वैज्ञानिक विश्लेषण
आज जो पृथ्वी पर जीवन है ! वह पृथ्वी के सहयोग से है ! अगर जीवों के साथ पृथ्वी का सहयोग न होता तो शायद अन्य ग्रहों की तरह यह पृथ्वी भी वीरान ग्रह के रूप में होती !
इसीलिए वेदों में पृथ्वी को मां का दर्जा दिया गया है अर्थात जिस तरह मां अपने संतानों को पालने के लिए बहुत तरह का कष्ट उठाकर अपने बच्चों की रक्षा करती है ! ठीक उसी तरह हमारी पृथ्वी भी बहुत तरह का कष्ट उठाकर ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं से हमारी रक्षा करती है ! तभी आज हजारों साल से हम इस पृथ्वी पर कायम हैं !
पृथ्वी द्वारा हमारे रक्षा किये जाने के उपायों की सूची में सबसे पहला नाम है ! पृथ्वी पर दूसरे ग्रहों की तरंग रूप में आने वाली ऊर्जा से हमारी रक्षा करना !
जैसा कि नासा कहता है कि ग्रहों की रिकॉर्ड की गई अलग अलग आवाज़ें सौर हवा, आयन मंडल और ग्रहीय मैग्नेटोस्फीयर से आवेशित विद्युत चुम्बकीय कणों के कारण हैं ! जो मनुष्य के लिये अत्यन्त घातक हैं !
इसके अलावा इस ब्रह्मांड में हर ग्रह रूपी गतिशील पिण्ड अपने आकार, प्रकार, दूरी, गति और सहायक अथवा विरोधी पिंडों के कारण एक निश्चित प्रकार की आवाज और कंपन उत्पन्न करते हैं !
जिस कम्पन से यह पृथ्वी भी कम्पायेमान होती है ! व्यक्ति के जन्म के समय पृथ्वी पर अन्य ग्रहों के प्रभाव के कारण जो कम्पन्न उत्पन्न उत्पन्न होता है ! उसकी प्रथम अनुभूति ही व्यक्ति को जीवन भर प्रभावित करती है !
दूसरे ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से रक्षा करने के लिए पृथ्वी स्वयं एक ध्वनि रूपी तरंग प्रकट करती है ! जिसे पहली बार 19वीं शताब्दी में पहचाना गया ! जिस पर 1959 से वैज्ञानिक पृथ्वी के ध्वनि रूपी तरंगों को रिकॉर्ड करने की कोशिश कर रहे हैं !
वैज्ञानिकों का मत है कि पृथ्वी के गुरुत्व बल तथा ब्रह्मांडीय गति के कारण पृथ्वी हर समय बहुत कम मात्रा में फैलती और सिकुड़ती रहती है ! जिससे एक विशेष तरह की ध्वनि पैदा होती है ! जो मानव कानों के लिए अश्रव्य है !
पृथ्वी की यह ध्वनि ब्रह्मांड से दूसरे ग्रहों की आने वाली नकारात्मक तरंग ऊर्जा को निष्प्रभावी कर देती है ! जिस वजह से पृथ्वी पर इतने लंबे समय से जीव का जीवन संभव हो पाया है !
पृथ्वी के निवासियों को दूसरे ग्रहों के नकारात्मक ऊर्जा के कारण प्राकृतिक आपदा से बचाने का यही रहस्य है ! साथ ही पशु-पक्षी, जीव-जंतु, वनस्पति आदि भी पृथ्वी की ध्वनि ऊर्जा के सहयोग से पालते हैं ! जिसके सहयोग से मनुष्य अपनी जीवनी ऊर्जा को सक्रीय कर इस पृथ्वी पर सुख भोग रहा है !
अतः दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि यदि पृथ्वी अपने धर्म गुणों की वजह से ब्रह्मांड से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में सक्षम न होती, तो शायद आज इस पृथ्वी पर हम और आप जैसे लोग भी न होते !
इसीलिए पृथ्वी को वेदों में मां कहा गया है !!