शनि के स्व राशि में प्रवेश पर भारत अभी और सशक्त होगा !!

लार्ड माउंटबेटन ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को 14-15 अगस्त में से किसी दिन अपनी-अपनी आजादी के कार्यक्रम निर्धारित करने को कहा था ! पाकिस्तान ने 14 अगस्त को अपनी स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा कर दी थी और भारत ने 15 अगस्त 1947 को अपने स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा की थी !

ज्योतिष शास्त्रों के सिद्धांतों के अनुसार 15 अगस्त 1947 के गोचर में पञ्चग्रही युतियां अर्थात पांच गृह कुंडली के एक ही भाव में थे जो की देश और समाज के लिए अशुभ था ! मैंने आजादी के लिए 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्री बारह बजे का मुहूर्त निर्धारित किया है ! मेरा मानना है कि इस महूर्त में प्राप्त आजादी संघर्ष के साथ ही लोकतंत्र को भी स्थिर और मजबूत करेगा !

क्योंकि उस वक्त स्थिर लग्न ‘वृषभ’ चल रहा था, जो किसी भी कार्य की शुरुआत और उसके स्थायित्व के लिए सबसे शुभ लग्न माना जाता है ! उसी समय रात 12:15 के पूर्व सर्वश्रेष्ठ अभिजित मुहूर्त भी चल रहा था, जो मुहूर्त शास्त्रों के अनुसार उस समय का सबसे शुभ मुहूर्त था ! इतना ही नहीं स्वतंत्रता के बाद देर रात संसद को धोया गया था ! बाद में बताये मुहूर्त अनुसार गोस्वामी गिरधारीलाल ने संसद की शुद्धि भी करवाई थी ! गुलामी की जंजीरों से आजाद हुये भारतवर्ष 15 अगस्त, 1947 को रात्रि 12 बजे आधिकारिक तौर पर नये भारत या यूं कहें कि विघटन के बाद बचे हुये शेष भारत का नया वजूद प्राप्त हुआ था !

स्थिर लग्न के चलते भारत में लोकतंत्र स्थिर है ! वहीं एक दिन पहले आजाद हुये पाकिस्तान का लग्न और राशि दोनों मिथुन है यह अशुभ और अस्थिरता का संयोग है ! यही कारण है पाकिस्तान का कोई भी पीएम आज तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया ! वर्तमान गोचर व भविष्य में ग्रहों की स्थति इस बात का भी संकेत करती है की पाकिस्तान में आने वाले समय में विभाजन भी होगा !

स्वतंत्र भारत की जन्म कुंडली वृषभ लग्न तथा कर्क राशि की कुंडली बनती है ! तृतीय भाव में पञ्च ग्रहा योग कर्क राशि में स्थित था ! साथ ही चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में जिसके स्वामी शनि है स्थित था ! यही कारण था की विशाल युद्धों और अनगिनत विद्रोही ताकतों के बावजूद भारत की अखंडता पर कोई आंच नहीं आई !

भारत को आजादी भी शनि की महादशा में प्राप्त हुई थी ! शनि की महादशा भारत के लिए शुभ फलदायी रही ! शनि की महादशा में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धों में भारत को सफलता प्राप्त हुई ! भारत की कुंडली में शनि सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह है यह भारत को मजबूती और शक्ति दोनों देता है !

लग्नेश शुक्र तीसरे भाव में कई ग्रहों के साथ स्थित है साथ ही लग्न पर राहु विराजमान है ! यह इस बात का भी सूचक है की देश में कभी भी किसी एक पार्टी का शासन नहीं होगा ! मंगल कुंडली के दूसरे भाव में स्थित है, कुंडली का यह दूसरा भाव दिशाओं से भारत की उत्तरी-पश्चिमी दिशा को दर्शाता है ! जहां भारत का कश्मीर भाग आता है वहां बार-बार समस्याएं पैदा होती रहती है व समय-समय पर यह युद्ध की स्थितियां बनाती है और अस्थिरता होती है परंतु स्थिर लग्न होने के कारण भारत हर समस्या से बच जाता है !

शनि 24 जनवरी 2020 को अपनी स्व राशि मकर में प्रवेश करेंगे फिर कुम्भ में भी विचरण करेंगे ! यह कल 5 वर्ष का होगा ! इस समय भारत को अनेक विशेष तरह का लाभ होगा !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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