भगवान शिव के संदर्भ में कहा जाता है ! कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। अर्थात भगवान शिव जो कपूर के समान सफ़ेद हैं !
वही भगवान विष्णु के लिये कहा जाता है ! शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम् | विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ! अर्थात भगवान विष्णु जो मेघ के समान काले हैं !
अब प्रश्न यह है कि भगवान शंकर कपूर की तरह सफेद और विष्णु मेघ की तरह काले क्यों हैं ?
इसका सीधा सा जवाब है, जिसे आज विज्ञान भी स्वीकृति देता है ! विज्ञान का कहना है कि विश्व में दो ही रंग हैं एक काला और दूसरा सफेद ! सफेद रंग अपने को सात अलग अलग रंगों में अभिव्यक्त करता है ! जिससे इंद्रधनुष का निर्माण होता है ! यही सातों रंग जब काले में समा जाते हैं और किसी भी रंग का परावर्तन नहीं होता है तो वह वस्तु हमें काली दिखाई देती है !
जब सफेद रंग से प्रगट होने वाले सात रंग किसी भी व्यक्ति या वस्तु पर पड़ते हैं, तो कोई व्यक्ति या वस्तु उन सात रंगों में से जिस रंग को अस्वीकार कर देता है ! वह वस्तु हमें उसी रंग की दिखलाई देने लगती है क्योंकि बाकी के शेष सभी रंग उस व्यक्ति या वस्तु के अंदर समाहित हो जाते हैं !
क्योंकि भगवान शिव अपने आप में पूर्ण हैं ! अतः वह किसी भी वाह्य रंग को समाहित करने की आवश्यकता नहीं हैं ! इसलिये वह सभी रंगों को परवर्तित कर देते हैं ! अतः वह हमें सफेद दिखाई देते हैं !
जबकि इसके विपरीत विष्णु हर बिंदु पर अपूर्ण हैं ! इसीलिए वह अपनी अनन्त अपूर्णता को भरने के लिये अपने अंदर सभी तरह के रंगों को समाहित कर लेते हैं ! इसीलिए वह काले दिखाई देते हैं !
यही भगवान के काले और सफेद रंग में अभिव्यक्त होने का वैज्ञानिक रहस्य है !!