“लेख” चोरी का धंधा “वेश्यावृत्ति” से भी गंदा Yogesh Mishra

आज इंटरनेट की दुनिया में दूसरों का “लेख चोरी” करना भी एक व्यवसाय के रूप में पनप रहा है ! जो लोग “मानसिक रूप से विकलांग” हैं, लेकिन “धन की हवस” उनका पीछा नहीं छोड़ती ! ऐसे मानसिक रूप से विकृत लोग आज इंटरनेट की दुनिया में “लेख चोरी” करके बड़े आदमी बनने में लगे हुये हैं ! मैं कम से कम 200 से अधिक वेबसाइटों को जानता हूं, जो दूसरों के “लेख चोरी करने के धंधे” में लगे हुये हैं !

कहने को तो यह लोग राजीव दीक्षित, भगत सिंह, रामप्रसाद विस्मिल, चंद्रशेखर आजाद जैसे महापुरुषों के फोटो अपनी फेसबुक और ट्विटर ID पर लगा कर अपने को बहुत बड़ा राष्ट्रप्रेमी, राष्ट्रभक्त घोषित करने का भ्रम पैदा करते हैं किंतु वास्तविकता यह है कि इन “नकली राष्ट्रप्रेमियों” ने राष्ट्र के प्रति निष्पक्ष मौलिक चिंतन करने वाले विचारकों के लेखों को उन विचारों का “नाम, पता, संपर्क नंबर आदि हटा कर अपनी वेबसाइटो पर बतौर सूचना डाल रखा है ! ऐसा घ्रणित धन्धा करने वाले यह लोग “सामाजिक परिवर्तन” और “राष्ट्रप्रेम” के नाम पर दूसरों की “मानसिक संपत्ति” चुराने का काम कर रहे हैं ! उस पर तुर्रा यह है कि अपनी वेबसाइट पर “कॉपी राइट का लोगो” भी लगा रखा है ! जिससे कोई दूसरा इनकी साईट से वह “चोरी का लेख” कॉपी न कर ले ! इस तरह उस चोरी के लेख को “अपनी संपत्ति” बताते हुये दूसरों को “धमका” भी रहे हैं !

आपने प्राय: देखा होगा कि इस तरह के वेबसाइटों को चलाने वाले अपनी वेबसाइट के ऊपर तरह-तरह की “वस्तुओं के या अश्लील विज्ञापन” भी लगा रखते हैं ! लेख को पढ़ने की इच्छा रखने वाला कोई व्यक्ति जब इनकी वेबसाइट पर जाता है तो वहां पर लगे हुए विज्ञापनों पर उत्सुकतावश किलिक करता है ! तब उस समय विज्ञापनों पर प्रति क्लिक के अनुसार वेबसाइट स्वामी को “धन” प्राप्त होता है ! यही एक मात्र मूल वजह है जिससे यह “लेखों के चोर” दूसरों के मौलिक चिंतन पर “डकैती” डालते हैं !

इसका दुश्परिणाम यह है कि जब इन “लेख चोर” तथाकथित राष्ट्र प्रेमियों के पास अपना कोई मौलिक चिंतन नहीं होता और यह “चोर” दूसरों की “मानसिक संपत्तियों” को चुरा कर अपना “धंधा” करते हैं ! तब कभी यदि कोई इनसे राष्ट्र के संदर्भ में विचार मांगता है, तो यह चोरों की तरह मुंह चुराकर भाग जाते हैं ! इन “चोरों” के “मोबाइल फोन स्विच ऑफ” हो जाते हैं ! इनके वेब साइटों पर किए जाने वाला कमेंट भी डिलीट कर दिया जाता है ! परिणामत: “वास्तविक राष्ट्रप्रेमी” जो किसी “अच्छे राष्ट्र भक्त विचारक” की तलाश कर रहे होते हैं, उनका विश्वास इन “चोरों” की उपरोक्त हरकतों के कारण भारत के “वास्तविक और ईमानदार विचारकों” के प्रति भी समाप्त हो जाता है !

इसके अलावा ऐसे “लेख चोर” अपने “सोशल इन्टरनेट नेटवर्क” के प्रभाव के कारण बड़े-बड़े राजनैतिक दलों से पैसा लेकर “राष्ट्रवादी विचारकों” को “गाली देने” और “धमकाने” का भी “ठेका” लेते हैं ! जिससे राष्ट्र हित पर चिंतन करने वाले विचारकों और लेखकों का मनोबल टूट जाता है और इस तरह राष्ट्र हित के लिये आवश्यक “नये विचार” समाज में आने बन्द हो जाते हैं ! जो “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” पर सीधा हमला है !

यह लोग देश के लिए “कलंक” हैं और “वेश्याओं से भी निकृष्ट विश्वासघाती कर्म में संलिप्त हैं !” ऐसे ही लोगों के कारण भारत में “व्यवस्था परिवर्तन” जैसा कुछ नहीं हो पा रहा है, क्योंकि जब कोई विचारक अपने विचार फैलाना शुरू करता है तो यह विचारों के घृणित “चोर” उसके विचारों को लेकर पैसा कमाने के लिए अपनी वेबसाइट पर डाल देते हैं ! और जब उस विचार से प्रभावित होकर कोई व्यक्ति वास्तव में राष्ट्रहित में इन लोगों से संपर्क करता है तो पहले तो यह लोग “राष्ट्र लुभावनी बात” करके उसे “ठगते” हैं, किन्तु जब उसे सच्चाई पता चलती है तो यह “चोर” भाग खड़े होते हैं !

अतः “अनैतिक धन” के लालच में “राष्ट्रप्रेमी विचारकों” के साथ किया गया यह “विश्वासघात” मेरी राय में उन वेश्याओं से भी “गंदा धंधा” है, जो परिस्थितिवश अपने जिस्म को बेचकर अपना निर्वाहन करती हैं ! वह कम से कम राष्ट्र के साथ या किसी अन्य “राष्ट्रप्रेमी मौलिक विचारक” के साथ अनैतिक धन के लिये “विश्वासघात” तो नहीं कर रही हैं ! ऐसे “वैचारिक चोरों” का बहिष्कार किया जाना चाहिए वरना समाज में “राष्ट्रहित के लिए मौलिक चिंतन” ही समाप्त हो जाएगा !

यदि आपकी निगाह में कोई वेबसाइट इस तरह के “लेख चोरी” के कार्य में लगी हुई है, तो कृपया कमेंट में उस वेबसाइट का नाम अवश्य लिखिये ! जिससे राष्ट्र प्रेमियों को इस तरह के “राष्ट्रघाती” डकैतों से बचाया जा सके !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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