जानिये वैष्णवो ने शैवों की धरती भारत को अपना कैसे बतलाया Yogesh Mishra

श्रीमद्भागवत पुराण के पञ्चम स्कन्ध में भारत राष्ट्र की स्थापना का वर्णन आता है ! भारतीय वैष्णव दर्शन के अनुसार सृष्टि उत्पत्ति के पश्चात ब्रह्मा के मानस पुत्र स्वयंभू मनु ने व्यवस्था सम्भाली ! इनके दो पुत्र, प्रियव्रत और उत्तानपाद थे ! इन्हीं प्रियव्रत के दस पुत्र थे ! तीन पुत्र बाल्यकाल से ही विरक्त थे ! इस कारण प्रियव्रत ने पृथ्वी को सात भागों में विभक्त कर एक-एक भाग प्रत्येक पुत्र को सौंप दिया !

इन्हीं में से एक थे आग्नीध्र जिन्हें जम्बूद्वीप का शासन कार्य सौंपा गया ! वृद्धावस्था में आग्नीध्र ने अपने नौ पुत्रों को जम्बूद्वीप के विभिन्न नौ स्थानों का शासन दायित्व सौंपा ! इन नौ पुत्रों में सबसे बड़े थे नाभि जिन्हें हिमवर्ष का भू-भाग मिला ! इन्होंने हिमवर्ष को स्वयं के नाम अजनाभ से जोड़ कर अजनाभवर्ष प्रचारित किया ! यह हिमवर्ष या अजनाभवर्ष ही प्राचीन भारत देश था !

राजा नाभि के पुत्र थे ऋषभ ! ऋषभदेव के सौ पुत्रों में भरत ज्येष्ठ एवं सबसे गुणवान थे ! ऋषभदेव ने वानप्रस्थ लेने पर उन्हें भरत को राजपाट सौंप दिया ! पहले भारतवर्ष का नाम ॠषभदेव के पिता नाभिराज के नाम पर अजनाभवर्ष प्रसिद्ध था फिर भरत के नाम से ही लोग अजनाभखण्ड को भारतवर्ष कहने लगे !

पाषाण युग भीमबेटका मध्य प्रदेश की गुफाएँ भारत में मानव जीवन का प्राचीनतम प्रमाण मिलते हैं ! उसके अनुसार प्रथम स्थाई बस्तियों ने 12,000 वर्ष पूर्व स्वरुप लिया था ! यही आगे चल कर सिन्धु घाटी सभ्यता में विकसित हुई, जो 5,000 ईसा पूर्व और 2,500 ईसा पूर्व के मध्य अपने चरम पर थी ! लगभग 9,000 ईसा पूर्व आर्य भारत आए और उन्होंने उत्तर भारतीय क्षेत्रों में वैदिक सभ्यता का सूत्रपात किया !

इस सभ्यता के स्रोत वेद और पुराणों में भी मिलते हैं ! किन्तु आर्य-आक्रमण-सिद्धांत अभी तक विवादस्पद है ! लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक सहित कुछ विद्वानों की मान्यता यह है कि आर्य भारतवर्ष के ही स्थायी निवासी रहे हैं तथा वैदिक इतिहास करीब 75,000 वर्ष प्राचीन है ! इसी समय दक्षिण भारत में द्रविड़ सभ्यता का विकास होता रहा ! दोनों जातियों ने एक दूसरे की खूबियों को अपनाते हुए भारत में एक मिश्रित-संस्कृति का निर्माण किया !

महाभारत युद्ध के बाद 3,000 ईसवी पूर्व कॆ बाद कई स्वतंत्र राज्य बन गए ! भारत के प्रारम्भिक राजवंशों में विक्रमादित्य राजवंश उल्लेखनीय हैं ! फिर प्रतापी सम्राट अशोक का विश्व इतिहास में विशेष स्थान है ! 18 ईसवी के आरम्भ से मध्य एशिया से भारत पर कई आक्रमण हुये, जिनके परिणामस्वरूप भारतीय उपमहाद्वीप में यूनानी , शक, पार्थी और अंततः कुषाण राजवंश स्थापित हुए ! तीसरी शताब्दी के आगे का समय जब भारत पर गुप्त वंश का शासन था, भारत का “स्वर्णिम काल” कहलाया !”

दक्षिण भारत में भिन्न-भिन्न काल-खण्डों में कई राजवंश चालुक्य , चेर , चोल, पल्लव तथा पांड्य रहे ! ईसा के आस-पास संगम-साहित्य अपने चरम पर था, जिसमें तमिळ भाषा का परिवर्धन हुआ ! सातवाहनों और चालुक्यों ने मध्य भारत में अपना वर्चस्व स्थापित किया ! विज्ञान, कला, साहित्य, गणित, खगोलशास्त्र , प्राचीन प्रौद्योगिकी, धर्म, तथा दर्शन इन्हीं राजाओं के शासनकाल में फले-फूले !

12वीं शताब्दी के प्रारंभ में, भारत पर इस्लामी आक्रमणों के पश्चात, उत्तरी व केन्द्रीय भारत का अधिकांश भाग दिल्ली सल्तनत के शासनाधीन हो गया; और बाद में, अधिकांश उपमहाद्वीप मुगल वंश के अधीन ! दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य शक्तिशाली निकला ! हालाँकि, विशेषतः तुलनात्मक रूप से, संरक्षित दक्षिण में अनेक राज्य शेष रहे, अथवा अस्तित्व में आये ! मुगलों के संक्षिप्त अधिकार के बाद सत्रहवीं सदी में दक्षिण और मध्य भारत में मराठों का उत्कर्ष हुआ ! उत्तर पश्चिम में सिक्खों की शक्ति में वृद्धि हुई !

17वीं शताब्दी के मध्यकाल में पुर्तगाल, डच , फ्रांस, ब्रिटेन सहित अनेक यूरोपीय देशों, जो भारत से व्यापार करने के इच्छुक थे, उन्होंने देश की आतंरिक शासकीय अराजकता का फायदा उठाया अंग्रेज दूसरे देशों से व्यापार के इच्छुक लोगों को रोकने में सफल रहे और 1840 तक लगभग संपूर्ण देश पर शासन करने में सफल हुए !

1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के विरुद्ध असफल विद्रोह, जो भारतीय स्वतन्त्रता के प्रथम संग्राम से भी जाना जाता है, के बाद भारत का अधिकांश भाग सीधे अंग्रेजी शासन के प्रशासनिक नियंत्रण में आ गया !

1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना ने स्वतन्त्रता आन्दोलन को एक गतिमान स्वरूप दिया ! बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में लम्बे समय तक स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये विशाल अहिंसावादी संघर्ष चला, जिसका नेतृत्व महात्मा गांधी, जो आधिकारिक रूप से आधुनिक भारत के ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में संबोधित किये जाते हैं, इसी सदी में भारत के सामाजिक आन्दोलन , जो सामाजिक स्वतंत्र्यता प्राप्ति के लिए भी विशाल अहिंसावादी एवं क्रांतिवादी संघर्ष चला, जिसका नेतृत्व डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर ने किया, जो ‘आधुनिक भारत के निर्माता’, ‘संविधान निर्माता’ एवं ‘दलितों के मसिहा’ के रूप में संबोधित किये जाते है !

इसके साथ-साथ चंद्रशेखर आजाद , सरदार भगत सिंह, सुखदेव , राजगुरू , नेताजी सुभाष चन्द्र बोस , वीर सावरकर आदि के नेतृत्व मे चले क्रांतिकारी संघर्ष के फलस्वरुप 15 अगस्त 1947 भारत ने प्रत्यक्ष अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की ! तदुपरान्त 26 जनवरी 1950 को भारत एक गणराज्य बना !

यहां यह बतलाया जाना आवश्यक है कि भारत के मूल निवासी “शैवों” के दृष्टिकोण से भारत का इतिहास, वैष्णव इतिहास लेखन परंपरा से एकदम अलग है ! शिव की उपासना करने वाले भारत के शैव उपासक आदि पुरुष महर्षि कश्यप को मानते हैं ! शैव वंशी भारत के इतिहास के संदर्भ में जो लेखन करते हैं, उसके लिए मैंने अलग से एक लेख लिखा है ! जो व्यक्ति से शैव के दृष्टिकोण से भारत के इतिहास को जानना चाहता हैं, वह मेरे दूसरे लेख को पढ़ें !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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