जानिए भगवान शिव को भांग क्यों प्रिय थी ? : Yogesh Mishra

विश्व की प्राचीनतम शैव नगरी में आज भी भांग का प्रयोग खुले आम होता है ! महाशिवरात्रि और होली का रंग तभी जमता है जब भांग का भी संग हो ! यकीनन भांग का ज्यादा इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है ! लेकिन त्यौहार पर भांग की ठंडाई या पकोड़ों का लोभ लोग छोड़ ही नहीं पाते हैं ! वजह शिवजी के इस पेय से लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं ! शिव के नाम पर भांग का सेवन सही है या गलत यह बहस का विषय है !

आयुर्वेद में इसे इसे विजया के नाम से पुकारा गया है ! विजया भांग का संस्‍कृत नाम है ! इसके अलावा हिन्‍दी, मराठी, गुजराती और बांग्‍ला में इसे भांग कहते हैं ! अरबी में बिन्‍नव तथा लैटिन में कैनिबिस सेटाइवा के नाम से ये पहचानी जाती है !

लेकिन शिवजी के देशवासियों के हाथ से भांग ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने कुमाऊँ में शासन स्थापित होने से पहले ही छीन लिया था और आर्थिक लाभ के लिये भांग के व्यवसाय को अपने हाथ में ले लिया था तथा काशीपुर के नजदीक एक डिपो की स्थापना भी कर ली थी ! दानपुर, दसोली तथा गंगोली की कुछ जातियाँ भांग के रेशे से कुथले और कम्बल बनाती थीं ! भांग के पौधे का घर गढ़वाल में चांदपुर कहा जा सकता है !

भांग की खेती प्राचीन समय में ‘पणि’ कहे जानेवाले लोगों द्वारा की जाती थी ! इसके पौधे की छाल से रस्सियाँ बनती हैं ! डंठल कहीं-कहीं मशाल का काम देता है ! पर्वतीय क्षेत्र में भांग प्रचुरता से होती है, खाली पड़ी जमीन पर भांग के पौधे स्वभाविक रूप से पैदा हो जाते हैं ! नम जगह भांग के लिए बहुत अनुकूल रहती है !

पहाड़ की लोक कला में भांग से बनाए गए कपड़ों की कला बहुत महत्वपूर्ण है ! लेकिन मशीनों द्वारा बुने गये बोरे, चटाई इत्यादि की पहुँच घर-घर में हो जाने तथा भांग की खेती पर प्रतिबन्ध के कारण इस लोक कला के समाप्त हो जाने का भय है !

कई लोग भांग पीने के बाद ख़ुशी महसूस करते हैं ! दरअसल, भांग खाने से डोपामीन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है ! डोपामीन को ‘हैपी हार्मोन’ भी कहते हैं, जो हमारे मूड को कंट्रोल करता है और ख़ुशी के स्तर को बढ़ाता है ! इसे लेने के बाद अजीब सी ख़ुशी महसूस होती है ! ख़ुशी पाने की बार-बार चाहत में लोग इसके आदी भी होने लगते हैं ! भांग को अंग्रेज़ी में कैनाबीस, मैरिजुआना, वीड भी कहते हैं ! इसमें टेट्राहाइड्रोकार्बनबिनोल पाया जाता है, जिसे आसान शब्दों में टीएचसी भी कहते हैं !

भांग के सैकड़ों औषधीय प्रयोग हैं ! किन्तु अधिक मात्रा में ली गई भांग आपके लिये जानलेवा भी हो सकती है ! फिर भांग के कुछ लाभ निम्न हैं !

चक्कर से बचाव
2013 में वर्जीनिया की कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने यह साबित किया कि गांजे में मिलने वाले तत्व एपिलेप्सी अटैक को टाल सकते हैं ! यह शोध साइंस पत्रिका में भी छपा ! रिपोर्ट के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स कंपाउंड इंसान को शांति का अहसास देने वाले मस्तिष्क के हिस्से की कोशिकाओं को जोड़ते हैं !

ग्लूकोमा में राहत
अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट के मुताबिक भांग ग्लूकोमा के लक्षण खत्म करती है ! इस बीमारी में आंख का तारा बड़ा हो जाता है और दृष्टि से जुड़ी तंत्रिकाओं को दबाने लगता है ! इससे नजर की समस्या आती है ! गांजा ऑप्टिक नर्व से दबाव हटाता है !

अल्जाइमर के खिलाफ
अल्जाइमर से जुड़ी पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक भांग के पौधे में मिलने वाले टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल की छोटी खुराक एमिलॉयड के विकास को धीमा करती है ! एमिलॉयड मस्तिष्क की कोशिकाओं को मारता है और अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार होता है ! रिसर्च के दौरान भांग का तेल इस्तेमाल किया गया !

कैंसर पर असर
2015 में आखिरकार अमेरिकी सरकार ने माना कि भांग कैंसर से लड़ने में सक्षम है ! अमेरिका की सरकारी वेबसाइट cancer !org के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम हैं ! यह ट्यूमर के विकास के लिए जरूरी रक्त कोशिकाओं को रोक देते हैं ! कैनाबिनॉएड्स से कोलन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और लिवर कैंसर का सफल इलाज होता है !

कीमोथैरेपी में कारगर
कई शोधों में यह साफ हो चुका है कि भांग के सही इस्तेमाल से कीमथोरैपी के साइड इफेक्ट्स जैसे, नाक बहना, उल्टी और भूख न लगना दूर होते हैं ! अमेरिका में दवाओं को मंजूरी देने वाली एजेंसी एफडीए ने कई साल पहले ही कीमोथैरेपी ले रहे कैंसर के मरीजों को कैनाबिनॉएड्स वाली दवाएं देने की मंजूरी दे दी है !

तिरोधी तंत्र की बीमारियों से राहत
कभी कभार हमारा प्रतिरोधी तंत्र रोगों से लड़ते हुए स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारने लगता है ! इससे अंगों में इंफेक्शन फैल जाता है ! इसे ऑटोएम्यून बीमारी कहते हैं ! 2014 में साउथ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी ने यह साबित किया कि भांग में मिलने वाला टीएचसी, संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार मॉलिक्यूल का डीएनए बदल देता है ! तब से ऑटोएम्यून के मरीजों को भांग की खुराक दी जाती है !

दिमाग की रक्षा
नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने साबित किया है कि भांग स्ट्रोक की स्थिति में मस्तिष्क को नुकसान से बचाती है ! भांग स्ट्रोक के असर को दिमाग के कुछ ही हिस्सों में सीमित कर देती है !

एमएस से बचाव
मल्टीपल स्क्लेरोसिस भी प्रतिरोधी तंत्र की गड़बड़ी से होने वाली बीमारी है ! फिलहाल यह असाध्य है ! इसके मरीजों में नसों को सुरक्षा देने वाली फैटी लेयर क्षतिग्रस्त हो जाती है ! धीरे धीरे नसें कड़ी होने लगती हैं और बेतहाशा दर्द होने लगता है ! कनाडा की मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक भांग एमएस के रोगियों को गश खाने से बचा सकती है !

दर्द निवारक
शुगर से पीड़ित ज्यादातर लोगों के हाथ या पैरों की तंत्रिकाएं नुकसान झेलती हैं ! इससे बदन के कुछ हिस्से में जलन का अनुभव होता है ! कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च में पता चला कि इससे नर्व डैमेज होने से उठने वाले दर्द में भांग आराम देती है ! हालांकि अमेरिका के एफडीए ने शुगर के रोगियों को अभी तक भांग थेरेपी की इजाजत नहीं दी है !

हैपेटाइटिस सी के साइड इफेक्ट से आराम
थकान, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और अवसाद, ये हैपेटाइटिस सी के इलाज में सामने आने वाले साइड इफेक्ट हैं ! यूरोपियन जरनल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी के मुताबिक भांग की मदद से 86 फीसदी मरीज हैपेटाइटिस सी का इलाज पूरा करवा सके ! माना गया कि भांग ने साइड इफेक्ट्स को कम किया !

वजन घटाने के लिए फायदेमंद
व्यायाम के बाद यदि भांग के कुछ बीज जूस में मिलाकर पीएंगे तो बेहतर होगा ! ऐसा करने से शरीर को प्रोटीन और अमीनो एसिड मिलेगा ! साथ ही इससे एक्स्ट्रा कैलोरी भी बर्न होती है !

दमा रोगियों के लिए फायदेमंद
125Mg भांग, 2Mg काली मिर्च और 2ग्राम मिश्री को मिलाकर खाने से दमा रोग की समस्या में आराम मिलता है ! इसके अलावा भांग को जला कर उसके धुंए को सूंघने से दमा की समस्या में लाभ मिलता है !

भूख बढ़ाए
जिन लोगों को भूख नहीं लगती उनके लिए भी भांग फायदेमंद है ! काली मिर्च के साथ रोजाना भांग लेने से भूख बढ़ती है !

आंखों के लिए फायदेमंद
कम मात्रा में भांग पीने से ना सिर्फ मूड अच्छा होता है बल्कि इससे आंखों की रोशनी भी तेज होती है ! साथ ही कम सुनाई देने की समस्या भी दूर होती है ! दरअसल, इसके सेवन से इंद्रियों में तीव्रता आ जाती है, जिससे आंखों व कानों की प्रॉब्लम्स दूर हो जाती है !

गठिया दर्द से राहत
भांग के बीज के तेल की मालिश करने से गठिया की समस्या में आराम दिलाता है ! साथ ही भांग के पत्ते के चूर्ण या भांग के हरे पत्तों को पीस कर घाव या जख्म पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं !

अनिद्रा की समस्या
यदि किसी को नींद न आने की समस्या है तो भांग के तेल से पैरो के तलवे पर मालिश करने से अच्छी नींद आती है ! इसके अलावा 25 ग्राम पिसी हुई भांग को दूध या पानी के साथ सुबह शाम लेने से भी नींद की समस्या दूर होती है !

भांग पर अमेरिका में धड़ाधड़ प्रोडक्ट पेटेंट हो रहे हैं ! चूंकि आने वाला युग प्रोडक्ट पेटेंट का है इसलिए कोई बड़ी बात नहीं कि कल कोई बहुराष्ट्रीय कंपनी भारत में भाग की खेती पर ही सवाल उठाए ! या शिवरात्रि या होली पर भांग की ठंडाई के लिए इन्हीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भांग आधारित प्रोडक्ट खरीदने की बाध्यता हो जाए !

इतिहास पर नजर डालें तो भारत में भांग का इस्तेमाल ईसा से 10,000 साल पूर्व से चल रहा है और आयुव्रेद में भांग से कई मानसिक बीमारियों तथा गंभीर दर्द के उपचार की विधियां है ! शिवजी हो या आयुव्रेद दोनों लिहाज से भांग पर हिन्दुस्तान का अधिकार बनता है लेकिन भांग पर पहला पेटेंट (यूएस-6630507) अमेरिका में हथिया लिया गया है ! वहां चरस से बनी एंटी आक्सीडेंट और न्यूरोप्रोटेक्टर दवा पर हैल्थ एंड ह्यूमन सर्विस ने पेटेंट लिया है !

किन्तु भारत सरकार बेखबर है ! अलबत्ता टड्रिशनल नालेज लाइब्रेरी में भांग के उपयोग को कई भाषाओं में दर्ज किया है ! लेकिन सरकार ने देरी कर दी ! आयुव्रेद विशेषज्ञ डा ! रामनिवास पाराशर के अनुसार आयुव्रेद में भांग के करीब 150 औषधीय इस्तेमाल हैं ! इनमें एंग्जाइटी, लू से बचाव, बुखार में उपचार गंभीर दर्द से निजात, स्पीच थेरैपी, पेट की बीमारियों का उपचार आदि शामिल हैं !

किन्तु लंबे समय तक इसका नशा खतरनाक है ! ऐसे लोग सिजोफ्रेनिया की चपेट में आ सकते हैं ! ब्रिटेन में एक अध्ययन में पाया गया है कि भांग का नशा सड़क हादसों के लिए ज्यादा जिम्मेदार है ! दूसर, भांग के लंबे समय तक सेवन से स्मरण शक्ति भी नष्ट हो जाती है !

भांग के लगातार सेवन से साइड इफेक्ट होता है ! इसका असर दिमाग पर पडता है ! भांग का सेवन करने वालों में यूफोरिया, एंजाइटी, याददाश्त का असंतुलित होना, साइकोमोटर परफार्मेंस जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं ! भांग के सेवन से मस्तिष्‍क पर खराब असर पड़ता है ! गर्भवती महिलाओं से भ्रूण पर बुरा प्रभाव पड़ता है ! याददाश्त पर होता है ! इसका असर आंखों और पाचन क्रिया के लिए भी अच्‍छी नहीं है !

जब भांग की पत्तियों को चिलम में डालकर इससे धूम्रपान किया जाता है तो इसके रासायनिक यौगिक तीव्रता से खून में प्रवेश करते हैं ! सीधे दिमाग और शरीर के अन्य भागों में पहुंच जाते हैं ! ज्यादा नशा मस्तिष्क के उन रिसेप्टर्स को प्रभावित करता है, जो खुशी, स्‍‍मृति, सोच, एकाग्रता, संवेदना और समय की धारणा को प्रभावित करते हैं ! भांग के रासायनिक यौगिक आंख, कान, त्वचा और पेट को प्रभावित करते हैं !

भांग के नियमित उपयोग से साइकोटिक एपिसोड या सीजोफ्रेनिया (मनोभाजन) होने का खतरा दोगुना हो सकता है ! भूख में कमी, नींद आने में दिक्कत, वजन घटना, चिडचिडापन, आक्रामकता, बेचैनी और क्रोघ बढना जैसे लक्षण शुरू हो जाते हैं ! यदि कोई व्यक्ति अधिकतम 15 दिन तक लगातार भांग का सेवन करे तो वह आसानी से मानसिक विकार का शिकार हो सकता है !

इसीलिए भांग का प्रयोग औषधी के रूप में किसी चिकित्सक की देख रेख में करना चाहिये ! मान चाहे तरीके से नशे के तैर पर करना जान लेवा भी हो सकता है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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