हिंदू सदैव से राजसत्ता का चाटुकार और धर्म के प्रति दोगला रहा है ! यही वजह है कि हिंदू धर्म के सर्वश्रेष्ठ पीठाधीश्वर भी हिंदुओं को संगठित करने के स्थान पर चंदा बटोरने के लिए शहर शहर चांदी की खड़ाऊ लेकर घूमते हैं !
आज हिंदुत्व के नाम पर बस सिर्फ दो राजघरानों के औलादों की कथा कहानियों के अलावा हिंदुओं के पास कथा वाचन के लिए और क्या है ?
न ही कथावाचक वेदों की समझ रखते हैं ! न ही वह वेदांत या उपनिषद का अध्ययन करते हैं ! यह लोग मात्र गिनी गिनाई राम कथा, कृष्ण कथा, भागवत कथा पर ढोलक मजीरा चटका कर चंदा बटोरना चाहते हैं !
जो व्यक्ति जिस धर्म स्थल का मुखिया हो जाता है, वही बेईमानी करना शुरू कर देता है ! आज भारत में 14 लाख से अधिक मठ मंदिर आदि हैं ! लेकिन उनका आपस में कोई तालमेल नहीं है !
और भारत में सबसे अधिक दान हिंदू धर्म में ही इकट्ठा होता है ! फिर भी हम से कम सामर्थ रखने वाले लोग हिंदुओं की बहू बेटियों को बहला-फुसलाकर ले जाते हैं या खुले आम मंचों पर जादुई चमत्कार दिखाकर लोगों का धर्मांतरण किया करते हैं और हमारे धर्म गुरु मंदिरों में बैठकर दान पेटी का का नोट गिनते हैं !
आज हमारे अव्यावहारिक ज्ञान रखने वाले धर्म गुरु हिंदुओं को बचा पाने में पूरी तरह से अक्षम हैं ! यही वजह है कि आज हिंदू धर्म के प्रतीक चिन्ह गंदे नालों तक पहुंच गये हैं !
और रही हिंदुत्व की राजनीती करने वाले राजनीतिक दलों का हाल, तो वह लोग हिन्दू वोट बैंक को मात्र सत्ता तक पहुंचने का एक माध्यम मांगते हैं ! इसके आगे हिंदुओं के सर्वनाश की कथा यही लोग सदन में बैठकर लिखते हैं !
और इन दोगले राजनीतिज्ञों के प्रति यदि कोई जागरूक नागरिक समाज में चर्चा करता है तो उनके पालतू अंधभक्त उसका मुंह कलह कर के बंद कर देते हैं !
यदि हिंदुओं की अपने धर्म प्रतीकों के प्रति इसी तरह की उदासीनता बनी रही, तो निश्चित रूप वह दिन दूर नहीं जब हिंदू धर्म इतिहास में दर्ज एक बंद पन्ने की तरह होगा ! जिसे भी लोग कुछ समय बाद इतिहास से फाड़ कर फेंक देंगे और यह हिन्दू धर्म की चर्चा करने वाले लोग भी विलुप्त हो जायेंगे !!