रामदेव के विवाद का रहस्य : Yogesh Mishra

आजकल रामदेव का एक एन.जी.ओ. से हुआ विवाद सुर्ख़ियों में छाया हुआ है ! सारे अखबार, पत्र-पत्रिका, टी.वी. चैनल अब करो ना से हुई मौतों को गिनाने की जगह रामदेव के इस विवाद को तूल दे रहे हैं !

आज समाज पुनः दो हिस्सों में बंट चुका है ! एक वह जो एलोपैथी का पक्षधर हैं और दूसरा वह जो आयुर्वेद की पैरवी कर रहे हैं ! विवाद इस स्तर तक पहुंच गया है कि अब व्यक्ति अपने घर परिवार में करो ना से मरने वालों की चर्चा के स्थान पर रामदेव के विवाद पर चर्चा करता हुआ नजर आ रहा है !

जैसा कि सभी जानते हैं कि रामदेव एक विशेष राजनीतिक दल से काफी लंबे से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुये हैं ! वर्ष 2014 में इस राजनीतिक दल को सत्ता तक पहुंचने के लिये जनता को गुमराह करने में रामदेव की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ! जिसका खामियाजा रामदेव और उनके इर्द गिर्द रहने वाले लोगों ने पूर्व की सरकार के अनुशासनात्मक कार्रवाई के तौर पर भुगतना पड़ा था !

कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य यह है कि जब पूरे देश में करो ना से लोग मर रहे थे तब विशेष सत्ताशीन राजनीतिक दल के बड़े-बड़े नेता जो कि वर्तमान समय में भारत के संवैधानिक पदों पर भी बैठे हैं, वह लोग लाखों की भीड़ इकट्ठी करके चुनाव रैलियों में मशगूल थे ! जिस वजह से जन सामान्य के जीवन रक्षा के लिये जो उचित समय पर उचित कदम नहीं उठाया जा सका ! जिसके परिणाम स्वरूप राष्ट्र को बहुत बड़ी मात्रा में जनहानि उठानी पड़ी !

और अब आगामी वर्ष में भी भारत के कई महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव होने वाले हैं ! जिसके लिये सत्ताशीन राजनीतिक दल अब अपनी छवि सुधारने के अभियान में लगी हुई है !

जिन लोगों के परिवारों में परिवार के सदस्यों की मृत्यु हुई है ! वह लोग जल्दी से जल्दी अपने इस भावनात्मक दुख से बाहर निकलें और वर्तमान सत्ताशीन राजनीतिक दलों पर जल्दी से जल्दी दोषारोपण बंद करें ! इसी प्रयोजन के तहत ऐसा लगता है कि जानबूझकर रामदेव की मदद से इस विवाद को इजाद किया गया है और समाज के सामने मीडिया की मदद से आक्रामक तरीके से परोसा जा रहा है !

भारतीय समाज की याददाश्त वैसे ही बहुत कम होती है, क्योंकि यहां पर किसी भी विषय का कोई भी रिकॉर्ड मेंटेन करने की परंपरा नहीं है ! कल तक जो लोग अपने परिजनों की मृत्यु पर दुखी थे, आज वही लोग परिजनों के मृत्यु की चर्चा छोड़कर रामदेव के माध्यम से उत्पन्न किया गया एलोपैथिक बनाम आयुर्वेदिक के विवाद में विशेषज्ञ की भूमिका के तौर पर शास्त्रार्थ करते दिखाई दे रहे हैं !

सावधान रहिये, यह सभी कुछ प्रायोजित है और हम उनके बौद्धिक षड्यंत्र का शिकार हो रहे हैं ! समस्या का मूल कारण समझिये ! समय से शक्तिशाली कोई नहीं है ! ऐसे विवाद काल की गति से आते-जाते रहेंगे ! लेकिन अपनी जीवन रक्षा के लिये हमें स्वयं जागरूक होना पड़ेगा और सत्य के तथ्य को समझना पड़ेगा ! इसी रहस्य को जो समझ जायेगा, वह इस षडयंत्र से बच जायेगा वर्ना किसी और के हित के लिये बुद्धिविलास में उलझा रहेगा !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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