आधुनिक शिक्षा जगत में डिजिटल एजुकेशन का षड्यंत्र : Yogesh Mishra

आज भारत में नई शिक्षा नीति लागू हो जाने के साथ ही शिक्षा जगत में यह अनिवार्य कर दिया गया है कि अब बच्चों को 40% शिक्षा आधुनिक डिजिटल संसाधनों से दी जायेगी, जो धीरे-धीरे आगामी 10 वर्षों में शत प्रतिशत डिजिटल एजुकेशन की ओर चरणबद्ध तरीके से बढ़ाई जाएगी ! किंतु इस पूरे के पूरे कार्यक्रम के पीछे षड्यंत्र क्या है इसको समझिये !

जैसा कि मैं अपने पूर्व के लेखों में कई बार लिखा है कि भारत यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देशों के लिए बौद्धिक मजदूर सप्लाई करने का मुख्य केंद्र है, इसीलिए देश की आज़ादी के बाद योजनाबद्ध तरीके से पिछले 75 सालों में भारत के अंदर शिक्षा जगत में कोई भी क्रांतिकारी सुधार नहीं किया गया ! आज भी शिक्षा जगत में विकास के नाम पर नित नये प्रयोग ही किये जा रहे हैं !

आज न तो छात्र पढ़ना चाहता है और न ही शिक्षक पढ़ाना चाहता है ! इसका परिणाम यह हुआ कि देश की आजादी के बाद मात्र 75 साल में खरबों रुपये शिक्षा पर व्यय कर देने के बाद भी मात्र तीसरी पीढ़ी में हमारे देश में योग्य शिक्षकों का अभाव हो गया है ! जिस वजह से पश्चिम जगत के उद्योग घरानों को भारत से अब योग्य बौद्धिक मजदूरों की सप्लाई नहीं हो पा रही है !

जिस समस्या को सुधारने के लिये पिछले 50 वर्षों में अनेकों प्रयास भारत और भारत के बाहर के उद्द्योग घरानों ने एन.जी.ओ. आदि के माध्यम से धन संसाधन आदि देकर सुधरने का प्रयास किया किंतु उन्हें कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई !

ऐसी स्थिति में डिजिटल संसाधनों को विकसित कर लेने के बाद पश्चिम जगत के उद्योग घरानों ने यहनिर्णय लिया है कि अब वह स्वयं अपने डिजिटल स्कूल और यूनिवर्सिटी खोलकर पूरी दुनिया में अपनी आवश्यकता के अनुरूप बौद्धिक मजदूर तैयार करेंगे ! जिस हेतु डिजिटल एजुकेशन पर इतना जोर दिया जा रहा है !

यह डिजिटली एजुकेशन भारत के पतन का भविष्य में एक मुख्य कारण बनेगा ! इससे भारत में 3 वर्ग खड़े होंगे ! एक वह जो डिजिटली एजुकेट होकर विदेशों में जाकर बस जायेंगा ! दूसरा वह वर्ग जो डिजिटली एजुकेट तो होगा लेकिन भारत में ही अपने विकास के लिए संघर्ष करता रहेगा और तीसरा वर्ग में होगा जो डिजिटल संसाधनों के अभाव में एजुकेट न हो पाने के कारण निरंतर भारतीय समाज में अपराध को बढ़ावा देगा ! जो भविष्य में समाज के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन जायेगा !

इसलिए डिजिटल एजुकेशन के स्थान पर परंपरागत शिक्षा पद्धति में ही सुधार करने की आवश्यकता है क्योंकि जब परंपरागत तरीके से बच्चों को पढ़ाया जाता है, तो बच्चों के ऊपर शिक्षक के व्यक्तित्व का सीधा प्रभाव पड़ता है ! जिससे बच्चों में संस्कार तो विकसित होते ही हैं, साथ ही आत्मीयता भी विकसित होती है ! जो बच्चों के समग्र विकास के लिये अत्यंत आवश्यक है !

आज भारत में आवश्यकता डिजिटल एजुकेशन से ज्यादा योग्य और प्रभावशाली शिक्षकों को निर्मित करने की है ! इससे ही देश में आने वाली पीढ़ियों का समग्र विकास संभव है ! डिजिटल एजुकेशन के नाम पर बौद्धिक मजदूरों की गुणवत्ता सुधारने से भारत को निजी तौर पर शिक्षा जगत में कोई बड़ा लाभ नहीं होने वाला है ! सिवाय अपने अमूल्य बौद्धिक सम्पदा को चिन्हित करके दूसरे देशों को दे देने के !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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