तथाकथित लोकतंत्र ही विश्व सत्ता का हथियार है : Yogesh Mishra

आधुनिक विकृत लोकतंत्र की आज तक कोई ऐसी सुनिश्चित सर्वमान्य परिभाषा नहीं है कि जो इस शब्द के पीछे छिपे हुए संपूर्ण इतिहास तथा अर्थ को अपने में समाहित करती हो !

हां कहा यह जरूर जाता है कि विश्व में लोकतंत्र की शुरुआत वर्ष 1215 में जारी हुये एक इंग्लैंड के कानूनी परिपत्र से जरूर है ! जिसे महान मैग्नाकार्टा के आजादी का महान चार्टर कहा जाता है ! जो लैटिन भाषा में लिखा गया था !

मैग्ना कार्टा चार्टर में इंग्लैण्ड के राजा जॉन ने सामंतों को कुछ अधिकार दिये थे ! इस चार्टर के द्वारा प्रजा को मानवीय गुलामी से बचाने के लिए मैग्नाकार्टा चार्टर ने राजा द्वारा प्रजा के कुछ अधिकारों की रक्षा की स्पष्ट रूप से पुष्टि की थी ! जिनमें से बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रमुख थी !

जिसके तहत बिना कानूनी प्रक्रिया पूर्ण किए किसी भी व्यक्ति को न तो गुलाम बनाया जा सकता था और न ही गिरफ्तार किया जा सकता था ! इस चार्टर की महत्ता इस तथ्य में निहित है कि प्रत्येक पीढ़ी को अपने संवैधानिक अधिकार में स्वतन्त्र जीने का अधिकार है ! इसी चार्टर को ब्रिटिश वैधानिक अधिनियमन का श्रीगणेश माना जाता है ! जहां से लोकतंत्र की शुरुआत हुई !.

जो फिर भिन्न-भिन्न युगों में विभिन्न विचारकों द्वारा विकसित की गयी और हमें यह बतलाया गया कि लोकतंत्र में जनता ही सत्ताधारी होती है ! उसकी अनुमति से शासन चलता है ! उसकी प्रगति ही शासन का एकमात्र लक्ष्य माना जाता है !

इस तरह लोकतंत्र केवल एक विशिष्ट प्रकार की शासन प्रणाली ही नहीं है वरन यह एक विशेष प्रकार की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा मानसिक व्यवस्था है जो हमें धीरे धीरे विश्व सत्ता के गुलामी की ओर ले जाती है !

शायद विश्व सत्ता के इस खतरे को भांपते हुये नाटो के सदस्य देश होने के बाद भी अब तुर्की और हंगरी ने अपने कदम लोकतंत्र की राह से पीछे खिसका लिये हैं ! साल 2016 के जुलाई में हुये तख्तापलट की एक नाकाम कोशिश के बाद से तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन ने अपने देश में नागरिकों की स्वतंत्रताओं पर अंकुश लगाया है और तुर्की एक अलग तरह से अधिनायकवाद के रास्ते पर चल पड़ा है !

जेल में बंद पत्रकारों की संख्या के आधार पर देखें तो आज तुर्की दुनिया में शीर्ष स्थान पर है ! तुर्की में अदालतें एर्दोगन-राज के साथ हैं ! तुर्की के लोकतांत्रिक संस्थान भी अब धीरे-धीरे प्रभावहीन हो चले हैं !

इसी तरह मध्य यूरोप का देश हंगरी भी तुर्की जैसे रास्ते पर चल पड़ा है ! हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन कहते हैं कि उन्हें लोगों ने जनादेश दिया है कि वह अपने हाल के कुछ विश्वव्यापी अनुबंधों से अपने देश का का बचाव करें ![

जिसके अनुसार उन्होंने साल 2017 में एक कानून बना कर ! अर्बन आप्रवासियों, शरणार्थियों और विदेशी घुसबैथियों को हंगरी खदेड़ने की व्यवस्था की है ! जिससे विश्व सत्ता के लोग लोगों के मौलिक अधिकार पर हमला बतला रहे हैं !

अत: हंगरी और तुर्की के रुझान विश्व सत्ता का सपना देखने वाले लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं और अभी तक इन दो देशों के नेताओं ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि वह विश्व सत्ता के साथ हैं !

जिससे विश्व सत्ता के नुमाइंदे इस वाकये से घबड़ाये हुए हैं कि कहीं विश्व के अन्य देश भी इसी रास्ते पर न चल पड़े और उनका सारा षड्यंत्र विफल हो जाये !

इसीलिए बहुत संभावना है कि हंगरी और तुर्की के विरुद्ध बहुत जल्द तथाकथित लोकतंत्र की रक्षा के लिए नाटो द्वारा सैन्य कार्यवाही आरंभ की जायेगी ! जिससे विश्व सत्ता का षड्यंत्र अपने लक्ष्य 2050 तक पूरी तरह से पूरे विश्व में सफल हो सके !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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