जानिए शमशान के निकट शिव मन्दिर का रहस्य और ताजमहल : Yogesh Mishra

मृत्यु जीवन का अंतिम सत्य है इससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता और यह हर जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिये अनिवार्य है क्या आपने कभी विचार किया के प्राचीन शिव मंदिर के निकट प्रायर श्मशान घाट क्यों होता है और कुछ महत्वपूर्ण शिव मंदिर में तो शमशान की भस्म से ही भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है !

श्मशान में बैठे हुये शिव का संदेश है कि चाहे आपकी मृत्यु भी हो जाये तब भी वह आपके साथ हैं ! इसीलिये उन्हें महाकाल या मृत्यु का देवता कहा गया है !

मृत्यु का पल या मृत्यु की संभावना अधिकतर लोगों के जीवन का सबसे तीव्र अनुभव होता है ! उनमें से अधिकांश लोग तीव्रता के उस स्तर को अपने जीवन-काल में कभी महसूस नहीं कर पाते ! इसी वजह से शिव श्मशान या कायांत में जाकर बैठते और इंतजार करते हैं ! ‘काया’ का अर्थ है ‘शरीर’ और ‘अंत’ !

कायांत का अर्थ है ! जहां शरीर खत्म हो जाता है, न कि जहां जीवन खत्म होता है ! अगर आप अपने जीवन में केवल अपने शरीर को ही जानते हैं, तो जिस पल आप शरीर छोड़ते हैं, वह पल आपके जीवन का सबसे तीव्र पल बन जाता है ! अगर आप अपने शरीर के परे कुछ जानते हैं, तो शरीर का छोड़ना बहुत महत्वपूर्ण नहीं रह जाता !

जिस किसी ने भी यह पहचान लिया है कि वह कौन है, और क्या है, उसके लिये कायांत उतना बड़ा पल नहीं होता ! वह सिर्फ जीवन का एक और पल है, बस ! लेकिन जिन्होंने सिर्फ एक स्थूल शरीर के रूप में जीवन जिया है ! जब उन्हें शरीर के रूप में सब कुछ छोड़ना पड़ता है ! तब वह पल बहुत ही तीव्र होता है !

अमरता हर किसी के लिये एक स्वाभाविक स्थिति है ! नश्‍वरता एक गलती है ! यह जीवन के बारे में गलत समझ है ! स्थूल शरीर का कायांत, निश्चित रूप से आएगा ! लेकिन अगर आप सिर्फ एक काया न बनकर, जीव बन जायें, अगर आप सिर्फ एक जीवित शरीर नहीं, बल्कि एक जीवित प्राणी बन जायें तो अमरता आपके लिये एक स्वाभाविक स्थिति होगी ! आप नश्वर हैं या अमर, यह केवल आपकी समझ पर निर्भर करता है; इसके लिये अस्तित्व में किसी बदलाव की जरूरत नहीं है !

इसी कारण ज्ञान-प्राप्ति को आत्म-अनुभूति के रूप में देखा जाता है- किसी उपलब्धि के रूप में नहीं ! अगर आप उसे देख सकते हैं, तो वह आपके लिये उपलब्ध है ! अगर आप उसे नहीं देख सकते, तो वह आपके लिये उपलब्ध नहीं है ! यह बात केवल अनुभव की है, इसके लिये किसी बुनियादी, अस्तित्व संबंधी बदलाव की जरूरत नहीं !

अगर आप केवल अपनी इंद्रियों का ही नहीं, बल्कि अपनी प्रज्ञा का भी इस्तेमाल करते हैं; तो आप सिर्फ काया ही नहीं, बल्कि जीव को भी जानते हैं- और आप स्वाभाविक रूप से अमर हैं, शाश्वत हैं ! आपको अमरता पाने के लिये प्रयास करने की जरूरत नहीं, आपको बस इसे समझने की जरूरत है !

इसलिये शिव ने श्मशान को ही अपना डेरा बना लिया !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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