वास्तुशास्त्र और प्रसिद्धि का सीधा सम्बन्ध है !! Yogesh Mishra

वास्तुशास्त्र के अनुसार किसी भी स्थान पर जो वास्तुनुकुलताएं होती है ! उनके शुभ परिणाम वहीँ मिलते हैं और जो वास्तुदोष होते है उनके अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं ! वास्तुशास्त्र के इसी सिद्धांत के अनुसार जहां उत्तर दिशा में ढलान हो और साथ में अधिक मात्रा में पानी हो तो वह स्थान निश्चित ही प्रसिद्धि प्राप्त करता है और पूर्व दिशा की ओर का ढलान और पानी धनगामन में सहायक होता है !

अयोध्या नगरी के उत्तर दिशा के ढलान और उसके आगे सरयू नदी के कारण यह नगरी प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है ! जैसे कि, विश्व के सातों आश्चर्य भी अपनी उत्तर दिशा की अनुकुलता के कारण ही प्रसिद्ध है ! सभी आश्चर्यो की उत्तर दिशा में गहरी नीचाई है और ज्यादातर आश्चर्यों की उत्तर दिशा में पानी है जैसे ताजमहल की उत्तर दिशा में यमुना नदी, और पैरिस के एफिल टॉवर की उत्तर दिशा में सान नदी बह रही है, म्रिस के गीजा पिरामिड़ की उत्तर दिशा में गहरी नीचाई के साथ, पूर्व दिशा में नील नदी बह रही है !

विश्व का सबसे धनी एवं प्रसिद्ध धार्मिक स्थल ईसाईयों की पवित्र नगरी वेटिकन सिटी की इस स्थिति में भी उत्तर एवं पूर्व दिशा में बह रही टिब्बर नदी की ही अहम भूमिका है ! इसी प्रकार भारत के पहले और विश्व के दूसरे नम्बर के धनी प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तिरूपति बालाजी की उत्तर दिशा में बड़े आकार का स्वामी पुष्यकरणी कुंड के साथ-साथ उत्तर, पूर्व दिशा एवं ईशान कोण में तीखा ढलान है और दक्षिण-पश्चिम दिशा में ऊंचाई है !

नाथद्वारा स्थित श्रीनाथ जी का मंदिर भी उत्तर एवं पूर्व दिशा की ओर ढलान एवं उत्तर से पूर्व दिशा की ओर बहने वाली बनास नदी के कारण ही प्रसिद्ध है ! जम्मू, कटरा स्थित वैष्णोंदेवी मंदिर एवं शिर्डी स्थित सांई बाबा के मंदिर की उत्तर दिशा में भी नीचाई है ! हरिद्वार स्थित हर की पौढ़ी की प्रसिद्धि का कारण दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर नीचाई तथा पश्चिम दिशा के पहाड़ की ऊंचाई और पूर्व दिशा में बह रही गंगा नदी की नीचाई है !

मदुरै स्थित मीनाक्षी मंदिर को उत्तर दिशा में बहने वाली वैगै नदी के कारण ही प्रसिद्धि मिली है ! इसी प्रकार दक्षिण भारत के सभी प्रसिद्ध मंदिरों जैसे ज्योर्तिंलिंग रामेश्वरम्, गुरूवयुर मंदिर त्रिशुर, कण्ठेश्वरा मंदिर नंजनगुड मैसूर, श्रीरंगनाथ स्वामी श्रीरंगपत्तनम्, पद्मनाभ स्वामी मंदिर त्रिरूअन्नतपुरम्, सुचीद्रम टेम्पल कन्याकुमारी, वडक्कन्नाथन मंदिर त्रिशुर इत्यादि मंदिरों में उत्तर दिशा में पानी के कुंड है या नदी बह रही है !

जयपुर स्थित आमेर का किला, हैदराबाद स्थित गोलकुंडा फोर्ट की प्रसिद्धि में भी उत्तर एवं पूर्व दिशा की नीचाई और वहां पानी का जमाव ही उन्हें प्रसिद्धि दिलाने में सहायक हो रहा है ! इसी प्रकार चंड़ीगढ़ की प्रसिद्धि ईशान कोण स्थित सुखना लेक और जयपुर की प्रसिद्धि में ईशान कोण स्थित जलमहल तालाब के कारण है !

ऐसे ही अनेक उदहारण हैं जो दिये जा सकते हैं ! किन्तु कुछ न समझ लोग कहते हैं कि वास्तु ज्ञान जैसी कोई चीज नहीं होती है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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