क्या आप बनेंगे करोड़पति
धन कमाना पुरुषार्थ का विषय है लेकिन उसका उपभोग करना प्रारब्ध का विषय है
जन्मकुंडली में 12 (बारह) खाने होते हैं, जिन्हें ‘भाव’ कहा जाता है। इसमें पांचवें घर को फणकर, त्रिकोण तथा पंचम भाव कहा जाता है। कुंडली में इसी पंचम भाव में स्थित राशि, ग्रह एवं उस पर लाभ स्थान में स्थित ग्रहों की पड़ने वाली दृष्टि से अनायास धन प्राप्ति तथा धनवान योग का पता चलता है। यदि आपकी कुंडली में-
(1) पंचम भाव शुक्र क्षेत्र (वृषभ-तुला) हो और उसमें ‘शुक्र’ स्थित हो तथा लग्न में मंगल विराजमान हो तो व्यक्ति धनवान होता है।
(2) कर्क लग्न में चंद्रमा हो और बुध, गुरु का योग या दृष्टि पंचम स्थान पर हो तो जातक धनवान होता है।
(3) चंद्र-क्षेत्रीय पंचम में चंद्रमा हो और उत्तम भाव में शनि हो तो जातक धनवान होता है।
(4) पंचम भाव में मेष या वृश्चिक का मंगल हो और लाभ स्थान में शुक्र स्थित हो तो व्यक्ति निश्चित धनी होता है।
(5) पंचम भाव में धन या मीन का गुरु स्थित हो और लाभ स्थान बुध-युक्त हो तो जातक महाधनी होता है।
(6) पंचम में शनि बैठे हो (स्वक्षैत्री) और लाभ भवन में सूर्य-चंद्र एक साथ हो तो भी जातक निश्चित धनवान होता है।
(7) पाँचवें घर में सिंह के सूर्य हो और लाभ स्थान में शनि, चंद्र-शुक्र से युक्त हो तो इस योग का जातक धनी होता है।