यदि राष्ट्र को बचाना है तो ! Yogesh Mishra

यदि देश को बचाना है तो जनप्रतिनिधि, कार्यपालिका, न्यायपालिका और प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित हो ! त्वरित न्याय व्यवस्था लागू हो ! न्याय प्राप्त करने की अधिकतम समय सीमा प्रथम अदालत में मुकदमा दाखिल करने से अंतिम अदालत के निर्णय प्राप्त करने तक की अधिकतम समय सीमा 2 वर्ष निर्धारित किया जाना चाहिये !

भारत में सभी तरह के गैर सरकारी संगठन अर्थात एन.जी.ओ. पर सरकार का सीधा और पूर्ण नियंत्रण होना चाहिये !

राजद्रोह और राष्ट्रद्रोह के बीच भेद सुनिश्चित हो और राष्ट्र द्रोही व्यक्ति को मृत्युदंड की व्यवस्था की जाये !

सभी तरह के उत्पादन व सेवायें व्यवसायिक रूप में उद्योगपति और व्यवसायियों द्वारा किये जायें ! सरकार मात्र मूल्य पर नियंत्रण एवं गुणवत्ता को ही नियंत्रित करें !

शिक्षा पूरी तरह से गुणवत्ता प्रधान और निशुल्क घोषित की जाये ! शिक्षित व्यक्ति की अपना निजी व्यापार व्यवसाय करने की अधिकतम योग्यता इंटर पास हो एवं व्यवसायिक प्रयोगात्मक शिक्षा पर अधिक बल दिया जाये ! लिखित शिक्षा पद्धति स्वरुचि का विषय हो अनिवार्य नहीं !

उच्चतम स्तर की शिक्षा, चिकित्सा व भोजन के अधिकार को मौलिक अधिकार में शामिल किया जाये ! शिक्षा, भोजन और चिकित्सा के लिये अधिकतम शुल्क का निर्धारण किया जाये !

भारत की मुद्रा, विदेश नीति एवं राष्ट्रीय गोपनीयता नियम में संशोधन कर उन्हें पूरी तरह से राष्ट्र के अनुकूल बनाया जाये !

अधिकतम चल अचल संपत्ति की सीमा का निर्धारण किया जाये तथा जिन लोगों के पास उस सीमा से अधिक चल अचल संपत्ति है ! उसको जप्त कर के सरकार निजी प्रयोग हेतु अन्य नागरिकों को उपलब्ध करवाये !

सभी के आय के स्रोत और चल अचल संपत्ति का मूल्यांकन सार्वजनिक हों !

धर्म को राष्ट्र नीति और राजनीति से अलग किया जाये ! सत्ता प्राप्ति के लिये धर्म और जाति का उपयोग अपराध घोषित किया जाये !

धर्म से अधिक महत्व राष्ट्र नीति को दिया जाये ! जिससे धर्म की ओट में सामाजिक विकृतियां समाप्त हो सकें !

अल्पसंख्यक एवं आरक्षण का दर्जा खत्म किया जाये ! प्रत्येक व्यक्ति को अपनी योग्यता, क्षमता, प्रतिभा के अनुसार राष्ट्रीय सेवाओं में समान अवसर प्राप्त हो ! निर्बल वर्ग को संसाधन उपलब्ध कराये जायें ! जिससे वह सामान्य वर्ग के साथ प्रतियोगिता कर सके !

आज सभी चाहते हैं कि भारत विश्व गुरु बने और पूर्व की तरह पूरे विश्व में अपनी प्रतिभा, क्षमता, योग्यता, ज्ञान, आर्थिक संपन्नता और राजनीतिक कुशलता के कारण पुनः विश्व का मार्गदर्शक बने !
किंतु प्रश्न यह है कि भारत को यह सब बनाने के लिये समाज में वह कौन लोग हैं जो अपना क्षणिक स्वार्थ छोड़ने को तैयार हैं ! जिससे भारत को विश्व में यश और प्रभाव मिलेगा !

जिस देश के अंदर आम जनमानस के बौद्धिक स्तर यह है कि वह सामान्य राजनीति के सामान्य सिद्धांतों को भी नहीं जानता है ! सामाजिक जिम्मेदारी का स्तर यह है कि व्यक्ति ट्रेन में यात्रा करने के सामान्य सिद्धांत नहीं जानता है और सड़क पार करने के सामान्य सिद्धांतों की जानबूझ कर अवहेलना करता है ! ऐसी स्थिति में वह कौन सा वर्ग भारत में है जो भारत को पुनः विश्व गुरु बनायेगा ! इस पर विचार कीजिये !

जिस देश में समाज के हर कार्यों में व्यक्ति हर निर्णय अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और हित के लिये ले रहा है ! राष्ट्र के प्रति समर्पित होने का भाव आज समाज में कहीं भी दिखाई नहीं देता है ! हर व्यक्ति अधिक से अधिक राष्ट्र और समाज का शोषण करके अपने को संपन्न बनाना चाहता है ! जिस व्यक्ति ने सही गलत किसी भी नीति से जो संपत्ति अर्जित कर ली है वह उसके विस्तार और संरक्षण में ही लगा हुआ है ! उसे इस बात से कोई मतलब नहीं है किस समाज और राष्ट्र का कितना नुकसान हो रहा है या यह देश कहां, किस दिशा में जा रहा है !

राष्ट्र हमारे आप जैसे आम नागरिकों का समूह है ! यदि हम जागरूक, विचारशील, चिंतन प्रधान, भविष्य के रणनीतिकार होंगे तो निश्चित ही हमारा राष्ट्र विश्व गुरु बनेगा ! किन्तु व्यावहारिक तौर पर ऐसा नहीं पाया जाता है !

हमारे राष्ट्र में जनप्रतिनिधि चुनाव इसलिये लड़ते हैं कि वह सत्ता सुख को भोग सकें ! उन्हें राष्ट्र के विकास में कोई रुचि नहीं है ! जो व्यक्ति या जनप्रतिनिधि कार्य पालिका में अर्थात मंत्रिमंडल के अंदर आ जाते हैं ! उनकी पूरी की पूरी रुचि बस सिर्फ अपने व्यक्तिगत वैभव के विस्तार में होती है ! वह इस अवसर को अधिकतम संसाधन संग्रह में बदल देना चाहते हैं ! उन्हें अपने राष्ट्र से कोई लगाव नहीं है !

भारत की न्यायपालिका के अंदर बैठे हुये न्यायाधीश गण अपने वैभव वेतन, भत्ते में अधिक रुचि रखते हैं न कि जनता को न्याय देने में ! वह किसी भी ऐसे विषय में नहीं उलझना चाहते हैं ! जो उनके वैभव और सुख को कम करता हो ! इसी कारण न्यायपालिका आज एक पंगु व्यवस्था के तौर पर भारत के अंदर घिसट रही है !

प्रशासनिक अधिकारी देश की सेवा के लिये नौकरी ज्वाइन तो जरूर करता है लेकिन वातावरण को देखकर वह देश सेवा के स्थान पर निजी विकास और निजी सेवा में लग जाता है ! जिससे राष्ट्र को अपूरणीय क्षति हो रही है !

इन सभी के बीच विचारशील, चिंतन प्रधान, राष्ट्रप्रेम थोड़े से लोग जो देश को नई दिशा देने के लिये तत्पर हैं ! किंतु जब तक उन्हें समाज के बड़ा वर्ग का सहयोग नहीं मिलेगा ! तब तक वह लोग भी क्या कर सकते हैं ! अत: जिनके पास सत्ता की शक्ति है वह लोग जब तक राष्ट्र के चिंतकों के साथ सहयोग नहीं करेंगे ! तब तक राष्ट्र विश्व गुरु कैसे बन सकता है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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