मौन का महत्व.
मौन ध्यान की ऊर्जा और सत्य का द्वार है। मौन से जहाँ मन की मौत हो जाती है वहीं मौन से मन की शक्ति भी बढ़ती है।
जिसे मोक्ष के मार्ग पर जाना है। जब तक मन है तब तक सांसारिक उपद्रव है और मन गया कि संसार खत्म और संन्यास शुरू।
मौन से कुछ भी घटित हो सकता है। योग में किसी भी क्रिया को करते वक्त मौन का महत्व माना जाता रहा है।
मौन से हमें भीतर ही भीतर मजबूती मिलेगी। इससे आत्मबल बढ़ता है। मौन से मन की शक्ति बढ़ती है।
शक्तिशाली मन में किसी भी प्रकार का भय, क्रोध, चिंता और व्यग्रता नहीं रहती। मौन का अभ्यास करने से सभी प्रकार के मानसिक विकार समाप्त हो जाते हैं।
रात में नींद अच्छी आती है। यदि मौन के साथ ध्यान का भी प्रयोग किया जा रहा है,
तो व्यक्ति निर्मनी दशा अर्थात बगैर मन के जीने वाला बन सकता है। इसे ही मन की मौत कहा जाता है,
जो आध्यात्मिक लाभ के लिए जरूरी है। मन को शांत करने के लिए मौन से अच्छा और कोई दूसरा रास्ता नहीं।
मन से जागरूकता का तीव्र गति से विकास होता है।
मौन से सकारात्मक सोच का विकास होता है। सकारात्मक सोच हमारे अंदर की शक्ति को और मजबूत करती है।
ध्यान योग और मौन का निरंतर अभ्यास करने से शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। मौन हमें कई विपदाओं से भी बचा लेता है।