यज्ञ हमारा सर्वोत्तम शिक्षक है !

यज्ञ अपना आदर्श, अपनी क्रिया से स्वयं ही प्रकट करता रहता है ! बस आवश्यकता उसे समझने की है ! (1) अग्नि का स्वभाव है कि सदा उष्णता और प्रकाश धारण किये रहती है हम भी उत्साह, श्रमशीलता, स्फूर्ति, आशा…
यज्ञ अपना आदर्श, अपनी क्रिया से स्वयं ही प्रकट करता रहता है ! बस आवश्यकता उसे समझने की है ! (1) अग्नि का स्वभाव है कि सदा उष्णता और प्रकाश धारण किये रहती है हम भी उत्साह, श्रमशीलता, स्फूर्ति, आशा…