पूर्व में एक आर.एस.एस. के पूर्णकालिक स्वयंसेवक जिन्होंने देश की सेवा के लिए विवाह भी नहीं किया था, वह देश की सेवा करते-करते देश के प्रधानमंत्री हो गये ! उन्होंने हिंदुस्तान के मुसलमानों पर तरस खाकर उन्हें खाड़ी मुल्कों में आने-जाने, व्यवसाय करने और धन कमाने के लिए अवसर प्रदान करने हेतु भारत की व्यवस्था में बहुत से परिवर्तन किए जिसका परिणाम है कि आज मुसलमान सक्षम होकर भारतीय हिंदुओं की ही जड़ खोदने में लगे हुए हैं !
दूसरे आरएसएस के पूर्णकालिक स्वयंसेवक ने विवाह तो किया किंतु देश की सेवा करने के लिए अपने दांपत्य कर्तव्यों का निर्वाह नहीं किया और वह भी देश की सेवा करते-करते भारत के प्रधानमंत्री बन गए !
उन्होंने भारत के कानूनी संरचना में इस तरह का फेरबदल किया कि भारत के अंदर कोई भी विदेशी घुसपैठिया यदि 182 दिन निरन्तर भारत में रहता है तो वह उस आधार पर भारत में “आधार कार्ड” प्राप्त कर सकता है और इसी “आधार कार्ड” के जरिये “पेनकार्ड” से लेकर “भारतीय पासपोर्ट” भी तैयार करवा सकता है। इसी “आधार कार्ड” व “पेनकार्ड” के जरिये उस विदेशी घुसपैठिये को भारत की वोटर लिस्ट में शामिल होकर वोट डाल डालने का अधिकार भी प्राप्त हो जाता है और वोटर होने के अधिकार के नाते उसे भविष्य में चुनाव लड़ कर भारत के संवैधानिक पदों पर भी आसीन होने का भी अधिकार प्राप्त है ! इस सुविधा का स्पष्ट उपयोग बंगलादेशी घुसपैठिये कर रहे हैं !
विदेशी घुसपैठियों को यह सुविधा और व्यवस्था बस सिर्फ भारत में ही प्राप्त है इसके लिए क्या हमें अपने सत्ताधारियों को धन्यवाद नहीं देना चाहिए और यदि वह धन्यवाद के पात्र हैं तो एक अति प्राचीन राजनीतिक दल की मुखिया यदि विदेशी मूल की है तो उसका विरोध क्यों किया जाता है ?