विश्व सत्ता की आधीनता आखिर कब तक झेलनी पड़ेगी : Yogesh Mishra

पूरी दुनिया में फेसबुक के करोड़ों यूजर हैं और अगर व्हाट्सएप को भी जोड़ दिया जाये तो अरब से अधिक संख्या हो जायेगी ! सभी जगह अपनी-अपनी भाषा में विचारों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी है ! लोग अपने विचार प्रस्तुत करते भी हैं ! पढ़ने वाले पढ़ते भी हैं और मनन करने वाले मनन भी करते हैं ! लेकिन दुर्भाग्य यह है कि कहीं कोई भी परिवर्तन दिखाई नहीं दे रहा है !

अब प्रश्न यह है कि क्या हम सभी मूर्ख पाठक हैं, या हममें परिवर्तन करने का जज्बा ही नहीं बचा है, या फिर हम किसी अदृश्य सत्ता के गुलाम हैं ! जिसकी इशारे पर हम अपने जीवन का निर्वहन करने के लिये विवश हैं !

मेरी अपनी निजी सोच है कि विश्व को कब, कहां, किस दिशा में आगे बढ़ाना है ! इसका निर्धारण विश्व सत्ता को संचालित करने वाले कुछ लोग ही मिल कर करते हैं ! वह जो चाहते हैं ! इस दुनिया में वैसा ही घटित होता है ! वही लोग निर्धारित करते हैं कि हम कब-क्या सोचें ! क्या खायें और कैसे अभिव्यक्त करें !

इससे इतर यदि कोई व्यक्ति जाने की कोशिश करता है, तो या तो वह विश्व सत्ता चलाने वालों का शिकार हो जाता है या फिर दुनिया की बहुतायत मूर्ख जनता उसका उपहास उड़ा कर उसका मनोबल तोड़ देती है !

इसी का परिणाम है कि जब फेसबुक और व्हाट्सएप नहीं था ! तब भी मात्र सूचना तंत्र के हमले के द्वारा विश्व में दो महायुद्ध लड़े गये ! और यह सारे के सारे महायुद्ध विश्व सत्ता के इशारे पर विश्व को दिशा देने के उद्देश्य से लड़े गये थे ! इन महायुद्ध ने न जाने कितनी संस्कृतियों को नष्ट कर दिया !

जिन विचारकों और चिंतकों ने विश्व सत्ता विरुद्ध आवाज उठाने की कोशिश की ! उनको इसी विश्व सत्ता द्वारा संचालित शासन व्यवस्था ने या तो कुचल के नष्ट कर दिया या फिर इस विश्व सत्ता के इशारे पर चलने वाली न्यायपालिका ने उन्हें अपराधी घोषित करके मरते वक्त तक के लिये जेल की कालकोठरियों में बंद कर दिया !

भारत में भी ऐसे बहुत से उदाहरण हैं ! बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक, भगत सिंह, वीर सावरकर, लक्ष्मी बाई जैसे हजारों नाम हैं ! जिन्होंने इस विश्व सत्ता के विरुद्ध सर उठाने की कोशिश की और या तो उन्हें कुचल दिया गया या फिर उन्हें नष्ट कर दिया गया !

अंतर्राष्ट्रीय परिपेक्ष में भी देखें तो पायेंगे कि विश्व सत्ता के विरुद्ध चलने की इच्छा रखने वाले लोग अनायास ही काल के गाल में समा गये ! फिर चाहे वह सुकरात हो, ब्रूनो हो या फिर ओशो ! विश्व सत्ता के नुमाइंदे किसी को माफ नहीं करते !

फिर चाहे वह अमेरिका का राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन हो या फिर जॉन एफ॰ केनेडी ! या फिर भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, श्रीमती इंदिरा गांधी या राजीव गांधी जैसे प्रभावशाली लोग ही क्यों न हों !

अब प्रश्न यह है कि क्या आखिरकार विश्व सत्ता चलाने वाले चाहते क्या हैं ! उनकी नीति एकदम स्पष्ट है ! पूरे विश्व में एक ही सत्ता का शासन हो ! एक ही धर्म का अनुकरण हो ! एक ही अर्थव्यवस्था हो और एक ही न्याय व्यवस्था हो ! उनके रास्ते में जो भी आयेगा वह कोई भी हो उसको नष्ट कर दिया जायेगा ! यही उस शैतान की निशानी है !

अब देखना है कि सत्य सनातन हिंदू धर्म की रक्षा इन विपरीत परिस्थितियों में कैसे होगी ! कौन व्यक्ति पूरे विश्व को पुनः सत्य सनातन हिंदू धर्म के ध्वज के नीचे लाकर खड़ा करता है ! वह जो भी होगा ! ईश्वर का अंश होगा ! इसमें कोई संदेह नहीं है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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