विश्व सत्ता का षडयंत्र कैसे असफल होगा : Yogesh Mishra

विश्व के साम्राज्यवादी और पूंजीवादी व्यवस्था ने अपने विश्व सत्ता के उद्देश्य को पाने के लिये पश्चिमी शिक्षा पद्धति के माध्यम से बराबर हमें यह समझाने का प्रयास किया है कि हम और हमारे पूर्वज दोनों ही पूरी तरह से अशिक्षित, मूर्ख और जंगली कबीलों में रहने वाले संस्कार विहीन लोग थे ! जिन्हें मात्र 400 साल पहले यूरोप से आये हुये ठग, बेईमान, धूर्त और आक्रमणकारियों ने संस्कारवान और समझदार बना दिया वरना हम पूरी दुनिया में पिछड़े हुये अशिक्षित नागरिक रह जाते !

लेकिन इतना सब बतलाने के पीछे उनका जो मुख्य उद्देश्य था ! वह यह था कि हम अपने पूर्वजों के ज्ञान और जीवन शैली पर बिल्कुल भी चिंतन न करें ! हमारा आत्म स्वाभिमान पश्चिमी शिक्षा पद्धति द्वारा इस स्तर तक कुचल दिया जाये कि हम अपने जीवन की हर उपलब्धि की तुलना पश्चिम के देशों से करते रहें और उनके पूंजीवाद को बढ़ने के लिये भौतिक संसाधनों को इकट्ठा करने की होड़ में एक बौद्धिक बंधुआ मजदूर बन कर पश्चिम के साम्राज्यवादी और पूंजीवादी व्यवस्था के इशारे पर जीवन भर नाचते रहें !

इसलिये हमें इनके षड्यंत्र से यदि बचना है तो जो भी आधी अधूरी शिक्षा आज हमारे पास है ! उसके ही आधार पर हमें अपने शस्त्र और शास्त्रों का अध्ययन करना होगा और इतिहास के उन गुमनाम पन्नों की तलाशने करने की कोशिश करनी होगी जो आज तक हमसे छिपाकर रखे गये हैं !

यह मैं मानता हूँ कि इस गुमनाम इतिहास को जानने से निश्चित ही कोई भौतिक उपलब्धि नहीं होगी लेकिन हमें अपने पर और अपने पूर्वजों के ज्ञान पर हमारा स्वाभिमान जरूर जागृत होगा ! जो आज की परिस्थितियों में सबसे अधिक आवश्यक है !

इसके लिये अधिक से अधिक परस्पर सकारात्मक विषयों पर संवाद बनाये रखिये ! कोई फर्क नहीं पड़ता इसको न जानने से कि कैटरीना कैफ की कमर कितनी है या सलमान खान की हाइट कितनी है ! लेकिन हमारे भारत में लड़े गये दो महान विश्वयुद्ध जो त्रेता और द्वापर में लड़ गये थे ! उसमें किन-किन अस्त्र-शास्त्रों का प्रयोग किया गया था और उन अस्त्र शास्त्रों का निर्माण किस तरह से किया जाता था ! यह जानना, समझना, मानना और उसमें सुधार करना आज भी हमारे लिये परम आवश्यक है ! जिसे आज तक हमसे छुपा कर रखा गया है !

आपकी जानकारी के लिये हम यह बता दें कि प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन और अमेरिका ने मिलकर भारत से लूटी हुई पांडुलिपियों के आधार पर ही ऐसे अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया था ! जो ब्रिटेन के साम्राज्य विस्तार के लिये प्रथम विश्व युद्ध के समय प्रयोग किये गये थे ! इसी के साथ द्वितीय विश्व युद्ध के समय जर्मन भी साम्राज्यवादी शक्तियों को मात देने के लिये इसी भारत की पांडुलिपियों का अध्ययन करके उसने ऐसे घातक हथियारों का निर्माण किया था ! जिसके दम पर उसने अमेरिका और ब्रिटेन दोनों को एक साथ घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था ! तब यह दोनों ही महाशक्तियां रूस के सामने गिड़गिड़ा ने लगी और फिर रूस, अमेरिका और ब्रिटेन इन तीन महाशक्तियों के संयुक्त प्रयास से जर्मन को हरा पाना संभव हो पाया था !

इसलिये बहुत कुछ है हमारे इन शास्त्रों में ! यदि हमें अपने स्वाभिमान के साथ अपनी अगली पीढ़ी को भी सुरक्षित करना है तो हमें निश्चित तौर से अपने पूर्वजों के द्वारा लिखे गये शास्त्रों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन करना ही होगा ! तभी हम आने वाले संभावित खतरों से अपने आप को बचा सकेंगे !

तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आज हम क्या सोचते हैं और क्या नहीं ! यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम टी.वी, अखबार, व्हाट्सएप, फेसबुक आदि पर जिन सूचनाओं को पढ़ते है ! आपकी जानकारी के लिये हम यह बतला दें कि इन स्थानों पर जो सूचनायें हमें दी जा रही हैं ! उनमें से अधिकांश या तो प्रायोजित होती हैं और या फिर झूठ होती है ! कभी भी इन सूचनाओं के स्रोतों पर आंख बंद करके विश्वास मत कीजिये और सदैव जिस किसी भी सूचना की सत्यता को आप जानना चाहते हैं ! उसके मूल उत्पत्ति का कारण, उसका विकास और उसके परिणाम पर गहन अध्ययन अवश्य कीजिये ! तभी आप सूचना के नये स्रोतों की खोज कर पायेंगे !

कहा जाता है कि सावधानी हटी और दुर्घटना घटी इसका तात्पर्य यह है कि यदि हम स्वयं सावधान नहीं हैं तो हमारे साथ निश्चित ही कोई बड़ी दुर्घटना होने वाली है ! यही प्रकृति का नियम है ! इसलिये हर संभावित खतरे का गहराई से विश्लेषण करें और उसमें मौजूद नकारात्मक तत्वों को पहचानने की कोशिश करें ! उससे अपने बचाव के रास्ते स्वयं खोजें और अपने हित मित्रों को भी उन खतरों की सूचना अवश्य दें ! उन्हें जागरूक बनायें यह किसी भी बड़ी दुर्घटना को टालने का बहुत अच्छा माध्यम हो सकता है !

इसके लिये समाज को पुनः संवेदनशील बनाना होगा ! क्योंकि हम जिस समाज में रहते हैं ! वह समाज नहीं भीड़ है ! इसलिये समाज में सभी को एक दूसरे का सहयोगी बनना होगा ! वह समाज जिसमें व्यक्ति एक दूसरे का सहयोगी नहीं है ! उसे समाज नहीं भीड़ कहते हैं और यही इन पूंजीवादी और साम्राज्यवादी ताकतों की सफलता है कि उन्होंने आज सभ्य सुशील संवेदनशील समाज को भीड़ तंत्र में बदल दिया है ! जिससे उनके खिलाफ कभी कोई आन्दोलन खड़ा न हो सके ! अत: अपने को बचाने के लिये वापस समाज को संवेदनशील बना कर हम अपनी रक्षा कर सकते हैं ! इसके लिये समाज को पुनः जागृत करना होगा ! क्योंकि जब तक समाज पुनः जाग्रत नहीं होगा ! तब तक हम इन विश्व सत्ता की ओर बढ़ने से नहीं रोक पायेंगे !

आज धर्म के नाम पर धर्मांतरण करके हमें कमजोर किया जा रहा है ! अर्थ व्यवस्था के नाम पर हमारी आर्थिक स्थिति को खोखला किया जा रही है ! शिक्षा के नाम पर हमें संस्कारविहीन और अशिक्षित किया जा रहा है ! भौतिक उपलब्धियां के नाम पर हमें चोर, बेईमान, ठग, लूटेरा, धूर्त आदि बनाने का पूर्ण प्रयास किया जा रहा है ! हमारी बुद्धि को कुंद कर के जानबूझकर लोकतंत्र ही महान है और उनकी सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था ही सर्वश्रेष्ठ है ! इससे बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता है ! इस तरह के विचार हमारे दिमाग में सुबह से शाम तक विभिन्न सूचना तंत्र के द्वारा ठूँसे जा रहे हैं !

यह सभी विश्व सत्ता की इच्छा को सफल बनाने वालों की एक सोची-समझी हुयी रणनीति है ! जो हम और हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिये घातक है ! ऐसी स्थिति में विश्व स्तर के षड्यंत्र को समझना है और अपने शस्त्र शास्त्रों का अध्ययन करते हुये हमें समाज को संवादवादी और संवेदनशील बनाना है ! यही आज की प्राथमिक आवश्यकता है ! इसी से हम विश्व सत्ता के षड्यंत्र से बच सकेंगे !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

क्या विश्व में जैविक युद्ध शुरू हो गया है : Yogesh Mishra

जैविक हथियारों में वायरस, बैक्टीरिया, फंगी जैसे सूक्ष्म जीवों को हथियार की तरह इस्तेमाल किया …