गंभीरता से विचार करने पर यह निष्कर्ष निकलता है कि हर युग में भगवान अपने विचारधारा के विपरीत विचार रखने वाले विद्वानों से नफरत करते रहे हैं ! जिसके कुछ उदहारण निम्न हैं !
सतयुग में महर्षि भृगु को ही ले लीजिए ! विष्णु के मानवता विरोधी साम्राज्यवादी नीतियों के कारण उन्हें विष्णु लोक अर्थात कैस्पियन सागर तब जाकर भरे समाज में विष्णु के सीने पर लात मारनी पड़ी थी !
इसके बाद भगवान शिव के अनन्य भक्त तथा शैव जीवन शैली के अति विद्वान् विचारक हिरण्याक्ष ने जब दूसरे ग्रहों से आये हुये ब्रह्म संस्कृत के विद्वानों के विचार जो वेदों में वर्णत थे ! जो सनातन शैव जीवन शैली के विपरीत थे ! उसका विरोध किया तो वराह पालकों के सहयोग से विष्णु ने हिरण्याक्ष को हत्या करवा दी !
अपने बड़े भाई हिरण्याक्ष की हत्या का बदला लेने के लिये जब हिरण्यकश्यप ने विष्णु को ढूंढना शुरू किया तो वह 2 वर्ष 11 महीने तक पत्नी सहित अफगानिस्तान जंगलों में भटकते रहे !
और अंततः नारद के सहयोग से हिरण्यकश्यप के तीसरे पुत्र बालक प्रह्लाद के सहयोग से महल में घुसने के सुरंग का रास्ता ज्ञात कर लिया ! जो एक खंबे के नीचे से होकर महल के बाहर आता था !
और कालांतर में इसी मार्ग से घुस कर हिंसक जीव पालकों के सहयोग से, अवकाश के दिन, सायं काल के समय जब हिरण्यकश्यप के अंगरक्षक विश्राम करने जा चुके थे, तब हिरण्यकश्यप के महल पर गुप्त हमला कर उसकी हत्या कर दी !
इसी तरह हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद और उसके पुत्र विरोचन के ज्येष्ठ पुत्र अर्थात हिरण्यकशिपु के प्रापौत्र राजा बली जो असुर साम्राज्य के राजा थे ! उनके गुरु भगवान शिव के अनन्य भक्त जो मृतसंजीवनी विद्या के जानकार थे ! शुक्राचार्य जी महाराज की राजा बली के त्रिलोक विजय यज्ञ के दौरान यज्ञ को असफल करने के लिये उनकी एक आंख फोड़ दी ! फिर भी यज्ञ सफलता पूर्वक सम्पादित हुआ !
तब विष्णु ने एक निर्बल, गरीब, अविकसित, बौने ब्राह्मण का रूप रख कर राजा बलि को ही छल लिया ! और पृथ्वी पर तीन पग भूमि यज्ञ के लिए मांगने के नाम पर, अंततः हजारों गुरुकुल की स्थापना कर जन विद्रोह खड़ा कर दिया !
जिससे परेशान होकर राजा बलि को ब्राजील जाना पड़ा और राजा बलि ने ब्राजील जाने के पहले विष्णु के इस कृत्य का बदला लेने के लिए उसे गिरफ्तार कर अपने यहाँ दरबान की नौकरी पर नियुक्त कर दिया !
जिन्हें बाद में विष्णु की पत्नी लक्ष्मी के आग्रह पर छोड़ा दिया और राजा बलि की भारत यात्रा के दौरान लक्ष्मी के पिता अर्थात विष्णु के ससुर सागर के सहयोग से विष्णु ने राजा बलि की इंद्र द्वारा हत्या करवा दी !
इसी तरह राम के रूप में राम ने अति विद्वान भगवान शिव के भक्त रावण की उसके परिवार, समूह, वंश सहित उसकी हत्या कर दी !
कृष्ण के रूप में भी इच्छा मृत्यु की सिद्धि प्राप्त भीष्म पितामह से लेकर शब्दभेदी बाण और ब्रह्मास्त्र के ज्ञाता द्रोणाचार्य, कृपाचार्य जैसे विद्वानों की हत्या करावा दी !
यही नहीं सूर्य के समान प्रतापी और सिद्धान्तवादी, दानवीर कर्ण जैसे महान ज्ञानी, प्रतापी योद्धा की महाभारत के युद्ध के दौरान छल पूर्वक हत्या उन्हीं के भाई के हाथों करवा दी !
यह सभी विषय विस्तार के साथ विचारणीय हैं ! इस शोध का यह निष्कर्ष निकलता है कि तथाकथित भगवान के सोच के विपरीत जो भी व्यक्ति जीवन जियेगा, उसे नष्ट कर दिया जाएगा !!