सात्विक भोजन
आयुः – सात्विक – बलारोग्य – सुख – प्रीति – विवर्धनाः ।
रस्याः स्निग्धाः स्थिरा हृद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः ॥
आयु, बल, आरोग्य, सुख और प्रीति को बढ़ाने वाले रसीले, चिकने स्थिर, देर तक ठीक रहने वाले एवं हृदय के लिये हितकारी – ऐसा भोजन सात्त्विक जनों को प्रिय होता है । अर्थात् जिस भोजन के सेवन से आयु, बल, वीर्य, आरोग्य आदि की वृद्धि हो, जो सरस, चिकना, घृतादि से युक्त, चिरस्थायी और हृदय के लिये बल शक्ति देने वाला है, वह भोजन सात्विक है ।
”जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन,
जैसा पीवे पानी, वैसी होवे वाणी।’’
सात्विक भोजन हमारे जीवन को बदल देते हैं। इससे हमारा मन एकाग्रचित होता है। मन को अपने वश में रखने की शक्ति मिलती है। अत्यधिक क्रोध, मन को विचलित होने से बचाता है। सात्विक आहार की प्राण के साथ तुलना की गई है। बहुत से लोगों का मानना है कि तामसिक और राजसिक भोजन अधिक-से-अधिक शक्तिवर्धक होते हैं। वास्तविकता ये है कि ये केवल शरीरवर्धक, हष्ट-पुष्ट रखने में सहायक होते हैं वहीं सात्विक भोजन हमे पूरी तरह ऊर्जा देते हैं और निरोगी रखते हैं। सात्विक आहार सुंदर और आकर्षक काया प्रदान करती है।