मंत्र से महत्वपूर्ण आपका विश्वास है ! : Yogesh Mishra

मंत्र कोई भी हो छोटा या बड़ा नहीं होता है ! कौन सा मंत्र किसके लिए अनुकूल है, यह निर्णय एक सक्षम गुरु ही कर सकता है और गुरु यह निर्णय शिष्य की आयु, ज्ञान, संस्कार, वर्ण आचरण आदि को ध्यान में रखकर लेता है ! मन की गति बहुत सूक्ष्म है ! गलत धारणायें एवं अविश्वास मन की शक्ति को कमजोर बनाते हैं ! सक्षम गुरु उन्हें निर्मूल करके मन में विश्वास की स्थापना करता है !

इसलिए बिना श्रद्धा भाव के सिर्फ तोते की तरह मंत्र का जाप करना समय बर्बाद करना है ! जबकि विश्वास पूर्वक जपा गया उल्टा मंत्र भी वाल्मीकि को ब्रह्म तक पहुंचा चुका है ! हमारे यहाँ कान में मंत्र देने की परंपरा रही है, इसलिए मंत्रों को बहुत समय तक लिखा ही नहीं गया ! पीढ़ी दर पीढ़ी लोग सुनते रहे और बड़े-बड़े शास्त्र याद थे ! लोग लिखते नहीं थे सिर्फ सुनते-सुनाते थे और याद रखते थे ! जिसे श्रुति और स्मृति कहते थे ! जिनसे हमारे शास्त्रों की रचना हुई है !

इसलिये मंत्रों को लिपिबद्ध करने से बचने का प्रमुख कारण था उच्चारण अर्थात ध्वनि (कम्पन) में त्रुटि के आना की संभावना भी है ! लिखने से उच्चारण बदल जाता है और उच्चारण से ध्वनि बदल जाती है और जिससे ध्वनि का कम्पन स्तर बदल जाता है ! परिणाम स्वरूप मंत्र का प्रभाव हानिलाभ भी बदल जाता है !

हर मंत्र की एक निश्चित ध्वनि है और उसकी जानकारी सिर्फ साधक गुरु से ही प्राप्त की जा सकती है ! मंत्र की लय आवृत्ति एवं उच्चारण से प्राप्त ऊर्जा ही साधक की सफलता का आधार होती है ! मंत्र का त्रुटिपूर्ण उच्चारण या दुरुपयोग आपके मानसिक और शाररिक समस्या का कारण भी बन सकता है !

मंत्र पर जितना ज्यादा विश्वास होगा ! उतनी जल्दी सफलता मिलेगी ! अगर मन में संशय है तो बड़ा से बड़ा मंत्र भी निष्प्रभावी हो जायेगा ! इसलिए सभी धर्मों में, सभी सिद्धियों का मूल “विश्वास” है ! ऐसा बताया गया है कि बिना बिश्वास के आप ऐसे ही हैं जैसे बिना सिम का मोबाइल फ़ोन ! सिम कार्ड लगाते ही आप सारी दुनिया के संपर्क में आ जाते हैं अन्यथा मोबाइल कितना भी महंगा हो संवाद नहीं हो पायेगा !

‘भवानी शंकरो वन्दे श्रद्धा विश्वास रूपिणौ !” यानी माँ पार्वती जी श्रद्धा के रूप में और भगवान शिव विश्वास के रूप में हम सबके अंदर विराजमान हैं ! और जब हम श्रद्धा और विश्वास से भरे होते हैं तो भगवान से ज्यादा निकटता (सकारात्मक) महसूस करते हैं और जब संशय से भरे होते हैं तो शैतान (नकारात्मक) से निकट महसूस करते हैं !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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