क्या देश का सर्वनाश चाहते हैं आर्थिक विकास विरोधी राजनेता : Yogesh Mishra

2014 का चुनाव इसी आर्थिक एजेंडे पर हुआ था कि भारत में बहुत भ्रष्टाचार है और भारत के आम आवाम का पैसा भारतीय तत्कालीन सत्ताधारी नेता भ्रष्टाचार द्वारा कमाकर विदेशी बैंकों में रख रहे हैं ! यदि बीजेपी सत्ता में आयेगी तो वह आर्थिक भ्रष्टाचार पूरी तरह से समाप्त कर देगी और भारत का पैसा भारत के विकास कार्यों में लगाया जायेगा ! जिससे भारत के आम आवाम की संपन्नता कई गुना बढ़ जायेगी ! कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोयेगा ! सभी आवश्यक वस्तुयें अत्यंत सस्ती हो जायेंगी और भारत में सभी तरफ संपन्नता ही संपन्नता दिख लाई देगी !

इसी उद्देश्य से काला धन समाप्त करने के लिये भारत में नोट बंदी लागू की गई थी ! जिसमें अन्य राजनीतिक दलों को तो आर्थिक हानि हुई लेकिन बीजेपी की राजनैतिक पूंजी कई गुना जरूर बढ़ गई ! राजनैतिक चंदा देने के नये मानक निर्धारित हो गये और पूंजीपतियों द्वारा जो विभिन्न राजनीतिक दलों को चंदा दिया जाता था ! उस चंदे का अधिकांश हिस्सा भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक कोष की तरफ बढ़ गया ! लेकिन इस सब से न तो भ्रष्टाचार ही खत्म हुआ और न ही भारत के आम आवाम को कोई फायदा मिला !

निरंतर झूठ बोलकर सभी नागरिकों को आधार कार्ड बनवाने के लिये बाध्य किया गया ! लोगों के आधार कार्ड बैंक अकाउंट और पैन कार्ड से जुड़वा दिये गये ! आय के स्रोत जहां कहीं भी थे उन सभी को भ्रष्टाचार समाप्त करने के नाम पर आधार कार्ड से जोड़ दिया गया ! लेकिन फिर भी भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हुआ ! हां कुछ कंपनियां जो गड़बड़ी करती थी या एन.जी.ओ. जो विदेशों से धन लाते थे उनके ऊपर अंकुश जरूर लगा ! लेकिन कुछ समय बाद इन लोगों ने भी नये रास्ते बना लिये !

किंतु इस सबसे आम आवाम को कोई लाभ नहीं हुआ ! बल्कि इसके दुष्परिणाम यह हुये के व्यापार जगत में भयानक आर्थिक मंदी छा गयी ! जो वर्तमान सरकार की गलत आर्थिक नीतियों का परिणाम थी ! उस आर्थिक मंदी के परिणाम स्वरूप बैंक घाटे में चले गये और आम आवाम के मेहनत का जो पैसा बैंकों में जमा था ! उस पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे ! लोगों ने बैंक से पैसा निकाल कर सोना चांदी आदि में निवेश करना शुरू किया तो इस तरह की आर्थिक नीतियां बनाई गई ! जिससे एक निर्धारित मात्रा से ज्यादा सोना चांदी आदि बहुमूल्य वस्तुयें व्यक्ति अपने घर पर नहीं रख सकता था !

मतलब यह अगर बैंक में पैसा रखें तो बैंक बंद हुआ जा रहा है और यदि उस पैसे सामग्री खरीद कर घर पर रखें तो उसे सरकार जप्त कर ले रही है !

कुछ लोगों ने बिटकॉइन जैसे काल्पनिक मुद्रा में निवेश किया ! जिसमें उनके द्वारा निवेश की गई धनराशि जब कई गुना बढ़ गई ! तो जैसे ही सरकार के संज्ञान में आया उन्होंने तत्काल बिटकॉइन के व्यवसाय को अवैध घोषित कर दिया ! जिससे लाखों करोड़ रुपये निवेशकों के डूब गये !

तब लोग शेयर बाजार की तरफ गये ! इसमें इकट्ठे निवेश के कारण उस समय तो शेयर बाजार तेजी से बढ़ा किंतु आज पिछले 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुये भयंकर गिरावट की ओर जा रहा है ! लोगों के मेहनत की कमाई का का लगभग 25, लाख करोड़ो रुपये अब तक इस तरह के भ्रष्टाचार निवारण अभियान के तहत खत्म हो चुके हैं !

प्रति व्यक्ति आय घट गई है ! बेरोजगारी बढ़ गई है ! चारों तरफ आर्थिक निराशा का वातावरण है ! बड़ी-बड़ी कंपनियां बंद होने के कगार पर हैं ! स्टेट बैंक जैसे स्वयंभू आर्थिक जगत के आधार स्तंभ आज अपने अस्तित्व रक्षा के लिये चिंतित है ! रिजर्व बैंक का गवर्नर निरंतर सरकार को आगाह कर रहा है कि देश भयंकर आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रहा है ! किन अपनी धुन के पक्के हमारे राजनेता अपने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में लगे हुये !

जी.एस.टी. ने पूरे के पूरे अर्थ जगत को धोबी के कुत्ते की तरह बना रखा है ! जो घर का रह गया है और न घाट का ! फिर भी महंगाई और काला बाजारी चरम पर है !

अब प्रश्न यह है कि यह कृतिम आर्थिक मंदी लाने वाले लोग आखिरकार चाहते क्या हैं ! क्या यह सब कुछ स्वत: गलत निर्णय के कारण हो रहा है या अंतरराष्ट्रीय पूंजीपतियों के दबाव में जानबूझकर गलत निर्णय लेकर भारत की अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित तरीके से ध्वस्त किया जा रहा है !

क्योंकि कुछ ऐसे अप्रत्याशित निर्णय लिये जा रहे हैं जो पूरे के पूरे अर्थ जगत को व्यवस्थित तरीके से नष्ट करने की ओर इशारा करते हैं ! जैसे कल रात में ही लिया गया निर्णय चिंता का विषय है कि जिन लोगों ने यश बैंक का शेयर 100 से अधिक खरीद रखा है ! वह 75% शेयर अगले 3 वर्ष तक नहीं बेच सकेंगे !

अर्थात नोटबंदी और जी.एस.टी. के प्रभाव में भारत के उद्योग जगत के नष्ट हो जाने के बाद अब जब बैंक भी फेल हो रहे हैं ! उस स्थिति में यदि कोई व्यक्ति बिटकॉइन जैसी कृतिम करेंसी द्वारा धन कमाता है या शेयर बाजार के अंदर पैसा लगा कर अपनी सूझबूझ से धन कमाता है तो उसके धन कमाने के सभी अवसर को व्यवस्थित तरीके से नष्ट किया जा रहा है !

चिंता का विषय यह है कि यदि भारत की अर्थव्यवस्था को इसी व्यवस्थित तरीके से निरंतर नष्ट किया जाता रहा तो जो संपन्नता का वादा करके राजनीतिक दल सत्ता में आया था ! वह इस देश को विपन्नता को किस श्रेणी तक ले जाकर नष्ट कर देना चाहते हैं ! यह विचारणीय प्रश्न है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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