बिना गृहस्थ भोग के ब्रह्मचारी होना संभव नहीं है : Yogesh Mishra

इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव की तरह मनुष्य भी, एक पशु ही है ! जो निरंतर आनंद के भ्रम में सुख की खोज करता रहता है ! जीवनी ऊर्जा के नाभि चक्र से अधोगामी होने पर मनुष्य को जो सुख प्राप्त होता है, वह संसार के किसी अन्य सुख के बराबर नहीं होता है !

यही कारण है कि मनुष्य लाख प्रयास करके भी अपने को काम भोग की कामना से मुक्त नहीं कर पाता है !

अत: इस काम ऊर्जा के इस अधोगामी सुख को भोगे बिना यदि कोई व्यक्ति ब्रह्मचारी होने का दावा करता है, तो वह या तो गलत कहता है, या फिर वह व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से पूर्णत: स्वस्थ नहीं है !

क्योंकि नाभि चक्र से काम ऊर्जा का अधो गमन इस मैथुनिक सृष्टि का आधार है ! जो प्रकृति की सामान्य अवस्था है ! जिसे हर व्यक्ति को भोगना हो पड़ेगा !

इसीलिए जो लोग बिना किसी मानसिक तैयारी के ब्रह्मचारी होने का प्रयास करते हैं, वह या तो हस्तमैथुन के लती हो जाते हैं या फिर अति दमन के कारण स्वप्नदोष से पीड़ित हो जाते हैं !

और इन दोनों ही विकृतियों से बचने का एक मात्र सीधा सा रास्ता है कि व्यक्ति गृहस्थ जीवन में प्रवेश करें ! साथ ही अपनी साधना की ऊर्जा को जागृत करके ब्रह्मचारी होने की मानसिक तैयारी भी करे !

और जब कोई व्यक्ति साधना से ब्रह्मचारी होने की तैय्यारी पूरी कर लेगा, तब वह अपने आप को मानसिक रूप से ब्रह्मचारी जीवन के लिए तैयार कर पायेगा और पूर्ण रूप से विकसित ब्रह्मचारी हो पायेगा ! फिर वह कहीं भी, कभी भी नहीं भटकेगा !

अन्यथा व्यक्ति ऊपर से तो ब्रह्मचारी दिखाने का प्रयास करेगा किन्तु मानसिक रूप से वह सदैव अपनी काम ऊर्जा को अधोगामी करने के लिये व्याकुल बना रहेगा ! जो उसे आडंबरी और पाखंडी बना देगा !
आज समाज में सम्मान पाने के लिए लोग जो ब्रह्मचारी होने का नाटक करते हैं, वह गृहस्थ व्यक्ति से अधिक कामुक और पतित होते हैं !

खासतौर से जिन क्षेत्रों में व्यक्ति का आर्थिक और बौद्धिक विकास नहीं होता है, उन क्षेत्रों में व्यक्ति समाज में कृत्रिम सम्मान पाने के लिये अनावश्यक रूप से बिना किसी तैयारी के ब्रह्मचारी होने का नाटक करने लगता है और यह नाटक ही कालांतर में उसके कुंठाग्रस्त और अपराधी होने का कारण बन जाता है !

इसलिए मनुष्य को अपने मूल प्राकृतिक स्वभाव में जीना चाहिये और जब तक साधना की ऊर्जा को जागृत न कर ले, तब व्यक्ति को गृहस्थ जीवन का भोग करना चाहिये ! इस दौरान साधना द्वारा परिपक्व हो कर ब्रह्मचारी अवस्था में प्रवेश करना चाहिये ! यही व्यक्ति और समाज दोनों के लिये हितकारी है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter