इतिहास को मिटा कर नया लिखना ही आदर्श शासक के लक्षण हैं !
यह इतिहास रहा है कि जिसकी सत्ता होती है वह समाज को अपने तरीके से चलता है और समाज को हर क्षण यह बतलाता है कि उससे श्रेष्ठ कोई नहीं है ! समाज उसी के भरोसे सुरक्षित है ! लोकतंत्र में यही सिद्ध करने के लिये बुद्धजीवी काल्पनिक लेखककार पाले जाते हैं !
पहले समाज में राजा का गुणगान करने वाले “भट्ट कवि” हुआ करते थे ! जब से पुस्तकें लिखी जाने लगीं तो इतिहासकार होने लगे ! अब तकनीकि के युग में ‘आई टी सेल’ होने लगी है ! जिसका कार्य नायक के हर गलत कार्य को भी सही सिद्ध करना है ! चाहे इससे देश का कितना भी नुकसान क्यों न हो जाये !
इतिहास केवल विजेता का होता है ! दो संस्कृतियों के द्वंद्व में पराजित संस्कृति को मिटने के लिए बाध्य किया जाता है ! विजेता इतिहास की पुस्तकों को इस प्रकार लिखता है जिसमें उसका गुणगान हो और पराजित को अपमानित किया गया हो ! जैसा कि नेपोलियन ने एक बार कहा था, ‘इतिहास क्या है, महज एक दंतकथा, जिससे सब सहमत हों !
इतिहास राजनीति का दीर्घकालीन काल्पनिक घटना क्रम है ! ऐतिहासिक घटनाएं प्रायः द्वंद्वात्मकता में घटती हैं ! सत्ता उनकी दशा-दिशा तय करती है ! हर नया विजेता सत्तासीन होते ही अपनी कीर्ति-कथा गढ़ने में जुट जाता है ! इसके लिए वह पालतू बुद्धिजीवियों की मदद लेता है ! कला और संस्कृति के माध्यमों का इस्तेमाल करता है ! खरीदे हुए बुद्धिजीवी स्थितियों की व्याख्या अपने तथा अपने आश्रयदाता के स्वार्थ के अनुसार करने लगते हैं ! जरूरत पड़ने पर इतिहास से छेड़छाड़ भी करते हैं !
उसका एकमात्र उद्देश्य होता है, विजित जनता के दिलोदिमाग पर कब्जा कर लेना ! जनता को यह भरोसा दिलाना कि उनकी भलाई आश्रित बने रहने में है ! दरअसल बड़े से बड़ा शिखर-पुरुष अपने प्रतिद्विंद्वी से इतना नहीं डरता जितना वह जन-विद्रोह की संभावना से घबराता है ! विद्रोह की न्यूनतम संभावना हेतु वह जनता का हर समय बेहद करीबी, भरोसेमंद तथा परम-हितैषी दिखना चाहता है ! चाहे वास्तव में वह ऐसा न हो !
वाल्तेयर ने इतिहास को ‘सर्वमान्य झूठ का सिलसिलेवार लेखन’ कहा है ! इससे इतर जार्ज आरवेल की टिप्पणी इतिहास की महत्ता को रेखांकित करती है ! वह कहते हैं कि ‘किसी समाज को नष्ट करने का सबसे कारगार तरीका है, उसके इतिहासबोध को दूषित और खारिज कर दिया जाये !’
समाज को भयभीत करने के लिये भाड़े के बुद्धजीवी प्रायः इस तरह के बेसिर पैर की सूचना प्रसारित करते रहते हैं !
“आगामी चुनाव यह तय नहीं करेंगे कि कौन सी राजनीतीक पार्टी जीत गयी और देश का प्रधानमंत्री कौन बनेगा !
चुनाव यह तय करेंगे कि 800 वर्ष कत्ले-आम, 300 वर्ष की गुलामी और 60 साल मक्कारी व बर्बादी झेलने के पश्चात हिन्दू क्या सीखे !“ आदि आदि