क्या अब हमें यंत्रों के साथ ही रहना होगा : Yogesh Mishra

कंप्यूटर विज्ञान में कृत्रिम बुद्धि के शोध को “होशियार एजेंट” का अध्ययन माना जाता रहा है ! होशियार एजेंट अर्थात कोई भी ऐसा सयंत्र है जो अपने आसपास के वातावरण को देखकर, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करता है अर्थात एक मशीन जो इंसानों की “संज्ञानात्मक” कार्यों की नकल करता है !

कृत्रिम बुद्धि (एआई) का दायरा विवादित है ! क्यूंकि मशीनें तेजी से सक्षम हो रहे हैं, जिन कार्यों के लिए पहले मानते थे कि होशियार व्यक्ति चाहिए ! वह सभी कार्य अब “कृत्रिम होशियारी” के दायरे में आते हैं ! उद्धाहरण के लिए लिखे हुए शब्दों को पहचानने में अब मशीन इतने सक्षम हो चुके हैं कि इसे अब पुनः टाईप या पढ़ने के लिये मनुष्य की जरुरत नहीं रह गयी है ! आज कल का ए.आई. इंसान की वाणी को भी समझने लगा है ! वह शतरंज या “गो” भी मनुष्य से बेहतर खेलता है ! बिना इंसानी सहारे के खुद गाडी चलाता है ! खाना बनता है ! आपके स्वस्थ की देख भाल करता है ! आदि आदि !

हाल ही में भारत के सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने गूगल के साथ इस बात पर सहमति बनी है कि दोनों भारत की उदीयमान कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देंगे ! जिससे देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक अपना तंत्र निर्मित हो !

नीति आयोग ने इस एआई जैसे प्रौद्योगिकियाँ को विकसित करने और अनुसंधान के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी भी गूगल को ही सौंपी है ! इस जिम्मेदारी पर नीति आयोग राष्ट्रीय डाटा और एनालिटिक्स पोर्टल के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय कार्य नीति विकसित किया जा रहा है ! ताकि व्यापक रूप से इसका उपयोग किया जा सके !
इस एआई अनुसंधान के पारंपरिक लक्ष्यों में तर्क, ज्ञान प्रतिनिधित्व, योजना, सीखना, भाषा समझना, धारणा और वस्तुओं को कुशलतापूर्वक उपयोग करने की क्षमता आदि सभी कुछ शामिल है ! लगता है जैसे अब मानव की आवश्यकता ही नहीं हैं ! क्योंकि एआई अब विज्ञान के लिए कंप्यूटर, गणित, मनोविज्ञान, भाषाविज्ञान, तत्वविज्ञान और कई अन्य को अपनी बौद्धिक क्षमता के मानव आश्रित कार्य स्वयं विकसित करेगा !

कुछ लोगों का यह भी मत है कि कृत्रिम बुद्धि (एआई) एक दिन मानवता के लिए खतरा बनेगी हैं क्योंकि मशीन में भावनाएं नहीं होती हैं ! इसलिये अगर यह अनावश्यक रूप से प्रगति करता है तो निश्चित ही एआई तकनीकी क्रांति के विपरीत बड़े पैमाने पर बेरोजगारी और मनुष्य के लिये खतरा भी पैदा करेगा !
किन्तु दुनिया को नियंत्रित करने वाले विश्व सत्ता के आकाओं ने सब कुछ अपने नियंत्रण में रखने के लिये अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए.आई.) को मानवता के विरुद्ध विकसित करने की ठान ली है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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