हमको कितने सलीके से लूटा गया है : Yogesh Mishra

मैं बात उस दौर की कर रहा हूं, जब घर में माताएं और बहनें अपने पति, भाई या पुत्र की आय से मिलने वाले घर खर्चे का एक अंश अपने भविष्य की कठिनाइयों के लिये बचा कर रख लेती थी, किंतु भारत का यह दुर्भाग्य रहा कि भारत में आतंकवाद की कमर तोड़ने के बहाने से नोटबंदी लागू की गई !

अब इससे आतंकवाद की कमर टूटी या नहीं यह तो पता नहीं, लेकिन घर में माताओं और बहनों ने जो अपने बचत की रकम परिवार से छुपा कर रखी हुई थी, वह जरूर नोटबंदी के चक्कर में नोट बदलने के लिये बैंक में चली गई और फिर कभी लौट कर माताओं बहनों को नहीं मिली !

इसी बीच सोने के सिक्के बेचने की योजना बैंक ने निकाली ! माताओं बहनों ने अपने उस जमा पूंजी से सोना खरीद लिया ! फिर 2019 में सोने पर लोन देने की योजना का बहुत तेजी से प्रचार प्रसार किया गया और लोगों ने को यह प्रेरित किया गया कि घर में पड़ा हुआ सोना बेकार है, ऐसी स्थिति में उस सोने के बदले में उसकी कीमत का 75% तक बैंक से लोन लेकर आप अपने बच्चे को पढ़ाइये, स्वत: रोजगार करिये, मकान खरीदिये, बच्चों का शादी विवाह करिये और धीरे-धीरे लोन की आसान किस्त अदा करते रहिये ! आपका सोना भी सुरक्षित रहेगा और आपके कार्य भी हो जाएंगे !

इस तरह से विज्ञापनों द्वारा समझाने के कारण लोगों ने जो सोना खरीदा था ! उसमें अपने घर के बहू, बेटी, पत्नी या अन्य पैतृक सोना मिलाकर बैंकों को सोना गिरवीं रख कर बड़ी मात्रा में लोन ले लिया और बड़ी सहजता से किस्त देना शुरू कर दिया !

अब वर्ष 2020 का मार्च आया ! जिसमें क रोना के कारण पूरे देश में अचानक लॉक डाउन लग गया ! परिणाम यह हुआ कि लोग अपने लोन की किस्त अदा नहीं कर पाये ! थोड़ी स्थिति जब सुधरी तब बैंकों के अत्याधिक दबाव में बवाल से बचने के लिये लोगों ने पुराने लोन की किस्त अदा करने के चक्कर में अपने घर में संग्रहित जमा पूंजी भी बैंकों को लोन की किश्त चुकाने के लिये दे दी ! जिससे लोगों की आर्थिक स्थिती और बिगड़ गयी !

फिर अचानक 2021 के मार्च से क रोना एक भयंकर महामारी के रूप में आया ! जिसने भारत के लगभग हर परिवार में लाशें बिछा दीं ! अपने परिवार के लोगों की रक्षा के लिये लोगों के पास जो भी कुछ इधर-उधर पैसा बचा था ! वह सब भी इलाज में खर्च हो गया और लाक डाउन लगा हुआ है ! अत: कोई नयी आय नहीं हो रही है ! जिससे अब आज स्थिति यह हो गयी है कि लोग अपने लोन की किस्त अदा नहीं कर पा रहे हैं ! तब क रोना आपदा ख़त्म होने के पहले ही बैंक ने यह निर्णय लिया है कि जो लोग लोन की किस्त अदा नहीं कर पा रहे हैं उनका सोना जप्त करके बेच दिया जाये !

कहने का तात्पर्य यह है कि सबसे पहले नोटबंदी की गई ! जिससे घर का पैसा बैंक में पहुंच गया ! फिर उस बैंक के पैसे को सोने में कन्वर्ट किया गया ! फिर उस सोने को वापस बैंक ने लोन देने के बहाने गिरवीं रूप में ले लिया और अब दो राष्ट्रीय लाक डाउन के कारण लोन की किस्त न दे पाने के कारण व्यक्ति का सोना बैंक द्वारा जप्त किया जा रहा है !

जिस षडयंत्र के कारण व्यक्ति का अपना पारिवारिक सोना, बचत की पूंजी और घर, मकान, परिवार अचल संपत्ति तथा सामाजिक सम्मान, के साथ-साथ जीवन भर के लिये हमें डिफाल्टर बना कर हमारी भविष्य की संभावनाओं को भी छीन लिया !

यह कैसी राष्ट्रीय अर्थनीति है ! जिसने भारत के हर आम नागरिक को कंगाल दिया ! लेकिन भारत के किसी राजनीतिज्ञ या प्रशासनिक अधिकारी के वेतन सुविधा भत्ते आदि में कोई कमी नहीं की गयी ! यह प्रश्न आज भारत के हर आम आवाम के मन में बार-बार उठता है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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