाम पर खुले आम लूट हो रही है ! भ्रम और सही समय पर सही निर्णय न लिये जाने के कारण पूरे राष्ट्र में लाशों का अंबार लग गया है !

राष्ट्र के इस विपत्ति के काल में यह उचित समय है कि ब्राह्मणों को आगे आकर सदैव की तरह राष्ट्र की कमान संभालनी चाहिये क्योंकि अब राष्ट्र जिस दलदल में फंस गया है ! उसे एक तेजस्वी ब्राह्मण ही निकाल सकता है ! जिसे देश, काल, परिस्थिति, नीति, धर्म और राजनीति की सही समझ हो तथा उसमें सही समय पर कठोर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सही निर्णय लेने का साहस भी हो ! यह सारे गुण स्वाभाविक रूप से ब्राह्मणों में ही पाये जाते हैं !
बहुमत की राजनीति करने वाले लोकतंत्र के शासकों ने समाज को बरगला कर झूठे प्रपंच और वादों का मात्र आईना दिखा कर आज राष्ट्र को जिस दलदल में फंसा दिया है, वहां से यदि तत्काल भारत के राजनीतिक की कमान ब्राह्मणों ने नहीं संभाली तो भारत की सनातन संस्कृति के साथ-साथ भारत का अस्तित्व भी खत्म हो जायेगा !
इसलिये यह आवश्यक है कि वर्तमान समय में ब्राह्मण राष्ट्र की राजनीति में सक्रिय हों और सभी को साथ लेकर राष्ट्रहित में देश, काल, परिस्थिति के अनुसार यथोचित निर्णय, उचित समय पर लेकर राष्ट्र को इस दलदल से निकालें !

वह ब्राह्मण ही क्या जो किसी भी परिस्थिति में राष्ट्र को बचाने का साहस न रखता हो ! लोकतंत्र की राजनीति में तो हर वर्ग के लोग सत्ता में आयेंगे जायेंगे ! कभी उनके निर्णय राष्ट्रहित में होंगे, तो कभी राष्ट्र विरोधी होंगे लेकिन ब्राह्मण के अतिरिक्त अन्य किसी में वह साहस नहीं कि जो इस विपरीत परिस्थितियों से राष्ट्र को निकाल कर उन्नति के शिखर की तरफ ले जाये !

इसलिये सभी तरह के पूर्वाग्रहों का त्याग करके वर्तमान विपरीत परिस्थितियों में राष्ट्र हित के लिये ब्राह्मणों को राष्ट्र के राजनीति की कमान अपने हाथ में संभालनी चाहिये ! फिर चाहे इसमें किसी भी स्तर का कितना भी विरोध क्यों न झेलना पड़े क्योकि यह विरोध ही उस ब्राह्मण को लोकतंत्र में ताकत होगी !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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