देश को आजाद हुये 73 वर्ष हो रहे हैं ! आजादी से आज तक देश की संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था शासन सत्ता के अधीन रही है ! गुरुकुल व्यवस्था भारत में कानून बनाकर पूरी तरह ध्वस्त कर दी गई और उसके स्थान पर बेसिक शिक्षा, इंटरमीडिएट कॉलेज, विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, लॉ कॉलेज आदि की स्थापना की गयी ! उनके पाठ्यक्रम का निर्धारण और उनके शिक्षकों की नियुक्ति की जिम्मेदारी, शासन सत्ता ने अपने हाथ में कुछ शर्तों के अधीन ले रखी है !
ऐसी स्थिति में जब भारत में तीन पीढ़ियां देश की आजादी के बाद गुजर गई और फिर भी भारत के आम नागरिकों का बौद्धिक स्तर, भारत के ही साथ आजाद हुये अन्य देशों के नागरिकों के बौद्धिक स्तर के बराबर नहीं विकसित नहीं हो पाया तो अब यह बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा होता है कि आखिर भारत के आम नागरिकों के इस निम्न बौद्धिक स्तर की जिम्मेदारी किसकी है !
क्योंकि बौद्धिक स्तर का निर्माण पीढ़ी दर पीढ़ी एक क्रमबद्ध प्रक्रिया के द्वारा होता है ! ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि रातों-रात किसी भी देश के आम नागरिकों के बौद्धिक स्तर का विकास कर दिया जाये !
व्यक्ति के बौद्धिक स्तर के अनुसार ही व्यक्ति का आचार, व्यवहार और संस्कार भी विकसित होता है ! व्यक्ति में राष्ट्रीयता की समझ भी व्यक्ति के बौद्धिक स्तर के साथ ही विकसित होती है !
यह सारी चीजें किसी भी राष्ट्र को विश्व की प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ाने में सहायक है ! जब इतनी सामान्य सी बात हमारे आप जैसा सामान्य व्यक्ति जानता है, तो अभी तक भारत के शासकों ने भारत के आम लोगों के बौद्धिक स्तर को विकसित करने के लिये कोई कठोर ठोस निर्णय क्यों नहीं लिया !
आज भी भारत के अधिकांश शिक्षा मंत्री अल्प ज्ञानी और अशिक्षित ही होते हैं ! हो सकता है कि उनके पास 2-4 डिग्रियां हों लेकिन उनके पास न तो कोई आधुनिक दृष्टिकोण होता है और न ही राष्ट्र के बौद्धिक स्तर को उठाने की मंशा होती है !
इसी का परिणाम है कि आज भी शिक्षा के नाम पर लगभग हर वर्ष नई-नई नीतियां लागू करके लिये नये-नये प्रयोग किये जा रहे हैं और जबकि इन अव्यवहारिक नई नीतियों और प्रयोगों का परिणाम शुन्य के अतिरिक्त और कुछ नहीं है !
अब प्रश्न यह है कि यदि शासन सत्ता उदासीन है ! तो भारत के आम नागरिकों के बौद्धिक स्तर का विकास कौन करेगा ! क्या यह जिम्मेदारी टीवी, फिल्म, व्हाट्सएप, फेसबुक या इंटरनेट के अन्य माध्यमों को सौंप दी जानी चाहिये ! जिन पर पहले से ही भारत का सर्वनाश चाहने वाले विदेशियों का कब्ज़ा है ! जो पहले से ही भारत के सर्वनाश के लिये नित नये षडयंत्र रचते रहते हैं !
बहुत दुख होता है यह कहते हुये कि भारत के आम आवाम के बौद्धिक स्तर के विकास के लिये आज तक भारतीयों के पास कोई योजना ही नहीं है ! इसीलिये पिछले 73 सालों की आजादी के बाद भी हम पिछड़े के पिछड़े ही हैं ! तभी हमारे यहाँ आज भी अविकसित समाज की तरह हत्या डकैती बलात्कार धोखा धड़ी आदि की घटना आम है ! और हम अपराधिरों को दण्डित भी नहीं कर पा रहे हैं !
इसलिये इस समस्या के निष्तारण के लिये जो राष्ट्रभक्त चिंतक हैं ! उन्हें अधिक से अधिक समाज में भौतिक संवाद करना चाहिये ! छोटी-छोटी जनसभाओं में लोगों को बौद्धिक रूप से परिपक्व करने के लिये छोटे-छोटे कार्यक्रम आयोजित करने चाहिये ! इसमें विशेष रूप से अवकाश प्राप्त व्यक्ति जिनके पास जीवन का अनुभव है ! वह बहुत सहायक हो सकते हैं !
सनातन ज्ञान पीठ इस दिशा में कुछ ऐसे ही बुद्धिजीवियों की सूची तैयार कर रहा है ! आशा है कि बहुत जल्द हम सकारात्मक उपलब्धि के साथ आपसे मिलेंगे ! यदि आप भी हमसे जुड़ना चाहते हैं तो नीचे कमेन्ट में अपना नाम और सम्पर्क नंबर अवश्य दीजिये !!