यदि भारत और चीन का युद्ध हुआ तो : Yogesh Mishra

यदि भारत और चीन के बीच युद्ध होता है और दोनों देश खुद के हथियारों से लड़ते है, यानी भारत को अमेरिका और रूस सहयोग नहीं करते हैं तो चीन की फौजे मात्र एक हफ्ते के अंदर दिल्ली तक पहुँच जायेगी ! इसे रोकने की कोई भी व्यवस्थित तैयारी अभी तक भारत के रणनीति कारों के पास नहीं है !

किन्तु व्यवहारिक तौर पर ऐसा होगा नहीं ! क्योंकि एशिया में शक्ति संतुलन को बनाये रखने के लिये भारत के अस्तित्व को मजबूती के साथ स्थापित किये रखना रूस और अमेरिका इन दोनों ही महा शक्तियों की मजबूरी है अन्यथा चीन, रूस और अमेरिका दोनों के लिये भविष्य में बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है ! इसी वजह से पिछले कई वर्षो से भारत और चीन के मध्य युद्ध टालते आ रहे हैं !

यदि अमेरिका भारत को हथियार देने से इंकार कर दे तो हमें रूस हथियार देगा क्यों रूस यह जानता है कि जब तक भारत है तभी तक चीन रुका हुआ है अन्यथा चीन रूस को भी बड़ी टक्कर देने के लिये आज भी तैयार है !

भारत के 80% हथियार आयातित हैं जबकि चीन अपने सभी हथियार खुद से बनाता है ! भारत टैंक से लेकर , लड़ाकू विमान और युद्ध पोत अब कुछ आज भी आयात करता है और आयातित हथियारों के साथ निम्न बड़ी समस्यायें है :-

(1) आधुनिक हथियार दुनिया में सिर्फ 6-7 देश ही बनाते है ! जब युद्ध छिड़ जाता है ये देश हथियारों की सप्लाई रोक देते है और हथियार देने के लिये तरह तरह की शर्ते थोपते है ! और उस पर भी जब हथियार देते है तो दाम 10 गुना बढ़ा देते है ! जब युद्ध शुरू हो जाता है तो लगातार हथियारों की जरूरत होती है ! अब जो देश आयातित हथियारों के भरोसे युद्ध लड़ रहा है वह या तो युद्ध हार जायेगा या फिर उसे हथियार सप्लाई करने वाले देश की सभी शर्ते माननी पड़ेगी ! इस तरह जंग जारी रखने के लिये हथियार जुटाने की के लिये भी संघर्ष करते रहना पड़ता है ! और यह सब समझौते गुप्त रूप से होते है, अत: देश के नागरिको को यह सब कभी पता नहीं चल पाता !

उदाहरण के लिये कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका ने भारत को लेसर गाइडेड बम देने से मना कर दिया था ! हमें चोटियों पर कब्ज़ा करने के लिये लेसर गाइडेड बमों की जरूरत थी , और इन बमो के बिना हम पाकिस्तानियों को खदेड़ नहीं पाते ! लेसर गाईडेड बम सिर्फ अमेरिका , इस्राएल , रूस और चीन ही बनाते है ! चीन से तो हम मांग भी नहीं सकते थे , लेकिन रूस ने भी हमें लेसर गाईडेड बम नहीं दिये, क्योंकि 1998 में परमाणु परिक्षण करने के कारण रूस भी भारत से नाराज था ! शर्ते तय होने के बाद हमें 15 लेसर गाईडेड बम दिये गये ! जिनकी सहायता से हमने कारगिल की चोटियाँ फिर से प्राप्त की !

(2) सभी आधुनिक हथियार जैसे कि लड़ाकू विमान , रडार , पनडुब्बीयां , युद्ध पोत , मिसाइले , आदि कंप्यूटराइज्ड होते है और इनमे सेमी कंडक्टर चिप्स लगे होते है ! जब इन्हें बनाया जाता है तो निर्माता कम्पनी या इंजिनियर इनके सर्किट में किल स्विच रख देते है ! इस किल स्विच के कोड उनके पास होने के कारण वे हथियार को निष्क्रिय कर सकते है ! अभी तक ऐसी कोई तकनीक नहीं खोजी जा सकी है जिससे किल स्विच का पता लगाया जा सके ! यदि एक बार किसी हथियार के सर्किट में ट्रोजन रख दिया गया तो फिर इसे किसी भी तरह से खोजा नहीं जा सकता !

इसे आप इस तरह से समझ सकते है कि जब कोई कम्पनी टीवी बनाए तो उसके दो रिमोट बना ले ! एक रिमोट आपको दे दे और एक खुद के पास रखे ! लेकिन आपसे यह कभी नहीं कहे कि उसने इस टीवी का एक अतिरिक्त रिमोट अपने पास रखा हुआ है ! और साथ में वह आपको यह भी कहे कि यदि इस टीवी के दो रिमोट है तो हमें पता नहीं है ! USA, Russsia, Israel, etc जब कोई हथियार किसी अन्य देश को बेचता है तो साथ में लिखित में यह घोषणा भी देता है कि – “यदि इस हथियार में कोई ट्रोजन या किल स्विच है तो हमारी कोई गारंटी नहीं है” !

(3) आयातित हथियार जब खराब हो जाते है तो इन्हें रिपेयर के लिये उस कम्पनी पर निर्भर रहना होता है जिन्होंने ये हथियार बनाए है ! एक बार हथियार खरीदने के बाद जब तक उस हथियार का इस्तेमाल होगा तब तक हथियार को काम में लेते रहने के लिये इसके निर्माता पर निर्भर रहना होता है ! ज्यादातर हथियारों के महत्त्वपूर्ण स्पेयर पार्ट्स थोड़े थोड़े समय में खराब हो जाते है और इन्हें बदलते रहना पड़ता है !

उदाहरण के लिये भारत की अकुला क्लास सबमरीन पिछले 1 वर्ष से बंदरगाह पर खड़ी है , क्योंकि गश्त के दौरान एक हलकी सी टक्कर के कारण उसका फ्रंट रडार क्षतिग्रस्त हो गया था ! यह पनडुब्बी रूस ने बनायी है, अत: रूस के इंजिनियर ही इसे आकर ठीक करेंगे ! और यदि इसमें किसी स्पेयर पार्ट्स की जरूरत पड़ती है तो वह भी रूस ही देगा ! यदि रूस स्पेयर पार्ट्स नहीं भेजता है तो यह पनडुब्बी खड़ी रहेगी !

(4) पहली बात तो यह है कि आधुनिक हथियार बेहद ज्यादा मुनाफे पर बेचे जाते है ! यदि कोई देश अपने खुद हथियार बनाएगा तो उसे सिर्फ कच्चा माल और श्रम ही लगाना होता है ! लेकिन जब इसे आयात किया जाता है तो इसके लिये 5 गुना ज्यादा दाम देने होते है ! अब हथियार किसी सब्जी मंडी में तो नहीं मिलते है कि हम एक नहीं तो दुसरे से मोल भाव कर ले ! हथियार बनाने वाले देश कुल 4-5 ही है !

अत: ये सभी देश ऊँचे दामो में हथियार बेचते है ! मान लीजिये कि यदि हम खुद एक लड़ाकू विमान बनाते है तो इसकी लागत 100 करोड़ रूपये पड़ेगी , और इसके लिये हमें कोई डॉलर खर्च नहीं करना पड़ेगा ! किन्तु यदि हम इसे आयात करते है तो हमें इसके लिये 4 गुना ज्यादा पैसा देना पड़ेगा और समस्या यह है कि हमें यह राशी डॉलर में चुकानी पड़ेगी ! यदि डॉलर नहीं है तो हमें डॉलर का कर्ज लेना पड़ेगा ! इस तरह हथियारों का आयात करने वाले अधिकतर देश हमेशा कर्ज में डूबे रहते है !

(5) भारत ने 1999 में एडमिरल गोर्शकोव नामक एयर क्राफ्ट कैरियर खरीदने का तय किया था ! 2004 तक आते आते इसकी कीमत तय हो पायी और इसकी पेमेंट शुरू हुयी ! इसके बाद भी इसे भारत लाने में हमें 10 साल और लगे ! 2014 में जाकर हम इसे समन्दर में उतार पाए ! भारत ने 1995 में लड़ाकू जहाज तेजस के लिये अमेरिकी कम्पनी जी ई से इंजन खरीदना तय किया था , और हमें इंजन 2004 में मिलना शुरु हुए !

रफाल का उदाहरण देखिये ! भारत ने जनवरी 2012 में डसाल्ट कम्पनी से रफाल खरीदना फायनल कर दिया था ! आज जनवरी 2019 यानी 7 साल बाद भी रफाल अभी सिर्फ टीवी एवं अखबारों में ही उड़ रहे है ! ये भारत की एयरफोर्स में कब शामिल होंगे कोई ठिकाना नहीं है ! अभी तो बोफोर्स की तरह रफाल पर भी अखबारों के टनों कागज रंगे जाने है ! हथियार खरीदने के लिये ज्यादातर इतना ही समय लगता है ! दर्जनों प्रकार के एग्रीमेंट किये जाते है , मोल भाव होता है और सालो निकलने के बाद जाकर हथियार मिलते है ! और जब युद्ध छिड जाता है तो हमें अर्जेंट हथियार चाहिए होते है ! तो दस गुना दाम देने से भी पर्याप्त हथियार नहीं मिल पाते !

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कुल मिलाकर विदेशियों के हथियारों पर सेना चलाने से बुरा दुस्वप्न कोई नहीं है और आयातित हथियारों पर चलने वाली सेना हमेशा पंगु एवं परजीवी बनी रहती है !

चीन ने भारत को चारो तरफ से घेरने के लिये मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलेंड और पाकिस्तान में अपने नेवल बेस बना लिये है नेवल बेस होने के कारण भारत अब चीन की सीधी पहुँच में है ! मतलब अब चीन भारत पर हमला कर सकता है, किन्तु चीन के नजदीक भारत का कोई बेस नहीं होने के कारण भारत चीन पर बड़े पैमाने पर हमला नहीं कर सकता ! भारत के उत्तर में पाकिस्तान की तरफ से सड़क मार्ग बनाकर एवं दक्षिण में नेवल बेस बनाकर भारत को घेर लेने की चीन की इस योजना को मोतियों की माला कहते है !

दरअसल चीन भारत को चारो तरफ से घेर चुका है ! यदि युद्ध होता है तो चीन तो हमारे सिर पर है, किन्तु भारत के पास चीन तक पहुँचने का एक्सेस नहीं है ! और भारत के नार्थ में देखें तो चीन पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में हाई वे कोरिडोर बना चुका है ! इस तरह चीन समंदर के साथ साथ जमीन के तरफ से भी भारत को घेर चुका है ! चीन वास्तविक रूप से युद्ध की तैयारी कर रहा है ! तो आप समझ सकते है कि हम चीन के सामने किस दशा में है !

तो यदि चीन हम हमला करता है तो हमें 4 फ्रंट वॉर का सामना करना पड़ेगा ! चीन 4 फ्रंट वॉर की मेटेरियल तैयारी कर चुका है ! वह पाकिस्तानी आतंकियों एवं उनकी सेना को हथियार एवं डॉलर देकर पहला फ्रंट खोलेगा , दुसरे वह बांग्लादेश , अरुणाचल प्रदेश की तरफ से हमला करेगा , तीसरा और सबसे घातक , वह नक्सल वादियों और भारत में निवास कर रहे बंगलादेशी घुसपेठियो को हथियार देकर उन्हें आंतरिक हमला करने को कहेगा , और खुद समन्दर की तीनो दिशाओं से हमला करेगा !

अब आप खुद अंदाजा लगा लीजिये कि इस 4 फ्रंट वार के सामने टिकने के लिये हमारे पास कितने हथियार और कितनी सेना है , और यदि एक बार हमारी सेना हार जाती है तो नागरिको के पास तो नेल कटर भी नहीं है !! यहाँ तक कि हमारी सेना भी राइफल की कमी से जूझ रही है ! इंसास को आर्मी 2018 में रिटायर कर चुकी है , और सेना को 6 लाख असाल्ट राइफलो की तत्काल जरूरत है ! कितने सालो में ये राइफ़ले हमें मिलेगी , वो भी कहीं नजर न आ रहा !

यदि चीन हम पर हमला करता है और अमेरिका हमें हथियार देता है तो युद्ध का परिणाम क्या होगा ?

असल में जिस तरह चीन भारत को घेर रहा है , उसी तरह से अमेरिका भी भारत का तेजी से अधिग्रहण कर रहा है, ताकि चीन के साथ युद्ध में भारत की जमीन, सेना, संसाधनों आदि का इस्तेमाल किया जा सके ! यह अमेरिका एवं चीन के बीच युद्ध है जो भारत की जमीन पर लड़ा जायेगा ! अमेरिका ने यह तैयारी 10 साल पहले से शुरू कर दी है ! किन्तु हम इसे देख इसीलिये नहीं पाते क्योंकि भारत का मीडिया पूरी तरह से अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कब्जे में है !

आप यदि गौर करेंगे तो देख सकते है कि अमेरिकी कम्पनियां भारत के उन सभी क्षेत्रो का बहुत तेजी से अधिग्रहण कर रही है , जिनकी भूमिका युद्ध में है ! यदि अमेरिका चीन के साथ युद्ध में खुद की सेना का इस्तेमाल करता है, तो उनके काफी सैनिक मारे जायेंगे और अमेरिका की जनता , युद्ध के खिलाफ हो जायेगी ! क्योंकि यह लड़ाई विएतनाम की लड़ाई की तरह लम्बी खिंचने वाली है ! कृपया कोमकासा एग्रीमेंट पर गूगल करें , इस एग्रीमेंट के बाद भारत की सेना को अमेरिकी सेना संचालित कर सकेगी ! जल्दी ही भारत में अमेरिकी हथियार बनाने वाली कम्पनियां आएगी और भारत में बड़े पैमाने पर हथियारों का उत्पादन करेगी ! और जल्दी ही अमेरिकी सेनाओं के भारत में उतरने का रास्ता भी साफ़ हो जायेगा !

तो जब अमेरिकी हथियारों के साथ हम चीन से युद्ध लड़ेंगे तो भारत का पलड़ा भारी हो जायेगा ! तब चीन को हम हरा सकते है ! किन्तु इस युद्ध में कितने भारतीय मारे जायेंगे और पुनर्निर्माण में हमें कितने दशक लगेंगे यह केवल अंदाज लगाने की बात है ! अमेरिका को चीन से युद्ध लड़ना इसीलिये भी जरुरी है कि यदि चीन को रोका नहीं गया तो पूरा का पूरा एशिया एवं यूरोप का बाजार अमेरिका के हाथ से निकल जायेगा !

अब हमारे लिये सबसे बड़ा खतरा यह है कि एक बार यदि अमेरिकी सेनाएं भारत में आ गयी तो वे भारत से कभी वापिस नहीं जायेगी !

अब आगे इन घटनाओं के सैंकड़ो पहलू हो सकते है, और इनका आकलन करना किसी के लिये भी संभव नहीं है ! किन्तु कुछ चीजे है जो हम साफ़ तौर पर देख सकते है ! युद्ध कब होगा या होगा या नहीं होगा , इसका फैसला करने की स्थिति में हम नहीं है ! चीन ने यदि हम पर युद्ध करना है तो भी हम मुकाबला नहीं कर सकते और यदि अमेरिका चीन को ख़त्म करने के लिये हमें युद्ध में झोंकना चाहता है तो भी हमारे हाथ में कुछ नहीं है !

और यदि हम युद्ध टालते रहेंगे तो धीरे धीरे अमेरिका भारत को आर्थिक एवं सैन्य रूप से पूरी तरह से टेक ओवर कर लेगा ! एक मीठी खुश फहमी हम यह रख सकते है कि अब कभी भी युद्ध नहीं होगा ! तो भारत में ऐसे लोगो की कमी नहीं है जो शेष भारतीयों को यह विश्वास दिलाने में बड़ी मेहनत करते है कि अब भारत को कभी युद्ध में नहीं जाना पड़ेगा !

और मैं उनसे हमेशा यह पूछता हूँ कि हे नास्त्रेदमस के मानस पुत्रो जब 1962 में चीन ने और 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया तब आप महानुभाव कहाँ गायब हो गये थे? जब 1999 में कारगिल हुआ तब भी शायद इन्हें पहले से मालूम था कि पाकिस्तान चोटियों पर कब्ज़ा कर रहा है ! पर ये लोग कभी भी पहले से बताते नहीं है कि हमला होने वाला है !

और इसीलिये ये इस बात पर चर्चा करना समय की बर्बादी समझते है कि भारत की सेना की क्या दशा है, और इसे मजबूत बनाने के लिये हमें किन कानूनों को गेजेट में लाना चाहिए ! इनके मुहँ से हमेशा एक ही डायलोग निकलता है – भारत की सेना पर्याप्त रूप से मजबूत है ! और ये ऐसा क्यों मानते है ? क्योंकि पेड मीडिया एवं पेड रक्षा विशेषग्य इन्हें इसी तरह की फीडिंग देते है ! वे इस बात की जान बूझकर अवहेलना करते है कि यदि युद्ध की सम्भावना को खारिज करके हम अपना सब कुछ दांव पर लगा रहे है !

सार रूप में , भारत की सेना के हालात विकट है और भारत के छोटे कार्यकर्ताओ को तुरंत रूप से इस समस्या पर ध्यान देना शुरू करना चाहिए ! भारत के नागरिको के इस बारे में जानकारी इसीलिये नहीं है क्योंकि भारत का पेड मीडिया अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नियंत्रण में है ! भारत की सेना के बारे इस तरह के विवरण लिखते हुए मुझे भी अच्छा महसूस नहीं होता , किन्तु जब कोई भी इस खतरे की और ध्यान नहीं दे रहा है तो हमारे जैसे छोटे कार्यकर्ताओ को इस पर तवज्जो देनी होगी ! क्योंकि जब हमला होगा तो टीवी पर नजर आने वाले ज्यादातर लोगो पहली फ्लाईट से भारत छोड़ देंगे और विदेश के अपने घरो में बैठ कर युद्ध का उसी तरह सीधा प्रसारण देखेंगे जिस तरह हम ईराक युद्ध का देख रहे थे !

अब प्रश्न यह है कि हमें करना क्या चाहिये ! हम हथियारों के निर्माण में मेड इन इंडिया मेड बाय इन्डियन्स की नीति लागू करके सिर्फ 5 वर्ष में इतने आधुनिक हथियारों का उत्पादन कर सकते है कि अमेरिका एवं चीन की सेनाओं का अपने दम पर मुकाबला कर सके ! और यदि हम एक बार यह क्षमता जुटा लेते है तो चीन एवं अमेरिका के साथ होने वाला हमारा युद्ध टल जायेगा ! इसके लिये बस हमें उन कानूनों को गेजेट में छपवाना होगा जिनके आने से भारत में तेजी से स्वदेशी हथियारों का उत्पादन शुरु हो !

इसके लिये हमें कुछ 25–30 कानूनों की जरूरत है ! इनमे सबसे मुख्य क़ानून Empty Land Tax , jury court , dhan-vaapsi, wholly owned by Indian companies(WOIC) etc है ! यदि यह सभी क़ानून गेजेट में आ जाते है तो भारत में तेजी से स्वदेशी हथियारों का उत्पादन शुरू होगा, और हम जल्दी ही अपनी सेना को आत्मनिर्भर बना लेंगे !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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