विश्व की सबसे बड़ी आवश्यकता क्या है ? Yogesh Mishra

आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में हम सभी इतने ज्यादा व्यस्त है कि स्वंय के लिये भी हमारे पास समय नहीं है ! सुबह से लेकर शाम तक काम के लिये भागना होता है ! न समय पर भोजन, न शारिरिक स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना आज हम सभी की आदत सी बन गई है ! जिसके कारण शारिरिक एवं मानसिक थकान के साथ-साथ कई तरह की बीमारियां भी हमें घेरे रहती हैं !

हम अपने शरीर और दिमाग को आराम देने के लिये आज क्या कुछ नहीं करने की सोचते हैं ! व्यस्तता के चलते परिवार संग समय भी नहीं बिता पाते हैं ! ऐसे हम अवकाश लेकर किसी शांति के स्थल पर जाने का विचार करते हैं ताकि हमारा शरीर और मन शांत हो सके ! शहर के शोर-शराबों से दूर कुछ प्राकृतिक चीजों का आनंद ले सके !

आज के समय में व्यस्त कार्यक्रम के साथ हर किसी को पीछे एक कदम पीछे हटकर स्वंय के बारे में सोचने की आवश्यकता है ताकि हम खुद को जीवित रख सके ! आगे बढ़ने की होड़ में हम किसी मशीन की तरह हो गये हैं ! हम सोचते हैं जो बस चलता तो इसी से छुटकारा पाने के लिये तथा दिमाग और शरीर को आराम देने की जरुरत है !

लोग अब छुट्टियों के लिये समुद्र तटों और भीड़-भाड़ वाले पर्यटन स्थलों के बजाये आध्यात्मिक योग और ध्यान केन्द्रों की तलाश में हैं ! ताकि वह न केवल अपने शरीर को उर्जावान बना पायें साथ ही दिमाग को भी शांत कर एकागृता अक भी आनंद ले सकें !

योग और ध्यान एक साथ करने के लिये परिकल्पित किये गये हैं ! योग शरीर को मजबूत बनाने में मदद करता है तो ध्यान एक सामान्य व्यक्ति द्वारा प्राप्त की जाने वाली चेतना के एक उच्च रूप (ब्रह्मांडीय चेतना) के साथ उसकी आत्मा को जोड़ने में मदद करता है !

आज पश्चिम के देशों में भी योग और ध्यान अत्यंत लोकप्रिय हो गया है जबकि भारत ने इन दोनों का आविष्कार और विस्तार किया लेकिन 800 साल की गुलामी के कारण भारत में यह ज्ञान धीरे-धीरे विलुप्त हो गया है और जहाँ पर है भी उन पाँच सितारा आश्रम में आवास से लेकर मूल भूत सभी सुविधायें उपलब्ध हैं ! किन्तु वह अत्यंत महँगी हैं !

आज आवश्यकता है प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच युवा पुन: चेतना (रिफ्रेशर) गुरुकुलों की ! जहाँ अल्प समय में ही व्यक्ति योग, ध्यान, प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद, कायाकल्प, योग निद्रा आदि के द्वारा अपनी जीवनी ऊर्जा को पुन: सक्रिय कर सके ! कायाकल्प, स्विमिंग पूल और स्वादिष्ट कार्बनिक शाकाहारी भोजन, औषधीय पौधों के मध्य भ्रमण, अद्भुद शांति के मध्य अनुभूति, आदि वहां सभी कुछ हो ! जिससे व्यक्ति को अपने बारे में पुनः विचार का अवसर मिल सके !

और इनके मूल्य इतने कम हों कि समाज का मध्यमवर्गीय व्यक्ति भी इस सुविधा का लाभ ले सके ! क्योंकि संपन्न व्यक्ति तो अधिक पैसे देकर देश-विदेश कहीं भी इस तरह के अवसरों का लाभ उठा सकता है ! किंतु सबसे अधिक तनाव में रहने वाला मध्यमवर्गीय व्यक्ति आर्थिक कारणों से इस तरह के आध्यात्मिक चेतना केन्द्रों का लाभ नहीं उठा पाता है !

आज देश-विदेश में जो भी आध्यात्मिक चेतना केंद्र चल रहे हैं ! वह विशुद्ध व्यवसाय के अड्डे हैं ! जहां पर आडंबर और सुविधाओं के समावेश में उस चेतना केंद्र का मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्त करना ही विलुप्त हो जाता है !

यदि सनातन जीवन शैली के अनुरूप आडम्बर विहीन ऐसे केंद्र स्थापित किये जायें तो निश्चित ही यह हमारे दिल, दिमाग और शरीर को आराम देने के साथ ही हमें आगे के जीवन के लिये पुनर्जीवित करने में मदद करेंगे ! यह केंद्र सामान्य पर्यटक ही नहीं बल्कि समाज को सनातन जीवन शैली से जीवन निर्वहन के लिये प्रशिक्षित भी करेंगे ! जिससे हममें ही नहीं विश्व में भी अमन चैन स्थापित होगा !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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