वास्तु दोष के कारण नहीं बन पा रहा है राम मन्दिर : Yogesh Mishra

सरयू नदी के किनारे बसी हिन्दुओं के आराध्य देव मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या नगरी का उल्लेख भारत के कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है ! जहां एक ओर अयोध्या नगरी आदि अनादिकाल से प्रसिद्ध है वही दूसरी ओर यहां स्थित रामजन्म स्थली कई सदियों से विवादित है ! इस विवाद से जुडे़ मुकदमें पर पिछले दिनों इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया !

फैसले में आस्था और व्यवहारिकता का अनोखा तालमेल था ! इस फैसले पर हिंदुओं और मुस्लमानों की प्रतिक्रिया शुरू के एक-दो दिन तक काफी सकारात्मक आई किंतु इसके बाद से ही बयान देने वालों का रूख एकदम बदल सा गया और मीडिया के माध्यम से इस प्रकार के बयान आने शुरू हो गए – वक्फ बोर्ड का सुप्रीम कोर्ट जाने का एलान !

निर्मोही अखाड़े ने भी अपना रूख बदला ! सुलह की कोशिश को धक्काः मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा देंगे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती ! मुद्दा कभी खत्म नहीं होगा ! सुलह से विवाद सुलझाने की कोशिश को पलीता ! अयोध्या विवाद सुप्रीम कोर्ट जाना तय ! समझौते की कोशिश को झटका ! तौहफे में नहीं दी जा सकती मस्जिद ! इत्यादि ! इस प्रकार जहां अयोध्या फैसले के बाद जहां मोहब्बतों का सैलाब उमड़ा वहीं नफरतों की लहर भी चल पड़ी !

राम जन्मभूमि स्थल को लेकर हिंदू और मुस्लिम के बीच 1528 में बाबरी मस्जिद बनने के बाद कई बार हिंसक झडपें हो चुकी है ! अंग्रेजी हुकुमत ने भी विवाद सुलझाने के प्रयास किए ! परंतु विवाद ने समाप्त होने का नाम नहीं लिया !

जुलाई 1990 में विवादित स्थल की ओर बढ़ रहे उग्र कारसेवकों को रोकने के लिए पुलिस ने गोलियां चलाई, कई कारसेवक मारे गए !

6 दिसंबर 1992 को हिंदुओं द्वारा बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराय जाने के बाद विवाद इतना गहरा गया कि कई जगह हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़के और 2000 से ज्यादा लोग मारे गए !

इसके बाद फरवरी 2002 में रामनवमी के दिन अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों से भरे साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में गुजरात के गोधरा स्टेशन पर आग लगा दी गई ! इसमें 58 कारसेवकों की मौत हो गई ! इसके बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे जिसमें करीब 2000 लोगों की मौत हुई !

2005 में पांच हथियारबंद आतंकवादियों ने विवादित परिसर पर हमला किया ! सुरक्षबलों ने पांचों को मार गिराया !
राम जन्मभूमि से संबंधित उपरोक्त हिंसक झड़पों के इतिहास को देखते हुए आम जनमानस के मन में प्रश्न उत्पन्न होन स्वभाविक है कि, आखिर ऐसा क्या कारण है कि, लगभग पिछले 500 सालों से इस स्थान पर अपना अधिकार पाने के लिए अभी तक हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के बीच हुई हिंसक झड़पों में हजारों लोग मारे जा चुके है और अब सोचने की बात यह है कि, इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच के आए फैसले के बाद आखिर इस स्थान का भविष्य क्या है ?

जब हम अयोध्या नगरी और राम जन्मभूमि दोनों स्थानों की भौगोलिक स्थिति को वास्तु की नजर से देखे तो इस स्थान का भविष्य आईने की तरह साफ हो जाएगा !

अब आईये ! सबसे पहले देखते है कि, प्राचीन काल से अयोध्या नगरी को इतनी प्रसिद्धि क्यों मिली हुई है?

अयोध्या नगरी की उत्तर दिशा से सरयू नदी बहती हुई पूर्व दिशा की ओर घुमाव लेकर पूरे नगर को घेरती हुई पूर्व दिशा की ओर ही आगे को बढ़ गई है ! वह स्थान जहां वर्तमान में रामलला की मूर्ति रखी है जहां कभी बाबरी मस्जिद होती थी वह स्थान अयोध्या नगरी का सबसे ऊंचा स्थान है और वहां जमीन में चारों दिशाओं में ढलान है ! यह ढलान उत्तर और पूर्व दिशा की ओर सरयू नदी तक चला गया है ! उत्तर एवं पूर्व दिशा में भूमि का ढलान सामान्य है, सामान्यतः ऐसा ढलान नदी के किनारे बसे सभी नगरों में पाया जाता है !
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अयोध्या में किसी भी प्रकार का ना तो कोई बड़ा उद्योग और ना ही कोई व्यापारिक मंडी है ! किंतु नगर की उत्तर एवं पूर्व दिशा में ढलान और उत्तर से पूर्व दिशा में बहने वाली सरयू नदी के कारण यहां धन की कमी नहीं है ! अयोध्या में 7972 मंदिर है ! असंख्य संत है, 562 रजिस्टड पण्डे पुजारी, 500 से अधिक गाईड के साथ-साथ यहां हनुमान जी की फौज बंदर भी बहुत अधिक तादात में है ! नगरवासियों के साथ-साथ, संत, पण्डे-पुजारी, गाईड, बंदर इत्यादि सभी का भरण-पोषण आसानी से अच्छे तरीके से हो रहा है ! इस नगर में धन की अच्छी आवक है ! जैसा कि, गाईड ने बताया !

अब वास्तु विश्लेषण करते है राम जन्मभूमि परिसर की भौगोलिक स्थिति का, और देखते है यह स्थान प्रसिद्ध होने के साथ-साथ इतना विवादित क्यो है ?

राम जन्मभूमि परिसर जहां वर्तमान में बाबरी मस्जिद के मबले से बने टीले के ऊपर अस्थायी शेड में रामलला पूर्वमुखी विराजित है ! यह स्थान अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण अयोध्या का सबसे ऊंचा स्थान पहले से ही था जैसा कि, आप चित्र में देख सकते है ! बाबरी मस्जिद टूटने के बाद अब यह ऊंचाई मलबे से और भी बढ़ गई है ! अस्थायी शेड़ के सामने उत्तर एवं पूर्व दिशा में भूमि का ढलान सामान्य है ! जबकि ठीक इस टीले के पीछे पश्चिम दिशा एवं नैऋत्य कोण में भूमि का कटाव एकदम खड़ा एवं काफी गहरा है जब दर्शनार्थी अस्थायी शेड़ में विराजित रामलला के दर्शन करते है तो शेड़ के पीछे पश्चिम दिशा में ऐसा प्रतीत होता है जैसे वहां खाई हो ! साथ ही शेड के पीछे पश्चिम दिशा में दुराही कुआं भी है !

वास्तुशास्त्र के अनुसार जहां पश्चिम दिशा में ढलान, गढ्ढे, कुआं, तालाब अर्थात् किसी भी रूप में नीचाई हो तो ऐसे स्थान पर रहने वालों में दूसरों की तुलना में ज्यादा धार्मिकता रहती है ! जिन घरों में पश्चिम दिशा में नीचाई एवं पानी होता है ! उन घरों में रहने वाले जरूरत से ज्यादा धार्मिक होते है ! नैऋत्य कोण का इतना तीखा ढलान अमंगलकारी होकर विनाश का कारण बनता है ! दुनिया में जिन घरों में भी हत्याएं जैसी अनहोनी घटनाएं घटती है उन घरों के नैऋत्य कोण में इस प्रकार के दोष अवश्य होते है !

राम जन्मभूमि परिसर में आने के दो मार्ग पूर्व दिशा से है ! एक मार्ग जहां दर्शनार्थी रामलला के दर्शन के लिए रंगमहल बेरियर से होते हुए उत्तर ईशान से परिसर के अंदर घुसते है और फिर परिसर की पूर्व दिशा में चलते हुए परिसर के पूर्व आग्नेय से ही अंदर की ओर मुड़ते है जहां आज-कल कतार में लगकर दर्शन करने के लिए बेरिकेट्स लगे है ! दूसरा मार्ग अयोध्या नगरी के मुख्य मार्ग से परिसर में अंदर आने का पुराना मार्ग है ! जो इस परिसर के पूर्व आग्नेय भाग से टकराता है ! आजकल इस मार्ग का उपयोग वी.आई.पी एवं पुलिस के वाहनों के आने-जाने के लिए किया जा रहा है ! इस परिसर में दर्शनार्थियों के बाहर जाने का रास्ता भी परिसर के पूर्व आग्नेय से ही है !

इस प्रकार परिसर में आने-जाने के सभी रास्ते पूर्व आग्नेय से ही है ! परिसर में पूर्व आग्नेय में प्रवेश द्वार होने के साथ-साथ परिसर को पुराने मार्ग से पूर्व आग्नेय का मार्ग प्रहार भी हो रहा है और इसी मार्ग के कारण ही वर्तमान में राम जन्मभूमि परिसर की गई तार फैंसिंग से परिसर का पूर्व आग्नेय वाला भाग बढ़ भी गया है ! वास्तुशास्त्र के अनुसार तार फैंसिंग भी चार दीवारी की तरह ही प्रभाव देती है ! वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्व आग्नेय के दोष ही विवाद और कलह के कारण बनते है ! दुनिया में जहां भी विवाद होते है चाहे विवाद छोटे हो या बड़े, वहां पूर्व आग्नेय में दोष अवश्य पाया जाता है ! राम जन्मभूमि परिसर के पूर्व आग्नेय में उपरोक्त तीन दोष एक साथ होने के कारण ही विवाद इतना अधिक बढ़ गया है !

राजस्थान के चित्तौड़ शहर के पहाड़ पर स्थित दुर्ग में इसी पूर्व आग्नेय के द्वार के कारण ही हमेशा युद्ध होते रहे ! दुर्ग के 13 किलोमीटर के परिसर में पश्चिम दिशा के ढलान के कारण ही इस पहाड़ी पर 113 मंदिर है जिनमें से 50 आज भी अच्छी हालत में है ! दुर्ग के नैऋत्य कोण के ढलान के कारण हजारों की तादत में सैनिक मारे जाते रहे और रानी पद्मिनी सहित कई स्त्रियों को आत्मदाह करना पड़ा ! इन्हीं तीन दोषों के कारण यहां हमेशा युद्ध होते रहे और थोड़े-थोड़े अंतराल में शासक बदलते रहे और यही तीनों दोष राम जन्मभूमि परिसर में भी है !

आपके मन में यह विचार आ सकता है कि, अब चित्तौड़ के दुर्ग में ऐसी दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति क्यां निर्मित नहीं हो रही है? इसका कारण है कि, जब तक दुर्ग की चारदीवारी बनी हुई थी तब तक पूरी पहाड़ी का एक वास्तु था और उसका प्रभाव उस चार दीवार के अंदर रहने वालों पर पड़ रहा था ! परंतु आज चार दीवारी कई जगह से टूट गई है और कई पोल के दरवाजे निकल गए है ! ऐसी स्थिति में अब जो लोग पहाड़ी पर स्थित बस्ती में रह रहे है उनके घरों के वास्तु प्रभाव उनके घर की बनावट के अनुसार उन परिवारों पर पड़ रहा है !

इस वास्तु विश्लेषण से स्पष्ट है कि, राम जन्मभूमि परिसर की पश्चिम दिशा के वास्तुदोषों के कारण इस स्थान के प्रति लोगों में जुनून की हद तक धार्मिकता है ! पूर्व आग्नेय के दोष के कारण, धार्मिक स्थान को लेकर हो रहा यह विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है और नैऋत्य कोण के दोष के कारण समय-समय पर हत्याएं और अनहोनी घटनाएं घटित हो रही है !

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट में विवादित स्थल पर ढाई हजार साल पहले कोई न कोई मंदिर का ढांचा मौजूद रहने के संकेत दिए गए है ! जिसकी नीव पर बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ और फिर बाबरी मस्जिद के मलबे पर रामलला की मूर्ति रखकर का अस्थायी शेड़ बनाया गया है अर्थात् समय-समय पर यहां बना भवन टूटता रहा है !

वास्तुशास्त्र का एक सिद्धांत है कि, यदि पहाड़ के मध्य में कोई भवन बना हो, जिसके पीछे पहाड़ की ऊंचाई हो, आगे की तरफ पहाड़ की ढलान हो, और ढलान के बाद पानी का झरना, कुंड, तालाब, नदी इत्यादि हो, ऐसा भवन प्रसिद्धि पाता है और सदियों तक बना रहता है ! नाथद्वारा में भी दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में बहुत ऊंचाई है और उत्तर पूर्व दिशा की ओर तीखा ढलान है और ढलान के मध्य में श्रीनाथ मंदिर परिसर है इस परिसर के बाद सिंहाड तालाब है और तालाब के बाद बनास नदी बह रही है ! तिरूपति बालाजी, में भी मंदिर के ठीक पीछे पश्चिम दिशा में पहाड़ है ! और दक्षिण दिशा में काफी ऊंचाई है और आगे उत्तर एवं पूर्व दिशा में पुष्यकरणी कुंड के साथ-साथ तीखा ढलान दूर तक चला गया है !

जबकि रामजन्म भूमि परिसर की भौगोलिक स्थिति फेंगशुई के इस सिद्धांत के बिल्कुल विपरीत है ! क्योंकि, इसके पीछे दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में गहरी खाई समान नीचाई है ! इस वास्तुदोष के कारण इस स्थान पर बने भवन बार-बार विध्वंस की बलि चढ़ते रहे !

राम जन्मभूमि परिसर पर हाई कोर्ट की तरह, सुप्रीम कोर्ट भी दिलों को जोड़ने वाला सम्मानजनक समाधान निकाल दे तब भी राम जन्मभूमि परिसर के उपरोक्त वास्तुदोषों के कारण यह विवाद कभी सुलझ नहीं सकता ! देश के अमन-चैन चाहने वाले भी विवाद को सुलझाने के लिए चाहे कितने ही सकारात्मक प्रयास क्यों ना कर लें ! नतीजा कुछ भी नहीं निकलने वाला है यह बिल्कुल तय है !

यदि इस विवाद को पूर्ण रूप से समाप्त करना है तो सरकार को चाहिए कि, वह राम जन्मभूमि परिसर के वास्तुदोषों को पहले दूर करें ! जैसे – राम जन्मभूमि परिसर की पश्चिम दिशा एवं नैऋत्य कोण की नीचाई को मिट्टी डालकर टीले के बराबर किया जाए और परिसर की इन दिशाओं में 8 से 10 फीट ऊंची कम्पाऊण्ड वाल बनाई जाए ! इसी के साथ पूर्व आग्नेय के मार्ग को समाप्त किया जाए एवं इस दिशा के सभी द्वार बंद कर इन्हें पूर्व ईशान की ओर स्थानांतरित किया जाए ! तो निश्चित इस स्थान को लेकर जो विवाद सदियों से चल रहा है वह पूर्णतः समाप्त हो जाएगा और देश में अमन-चैन आ सकेगा !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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