समाज में कुछ लोग ऐसे होते हैं कि जिनका काम ही दूसरों की आलोचना करना होता है अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जाए कि चाहे कोई सामाजिक कार्यकर्ता हो, उद्योगपति हो, धार्मिक व्यक्ति हो, या अपने जीवन निर्वाह के लिए कड़ी मेहनत करने वाला मजदूर हो, यह वर्ग सदैव हर व्यक्ति की आलोचना करता रहता है ! ऐसे लोगों को छिद्रान्वेषण स्वभाव का व्यक्ति कहा जाता है !
नया-नया हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध बने हिंदुओं में आज हिंदू मंदिरों की दान पेटिका को देखकर उन्हें क्रोध और बुखार दोनों चढ़ता है ! लेकिन जब वह मंदिरों को कोई दान नहीं देते हैं और हिन्दू धर्म छोड़ चुके है तो यह बुखार क्यों चढ़ता है. यह वह खुद नहीं जानते हैं !
हिंदू समाज के मोटे-मोटे ब्राह्मण धर्म ग्रंथों को देखकर तो वह भयाक्रांत हो जाते हैं लेकिन उनमें से किसी में भी इतना सामर्थ नहीं है कि वह कोई अपना छोटा मोटा ही ग्रंथ लिख सकें ! लेकिन फिर भी उन्हें हिंदुओं के धर्म ग्रंथों से चिढ़ होती है, लेकिन क्यों होती है यह वह खुद नहीं जानते हैं !
प्रशासनिक सेवा से लेकर न्यायाधीश तक, देश के वैज्ञानिकों से लेकर विदेशों की तकनीकी सेवाओं तक, आज हर जगह जहां भी सवर्ण वर्ग अपनी मेहनत समझ और पुरुषार्थ से पहुंचा है ! उस सभी को देखकर इन्हें अनावश्यक ही तनाव होने लगता है !
और खुद देश की आजादी के बाद पिछले 75 साल बीत जाने के बाद भी चौथी पीढ़ी में भी आरक्षण की मांग का कटोरा लिये खड़े हैं !
यह आलोचक वर्ग ही दूसरे देशों के इशारे पर भारत में अराजकता तथा अविश्वसनीयता फैलाने का काम करते हैं ! इनके असंतोष को देश के सर्वनाश के लिए विदेशी ताकते प्रयोग करती हैं और यह लोग देशद्रोही शक्तियों के साथ मिलकर देश के सर्वनाश के लिए प्रयोग हो रहे हैं ! जिसका परिणाम भविष्य में गृहयुद्ध भी हो सकता है !
और मजे की बात यह है कि शासन सत्ता में बैठे हुए लोग इन सभी बातों को जानते हुए भी मात्र वोट बैंक के लिए इन नाकारा, अयोग्य, देशद्रोही और धर्म द्रोही विचार रखने वाले व्यक्तियों का समर्थन अपनी राजनीतिक लाभ के लिए करते रहते हैं !
जिससे इनका मनोबल और बढ़ता है ! यह एक गंभीर समस्या है ! इस पर समय रहते यदि नहीं चेता गया, तो यह मान लीजिए कि भारत के अंदर योग्य और अयोग्य दोनों वर्गों में सामाजिक संघर्ष और बढ़ जाएगा !
योग्य वर्ग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेगा और अयोग्य वर्ग राजनीतिक संरक्षण का लाभ उठाकर योग्य व्यक्ति का सर्वनाश करेगा ! जिसकी झलक वर्तमान में अलग-अलग घटनाओं में देखी जा सकती है !
जिससे योग्य व्यक्ति का तो कोई नुकसान नहीं होगा वह किसी दूसरे देश में जाकर नौकरी कर लेगा और जीवन निर्वाह कर लेगा ! लेकिन भारत का सर्वनाश सुनिश्चित है ! यह एक गंभीर विषय है ! इस पर चिंतकों को विचारकों को गहन विचार करना चाहिए !!