क्या कोरोना दुनियां को एक नयी सोच देगा ! : Yogesh Mishra

ब्रिटेन के दार्शनिक जॅान गेरी ने “ न्यू स्टेटस मैन “ पत्रिका में अपने एक लेख में लिखा है कि वीरान सडकें फिर से आबाद हो जायेंगी ! लेकिन संभावित रूप से दुनिया जैसा हम पहले सोचते थे अब वैसी नहीं रहेगी ! और इसका कारण होगा कोरोना ! यह मात्र एक घटना है ! कोई वैश्विक संकट नहीं है ! बल्कि यह इतिहास में एक अहम मोड़ है जो भविष्य के विश्व का आधार साबित होगा !”

ऐसा लग रहा है कि अब भूमंडलीकरण का दौर खत्म हो चुका है ! भविष्य में संभव है कि वह अर्थ व्यवस्था कम नज़र आये जिसमें विभिन्न देशों में एक दूसरे से जुड़ी इकाइयों का जाल फैला हुआ होता है ! हमेशा भाग दौड़ से भरी ज़िदंगी गुज़ारने का तरीक़ा भी संभावित रूप से बदल जायेगा ! शारीरिक रूप से हमारा जीवन अतीत की तुलना में अधिक सीमित और अधिक काल्पनिक हो जायेगा ! दुनिया में वैचारिक बिखराव बढ़ जायेगा और कई आयामों से लोगों में लचक कम हो जायेगी !

कोरोना के बाद जो दुनिया सामने आयेगी ! वैसे तो वह अतीत से बहुत मिलती जुलती होगी लेकिन यह तो निश्चित है कि भूमण्डलीकरण की जो प्रक्रिया है वह धीमी हो जायेगी और यह भी निश्चित है कि कोरोना वायरस ने विश्व की अर्थ व्यवस्था की बहुत सी कमज़ोरियों को पूरी तरह से उजागर कर उसका डिजिटलाइजेशन कर दिया है ! जो विश्व सत्ता की इच्छा है ! और इससे यह भी पता चल गया कि उदारवादी और पुंजीवादी व्यवस्था में कैसी विनाशकारी कमज़ोरियां हैं !

अभी जो हालात पैदा हुये हैं ! उसके बाद यह निश्चित है कि कोरोना के बाद चिकित्सा साधनों को चीन में या किसी भी गैर उदारवादी देशों में बनाने की बात पश्चिम स्वीकार नहीं करेगा ! कोरोना के बाद की दुनिया में चिकित्सा और अन्य ज़रूरी उपकरणों को पश्चिम कहीं और बनाने की अनुमति नहीं देगा और अब यह विचार कि ब्रिटेन जैसा कोई देश उदाहरण स्वरूप कृषि का काम बंद करके कृषि उत्पादों के आयात पर निर्भर हो सकता है ! यह पूरी तरह से अस्वीकारीय हो जायेगा ! लोग कम यात्रा करेंगे जिससे एयर लाइनों को भारी नुकसान होगा ! कोरोना के बाद विभिन्न देश अपनी सीमायें अधिक कड़ाई के साथ बंद करेंगी !

कोरोना के बाद की दुनिया में उत्पादन में विस्तार को कोई उद्देश्य नहीं रहेगा क्योंकि लोगों में क्रय शक्ति नहीं होगी और बाजार ही नहीं होगा ! आर्थिक निराशा के कारण आबादी में वृद्धि भी रुक जायेगी ! इन्सानों से भरी दुनिया ठहर जायेगी और पेड़, पौधों, जानवर का विकास होगा ! पर्यावरण ठीक हो जायेगा !

कोरोना के बाद बनने वाली नयी दुनिया में क्रेता कम होने से प्रतिस्पर्धा बढेगी और विभिन्न देश अपनी-अपनी जनता को सब से अधिक महत्वपूर्ण समझेंगे और जो सरकारें इस प्रकार नहीं सोचेंगी ! वह बुरी तरह से विफल हो जायेंगी ! क्योंकि जनता को सरकार से बहुत तरह की अपेक्षा होगी ! जो पूरी नहीं होगी ! जिससे जनता में असंतोष बढ़ेगा !

कोरोना ने विश्व स्तर पर बहुत बड़े बड़े परिवर्तन किये हैं ! वाहनों और जहाजों के न चलने से तेल की कीमतों में आयी गिरावट ने खाड़ी देश के भविष्य को ही खतरे में डाल दिया है ! लेकिन इन हालात में भी पूर्वी एशिया में विकास निश्चित रूप से जारी रहेगा ! कोरोना के सामने सब से अधिक सफलता से अब तक दक्षिणी कोरिया, ताइवान और सिंगापुर ने संघर्ष किया है लेकिन इस बात पर विश्वास करना कठिन है कि इस युद्ध में उनकी पारंपरिक रीति रिवाजों के कारण उन्होंने बड़ी विजय हांसिल की है ! अब अगर यह देश पश्चिमी देशों से अधिक सफलता के साथ भूमंडलीकरण का काम शुरु करें तो कोई हैरत की बात नहीं होना चाहिये !

चीन का रुख सारे देशों से अधिक जटिल है ! कोरोना वायरस के दौरान चीन की गतिविधियों को परखना बहुत कठिन काम है और फिर वह प्रजातांत्रिक देशों के लिये कभी आदर्श भी नहीं हो सकता है !

विश्व की साम्राज्यवादी शक्तियां आज अपने अस्तित्व रक्षा में लगी हुई हैं और उदारवादी देश की उदारता अब खत्म होती नजर आ रही है ! कोरोना ने पूंजीवाद और साम्राज्यवाद दोनों की ही जड़ों को हिला दिया है ! साम्यवाद भी नये सामाजिक दृष्टिकोण पर विचार कर रहा है !

भारत के अंदर जो पश्चिम की ओर दौड़ने की ललक थी ! वह खत्म होती दिखाई दे रही है ! बड़े-बड़े अति आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट आज मार्केट में आने को बेताब हैं लेकिन उनका कोई खरीददार नहीं है !

समाज में कैश फ्लो एकदम रुक गया है ! आज व्यक्ति अपनी आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करने में भी संकोच कर रहा है ! अति साधन संपन्न परिवार भी अपने महंगे संसाधनों को अपनी नजरों के सामने नष्ट होता देख रहे हैं ! जिसने व्यक्ति की महत्वाकांक्षा को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है !

फिलहाल पूरी दुनिया कोरोना के भय में है और इसका एक बड़ा फायदा यह है कि इसने हमारे सोचने के तरीके को बदल दिया है ! इस तरह एक नयी सोच के साथ हम एक बदली हुई दुनिया में जीवन व्यतीत करने की तैयारी कर सकते हैं !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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