गांधी हत्या के बाद आर.एस.एस. के सर संघ संचालक गोलवलकर उर्फ गुरु जी पर धारा-302 के तहत हत्या के षडयंत्र में शामिल होने का मुकदमा दर्ज किया गया था और उन्हें 1 फरवरी 1948 को गिरफतार कर जेल में डाल दिया गया !
इसके बाद 4 फरवरी 1948 को संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया और देश भर में हजारों संघ कार्यकर्ताओं को घर से उठा-उठा कर जेल में बंद किया गया ! पर इससे भी पंडित नेहरू संतुष्ट नहीं हुये और उन्हों ने सरदार पटेल से अपना आक्रोश व्यक्त किया और कहा कि गृह मंत्रालय और पुलिस ठीक से काम नहीं कर रही है !
26 फरवरी 1948 को जवाहर लाल नेहरू ने जांच से अपना विरोध जताते हुये गृहमंत्री सरदार पटेल को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया था कि – ‘दिल्ली की पुलिस व अधिकारियों की संघ के प्रति सहानुभूति है ! इसी कारण संघ के लोग पकड़े नहीं जा रहे हैं ! उसके कई प्रमुख नेता खुलेआम घूम रहे हैं ! देशभर से जानकारियां मिल रही हैं कि गांधी जी की हत्या संघ के व्यापक षडयंत्र के कारण हुई है परंतु उन सूचनाओं की ठीक प्रकार से जांच नहीं हो रही है ! जबकि यह पक्की बात है कि षडयंत्र संघ ने ही रचा था !’
पंडित नेहरू के इस पत्र से सरदार पटेल बेहद विचलित हो गये और उन्होंने इसके अगले ही दिन 27 फरवरी 1948 को नेहरू को एक पत्र लिखा ! उन्होंने लिखा कि- ‘गांधी जी की हत्या के संबंध में चल रही कार्रवाई से मैं पूरी तरह से अवगत रहता हूं ! सभी अभियुक्त पकड़े गये हैं तथा उन्होंने अपनी गतिविधियों के संबंध में लंबे बयान भी दिये हैं ! उनके बयानों से स्पष्ट है कि यह षडयंत्र दिल्ली में नहीं रचा गया ! वहां का कोई भी व्यक्ति इस षडयंत्र में शामिल नहीं है !
षडयंत्र के केंद्र बम्बई, पूना, अहमदनगर तथा ग्वालियर रहे हैं ! यह बात भी असंदिग्ध रूप से उभर कर सामने आई है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इससे कतई संबद्ध नहीं है ! यह षडयंत्र हिंदूसभा के एक कट्टरपंथी समूह ने रचा था ! यह भी स्पष्ट हो गया है कि मात्र 10 लोगों द्वारा रचा गया यह षड्यंत्र था और उन लोगों ने ही इसे पूरा अंजाम दिया था ! इनमें से दो को छोड़कर सभी पकड़े जा चुके हैं !’
आर.एस.एस. को कठघरे में खड़ा करने वाले हमेशा सरदार पटेल के उस ख़त का जिक्र जरूर करते है जो उन्होंने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखा था ! जिसमें उन्होंने लिखा था कि ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा हिंदू महासभा के बारे में मैं इतना ही कहूंगा कि गांधीजी की हत्या का मुकदमा विचाराधीन है, इसलिए मुझे उसमें इन दो संस्थाओं के हाथ के बारे में कुछ नहीं कहना चाहिये, परंतु हमारी रिपोर्टें जरूर इस बात की पुष्टि करती हैं कि इन दो संस्थाओं की, खास तौर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की प्रवृत्तियों के परिणामस्वरूप देश में ऐसा वातावरण पैदा हो गया था, जिससे ऐसी भीषण करुण घटना संभव हो सकी’ !
लेकिन आर.एस.एस. पर पटेल के खत के ज़रिये निशाना साधने वाले लोग पटेल के ही एक और खत का ज़िक्र कभी नहीं करते जो संघ से प्रतिबंध हटने के बाद सरदार पटेल ने 12 जुलाई 1949 को गोलवलकर को लिखा था ! जिसमें पटेल लिखते हैं- ‘जो लोग इस वक्त मेरे पास हैं सिर्फ वह ही जान सकते है कि संघ से प्रतिबंध हटने से मैं कितना खुश हूं, मेरी शुभकामना आप के साथ हैं’ !
सरदार पटेल ने संघ के कई कार्यों को सराहा भी था ! दरअसल इस पूरे घटनाक्रम के पीछे वह लोग ज़िम्मेदार थे जिन्होंने इतिहास को अपने हिसाब से इकतरफा लिखवाया और परोसा ! इस बात का एक और सबूत तब मिला जब लाल किले में गांधी जी की हत्या का ट्रायल खत्म हो गया और सावरकर भी निर्दोष साबित हुये ! पूना लौटने के बाद उनके वकील भोपत्कार ने अपने एक साथी से कहा कि जिस वक़्त गांधी जी के हत्या का ट्रायल चल रहा था, अचानक एक शाम एक फ़ोन कॉल आया !
दूसरी तरफ से डॉ आंबेडकर खुद बात कर रहे थे ! उन्होंने मुझसे मिलने की इच्छा ज़ाहिर की ! उस शाम दोनों की मुलाक़ात हुई, आंबेडकर ने मुझे अपनी गाड़ी में बैठने का इशारा किया ! आंबेडकर अब मुख़ातिब होते हुये बोले आप के मुवक्किल के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं है और न ही कोई चार्ज है ! वह छूट जायेंगे ! सरदार पटेल और बहुत से कैबिनेट के मंत्री भी इस फैसले के खिलाफ थे, मगर कोई भी उन्हें रोक नहीं पायेगा ऐसा करने से ! भोपत्कार ने पूछा कौन नेहरू मगर क्यों ?
लंबी जांच पड़ताल के बाद जब संघ के खिलाफ कुछ नहीं मिला तो 11 जुलाई 1949 को करीब 19 महीने बाद प्रतिबंध हटा लिया गया ! लेकिन तब कांग्रेसियों और वामपंथियों ने यह प्रचारित करना शुरू कर दिया कि संघ ने लिखित में माफी मांगी है और लिखित रूप में सरकार को आश्वासन दिया है कि संघ हिंसा आदि में लिप्त नहीं होगा ! उसके बाद ही संघ पर से यह प्रतिबंध उठाया गया है ! यह झूठ आज तक प्रचारित किया जाता है ! दरअसल जानकारी न होने के कारण संघ व भाजपा के नेता और कार्यकर्ता भी इस झूठ को बढ़ावा देने में उतना ही शामिल हैं, जितना कि कांग्रेसी और वामपंथी विचारधारा के पत्रकार व बुद्धिजीवी !
14 अक्टूबर 1949 को तत्कालीन बंबई विधानसभा की कार्यवाही में सरकार की ओर से ही इस सच्चाई से पर्दा उठा दिया गया ! बंबई विधानसभा में लिखित प्रश्न पूछा गया कि संघ पर प्रतिबंध हटाने की वजह क्या है? क्या संघ के नेता ने सरकार को कोई लिखित आश्वासन दिया है ? इस प्रश्न के जवाब में तत्कालीन गृह मंत्री मोरारजी देसाई ने कहा कि ‘अनावश्यक प्रतीत होने के कारण ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर से बिना शर्त प्रतिबंध उठाया गया है ! सरसंघचालक ने किसी प्रकार का अभिवचन या आश्वासन नहीं दिया है !’ (बंबई विधानसभा कार्यवाही, 14 अक्टूबर 1949, पी- 2126)
संघ पर दो बार प्रतिबंध कांग्रेस के समय में लगा था ! एक नेहरू जी के वक़्त दूसरा इंदिरा गांधी ने लगाया ! इंदिरा ने भी एक जांच आयोग बनाया ! जस्टिस कपूर के नाम पर इस आयोग का नाम पड़ा कपूर आयोग ! जस्टिस कपूर ने भी संघ को क्लीन चिट दी ! गांधी जी की हत्या और संघ की भूमिका पर बहुत कुछ कहा जा चुका है सन 1949 में !
लेकिन जो अतीत में हुआ उसकी समीक्षा वर्तमान कर रहा है और भविष्य हर साजि़श और षड़यंत्र को बेनकाब करेगा