जानिये मंगल दोष किन स्थितियों में स्वतः शांत हो जाता हैं ?
97% मांगलिक दोष स्वतः में भंग होते हैं, पर मंगल दोष किन स्थितियों में स्वतः शांत या कम हो जाता हैं। उनमें से कुछ निम्न हैं :-
1: दूसरी कुंडली में भी 1, 4, 7, 8 एवम 12वें भाव में पाप ग्रह शनि, राहु, सूर्य, मंगल हो तो भौम मंगल दोष शांत हो जाता है।
2: मेष का मंगल लग्न में, वृशिचक के चतुर्थ में, वृषभ के सप्तम में, कुंभ के अष्टम एवम धनु के द्वादश में हो तो मंगल दोष कम हो जाता है।
3: यदि मंगल स्वराशि मेष, वृशिचक या मूल त्रिकोण उच्च या मित्र राशि में हो तो दोष में कमी आ जाती है।
4: कर्क एवम सिंह लग्न में लग्नस्थ मंगल का दोष कम हो जाता है।
5: 3, 6, 11 भावों में अशुभ ग्रह, केंद्र, त्रिकोण में शुभ ग्रह हो तथा सप्तमेश सप्तम भाव में हो तो दोष कम हो जाता है।
6: कन्या की कुंडली में गुरु केंद्र त्रिकोण में हो तो दोष कम हो जाता है।
7: पुरुष की कुंडली में शुक्र केंद्र त्रिकोण में हो तो दोष कम हो जाता है।
8: चन्द्र, गुरु या बुध से मंगल युति कर रहा हो तो दोष कम हो जाता है।
9: दूसरे भाव में मिथुन, कन्या का मंगल हो तो मंगल दोष कम हो जाता है।
10: चतुर्थ भाव में शुक्र की राशि (वृषभ, तुला) का मंगल दोष कम हो जाता है।
11: अष्टम भाव में गुरु राशि (धनु, मीन) का मंगल हो तो दोष कम हो जाता है।
12: सातवें भाव में मंगल पर यदि शुक्र की दृष्टि हो तो दोष कम हो जाता है।
13: यदि मंगल नीच, अस्त या वक्री हो तथा कुंडली के 1, 4, 8 एवम 12 भाव में हो तो मंगल दोष कम हो जाता है।
इस प्रकार के अनेक योग ज्योतिषीय गणना में बताए जाते हैं, जिनमें मंगल का अशुभ प्रभाव समाप्त हुआ माना जाता है, परंतु इनमें एकमत नहीं है। कुछ ज्योतिषविदों का मानना है कि यह स्थिति वर-वधू की कुंडली के अध्ययन के बाद ही स्पष्ट होती है कि उन दोनों के योग का वास्तविक प्रभाव क्या होगा। इस विषय मे सनातन ज्ञानपीठ ने 5000 से भी अधिक मांगलिक कुंडलियों पर गंभीर शोध अध्ययन किये है और निश्चित शोध प्रणामों को निकाला है अधिक जानकारी के लिए …………